लेण्याद्रि की बौद्ध गुफाएँ और गणपति

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पुणे नासिक रोड पर जुन्नर कस्बे के पास ऐतिहासिक लेण्याद्रि की गुफाएँ हैं। यहाँ कुल 321 खड़ी सीढ़ियाँ चढ़ कर गुफाओं तक पहुँचना पड़ता है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संरक्षित स्मारक है।

यहाँ प्रवेश के लिए पाँच रुपये का टिकट खरीदना पड़ता है। दूर से ही लेण्याद्रि की गुफाएँ अति सुन्दर दिखायी देती हैं। आसपास के हरे-भरे खेतों में अंगूर की खेती होती दिखायी देती है। लेण्याद्रि गाँव कुकड़ी नदी के किनारे स्थित है। लेण्याद्रि में कुल 28 गुफाएँ हैं। कहा जाता है इन गुफाएँ में बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। हालाँकि इन गुफाओं में से सिर्फ दो में ही जाने का बेहतर रास्ता है। एक गुफा में स्तूप बना है, जबकि दूसरी गुफा में गणेश जी का मन्दिर है। ये गुफाएँ काफी हद तक देखने में एलोरा की गुफाओं जैसी ही लगती है।

लेण्याद्रि के गुफाओं तक पहुँचने के लिए कुल 321 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। ये चढ़ाई थोड़ी मुश्किल है। बुजुर्ग लोगों के लिए यहाँ भी पालकी का इन्तजाम है। रास्ते में सीढ़ियों पर बड़ी संख्या में बन्दर हैं जो आते-जाते लोगों के सामान की तलाशी लेते हैं। अगर आप सावधान नहीं हैं तो आपका पर्स लेकर फरार हो सकते हैं। अगर आपके पास खाने का कोई सामान है तो बिना लाग लपेट के उन्हें सौंप दें। वर्ना खैर नहीं।

अष्टविनायक का मन्दिर 

लेण्याद्रि के गणेश जी की गिनती महाराष्ट्र के अष्ट विनायक गणपति में होती है। इन गणपति को गिरिजित्मज नाम से पुकारा जाता है। गिरिजात्मज यानी गिरिजा (पार्वती) के पुत्र। कहा जाता है इन्ही पहाड़ों पर कभी पार्वती जी निवास करती थीं। यहीं कुंड में वे स्नान कर रही थीं। तभी शिव जी पार्वती जी से मिलने पहुँचे। बाल गणेश ने उनका रास्ता रोका और गुस्से शिवजी ने उनका सिर काट दिया। बाद गणेश जी की सच्चाई पता चलने पर उन्हे हाथी का सिर लगाया गया। यहाँ श्रद्धालुओं को वह कुंड दिखाया जाता है जहाँ पार्वती जी स्नान करती थीं।

इस स्थान का नाम जीर्णपुर या लेखन पर्वत भी मिलता है। यहाँ गणेश का देव स्थान गुफाओं (लेणी) के बीच है, इसलिए इसका नाम लेण्याद्रि रखा गया। कहा जाता है गणेश जी को पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती ने 12 वर्षों तक कठोर तप किया था। इसके बाद भाद्रपद की चतुर्थी तिथि को गणेश जी पुत्र के रूप  प्रकट हुये। यह भी कहा जाता है कि लेण्याद्रि की आठवीं गुफा में जो गणेश जी की प्रतिमा है वह स्वंभू प्रकट हुई है। ये गुफा 53 फीट लंबी और 51 फीट चौड़ी है।

यहाँ गणेश जी ने 15 साल तक बाल लीला की थी। यहाँ उन्होंने कई दैत्यों का संहार भी किया था। जिस गुफा में गणेश प्रतिमा है वहाँ कोई प्रसाद नहीं चढ़ता। यहाँ पहुँच कर आप गुफा के अन्दर बैठकर शान्ति से ध्यान कर सकते हैं। मन्दिर में गणेश प्रतिमा दक्षिण मुखी है। मन्दिर की गुफा में सूर्योदय से सूर्यास्त तक उजाला रहता है। लेण्याद्रि की गुफा के नीचे कुछ दुकाने हैं जहाँ आपको चाय नास्ता आदि मिल जाता है। श्रद्धालुओं के लिए पेयजल और शौचालय आदि का भी प्रबन्ध है। गाड़ियों के लिए पार्किंग का भी इन्तजाम है।

कैसे पहुँचे 

जुन्नर तहसील से लेण्याद्रि की दूरी सात किलोमीटर है। पुणे शहर से कुल दूरी 120 किलोमीटर है। पुणे से नारायण गाँव होते हुए लेण्याद्रि पहुँचा जा सकता है। लेण्याद्रि जाने के क्रम में आप जुन्नर या फिर ओझर में रात्रि विश्राम कर सकते हैं। नासिक से दूरी 140 किलोमीटर है, जबकि अहमदनगर से 100 किलोमीटर है।

(देश मंथन, 07 मई 2015)

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