कमल मंदिर यानी लोटस टेंपल

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

अगर आप दिल्ली में कोई हरा भरा और सुंदर आध्यात्मिक स्थल तलाशकर वहाँ कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं तो लोटस टेंपल यानी कमल मंदिर से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती। 27 एकड़ के दायरे में फैली हरियाली यहाँ आपका मनमोह लेगी। इस हरियाली की सिंचाई के लिए रिसाइकिल किए गये जल का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रेरक कार्य है। ये मंदिर वास्तुकला, पर्यावरण संरक्षण का अदभुत उदाहरण है।

लोटस टैंपल वैसे तो बहाई धर्म का मंदिर है। बहाई धर्म बहाउल्ला द्वारा स्थापित एक ऐसा धर्म है, जिसमें दुनिया के अलग-अलग धर्मों की अच्छी बातों का संग्रह किया गया है। इस धर्म में कोई लंबा चौड़ा कर्मकांड नहीं है। लिहाजा काफी लोगों को ये प्रभावित करता है। दिल्ली के दर्शनीय स्थलों की सूची में लोटस टेंपल नया नाम है, क्योंकि ये दिसंबर 1986 में तैयार हुआ था। वहीं दुनिया भर में जो बहाई धर्म के मंदिर हैं उनमें भी लोटस टेंपल सबसे नया है। इसका निर्माण छह साल में पूरा हुआ था। तब इसके निर्माण में 10 करोड़ रुपये की लागात आई थी।

27 पंखुडियों वाला कमल 

मुख्य मंदिर में कमल की 27 पंखुडिया बनी हुई हैं। मंदिर का वास्तु इस तरह का है इसमें सूर्य के प्रकाश आने का सुंदर इंतजाम है। मंदिर में अंदर के विशाल प्रार्थना हॉल है। अंदर कोई मूर्ति नहीं है। प्रार्थना हाल में प्राकृतिक तौर पर रोशनी आती रहती है। अंदर आने वाले दर्शकों से पूरी तरह शांति बनाए रखने की अपील की जाती है। 

जल संरक्षण की मिसाल 

लोटस टेंपल के अंदर की हरियाली को बनाए रखने के लिए मंदिर प्रबंधन तीन लाख लीटर रिसाइकिल किए हुए पानी का प्रतिदिन इस्तेमाल करता है। इसके लिए मंदिर परिसर में रिसाइक्लिंग प्लांट लगाए गये हैं। मुख्य मंदिर के परिसर में  कुल 9 सरोवर बनाए गये हैं जिनमें हमेशा पानी भरा रहता है।

मंदिर  में संग्रहालय 

मंदिर में एक भव्य संग्रहालय और सूचना केंद्र का निर्माण किया गया है। इस भवन के ऊपर हरा भरा घास का मैदान है। अंदर बने संग्रहालय में शीतल वातावरण में आप बहाई धर्म के बारे में जानकारी, दुनिया के दूसरे मंदिरों को बारे में जानकारी साथ ही बहाई धर्म के साहित्य के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इस खंड में लोटस टेंपल के निर्माण की भी जानकारी विस्तार से उपलब्ध है। लोटस टेंपल के अलावा दुनिया में पांच और बहाई मंदिर बनाए गए हैं।

खुलने का समय 

लोटस टेंपल आमतौर पर सुबह 9.30 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। हर सोमवार को ये मंदिर बंद रहता है। सुबह 10 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 3 और 5 बजे मंदिर  में प्रार्थना होती है। ये प्रार्थना 5 मिनट की होती है। मुख्य कक्ष में 1300 लोगों के बैठने का इंतजाम है। मंदिर के मुख्य द्वार के पास वाहनों के लिए फ्री में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।

कैसे पहुँचे 

यहाँ मेट्रो के नेहरु प्लेस या कालकाजी स्टेशन से पैदल चलकर पहुँचा जा सकता है। मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क जूता घर और पेयजल का भी इंतजाम है। हर रोज 8 से 10 हजार लोग लोटस टेंपल देखने के लिए पहुँचते हैं।

(देश मंथन, 10 अक्तूबर 2015)

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