विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कान्हा जी यानी मदन मोहन जी का मन्दिर करौली किले में मुख्य शहर में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था। इस मन्दिर में भगवान कृष्ण और देवी राधा की प्रतिमाएँ हैं। करौली के निवासियों में मदन मोहन के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है। श्रीकृष्ण भगवान के अनेक नामों में से एक प्रिय नाम मदन मोहन भी है।
करौली के राजा गोपाल सिंह ने 1725 ये मन्दिर बनवाया गया। कहा जाता है कि दौलताबाद पर विजय के बाद महाराजा गोपाल सिंह जी को सपना आया, जिसमें उन्हें मदन मोहन जी ने कहा कि मुझे करौली ले चलो। तब मदन मोहन की प्रतिमा को जयपुर के आमेर से करौली ले जाकर स्थापित किया गया। इस मन्दिर के निर्माण मे दो से तीन साल का समय लगा था।
मदन मोहन मन्दिर में स्थापित कृष्ण जी की ऊँचाई तीन फीट है, जबकि राधा जी दो फीट की हैं। दोनों मूर्तियाँ अष्टधातु की बनी हैं। दोंनो मूर्तियों की सुंदरता अदभुत है।
मन्दिर मध्यकालीन वास्तुकला का सुंदर नमूना है। मन्दिर के प्रवेश द्वार से गर्भ गृह के बीच लंबा चौबारा है। गर्भ गृह में सुंदर नक्कासियाँ भी हैं। मन्दिर के निर्माण में करौली के पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। मुख्य मन्दिर के अलावा परिसर में कई और मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। चाँदनी रात में मन्दिर का सौंदर्य और बढ़ जाता है।
महाराजा गोपाल सिंह ने जिस गुसाईं को सबसे पहले मन्दिर का प्रभार सौंपा था, वह मुर्शिदाबाद के रामकिशोर थे। इसके बाद मदन किशोर यहाँ गुसाईं रहे। करौली के मन्दिर को राजघराने की ओर से अचल संपत्ति प्रदान की गयी थी, जिससे 18वीं सदी में 27 हजार रुपये की सालाना आय होती थी।
दिन में सात बार भोग
भगवान मदन मोहन को दिन में सात बार भोग लगाया जाता है। उन्हें मिष्टान्न काफी प्रिय है। उनके भोग में मुख्य है दोपहर को राजभोग और रात को शयनभोग। शेष पाँच भोगों में से मिष्ठान आदि रहता है। इसमें मालपुआ, रसगुल्ले जैसी मिठाइयाँ होती हैं। खास मौकों पर मदन मोहन जी को 56 भोग लगाया जाता है। इसमे नाना प्रकार के पकवान होते हैं। इसके लिए बड़ी तैयारी की जाती है।
मदनमोहन जी के सेवाकाल में सुबह पांच बजे मंगल आरती होती है। इसके बाद सुबह नौ बजे धूप, 11 बजे शृंगार, तीन बजे दुबारा धूप और शाम को सात बजे सांध्य आरती होती है। मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है और रात्रि 10 बजे बंद हो जाता है। दोपहर में भी दो घंटे के लिए भी मंदिर बंद होता है। गोपाष्टमी , श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाअष्टमी मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं। मंदिर के पूजा में समय के अनुशासन का पूरा पालन होता है।
ताज खाँ की भक्ति
कहा जाता है कि ताज खाँ नाम का एक मुसलमान मदन मोहन मन्दिर के कृष्ण की प्रतिमा की एक झलक पाते ही उनका अनन्य भक्त बन बैठा। ताज खाँ यहाँ की कचहरी में एक चपरासी था। भक्त ताज खाँ को आज भी करौली के मदन मोहन मन्दिर में संध्या आरती के समय ‘ताज भक्त मुसलिम पै प्रभु तुम दया करी। भोजन लै घर पहुँचे दीनदयाल हरी।।’ इस दोहे के साथ याद किया जाता है।
कैसे पहुँचे
करौली बस स्टैंड से मन्दिर की दूरी दो किलोमीटर है। करौली के मुख्य बस स्टैंड से रिक्शा या ऑटो से या फिर पैदल चलते हुए भी मन्दिर तक जा सकते हैं। मन्दिर करौली किले के पीछे चौधरीपाडा में स्थित है। मन्दिर के साथ श्रद्धालुओं के लिए एक धर्मशाला भी है।
(देश मंथन, 21 सितंबर 2015)