विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
छत्रपति शिवाजी यानी महाप्रतापी हिन्दू सम्राट। शिवाजी का जन्म हुआ था महाराष्ट्र के शिवनेरी के किले में।
शिवाजी के पिता शाहू जी महाराज बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की फौज में जनरल थे। उन्हें हमेशा युद्ध पर रहना पड़ता था, लिहाजा उन्होंने गर्भ के दौरान अपनी पत्नी जीजाबाई को सुरक्षित स्थल पर रखने का इन्तजाम किया। इसके लिए सबसे मुफीद जगह शिवनेरी का किला था। यहाँ पर शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ। एक ऐसा प्रतापी सम्राट, जिसने अपने जीवन काल में दक्षिण पश्चिम भारत के 40 किलों को जीता।
कहा जाता है कि शाहू जी महाराज ने शिवनेरी के किले मे सात दरवाजों का निर्माण कराया। शिवनेरी के किले में ही शिवाजी का बचपन गुजरा। किले के अन्दर ही खेलते कूदते शिवाजी बड़े हुए। अपने जीवन का जो भी सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान था उन्होंने यहीं पर प्राप्त किया। अपनी माताजी से और अपने प्रशिक्षकों से। किले के अन्दर शिवाई देवी का मन्दिर है। इस देवी के नाम पर शिवाजी का नाम बचपन में शिवाबा रखा गया। किले के मध्य में एक तालाब है, जिसका नाम बादामी तालाब है। किले के मध्य में अंबरखाना नामक जगह है जहाँ कभी अनाज का भन्डार हुआ करता था।
किले का इन्तजाम महाराष्ट्र पर्यटन देखता है। किले के अन्दर जगह-जगह हरियाली से भरे उद्यान बनाये गये हैं। मार्ग में पेयजल का इन्तजाम किया गया है। किले के अन्दर गर्मी में आपको नींबू पानी बेचने वाले भी मिल जायेंगे। पर किले पर चढ़ाई का मार्ग आसान नहीं है। कहीं सीढ़ियाँ तो कहीं उबड़-खाबड़ रास्ते। सबसे ऊपरी स्थान पर पहुँचने का रास्ता थोड़ा मुश्किल भरा है। यहाँ तक पहुँचते हुए समान्य आदमी की साँसे फूलने लगती हैं।
पुणे शहर से 85 किलोमीटर दूर इस किले की ऊँचाई 300 मीटर है। किला एक त्रिकोणात्म पहाड़ी पर स्थित है। किले में सुरक्षा के लिए सात दरवाजे बनाए गये हैं। इन द्वारों के नाम देखिए- हत्ती दरवाजा, गणेश दरवाजा, पिराचा दरवाजा, मैणा दरवाजा आदि। पाँचवें दरवाजे में हाथियों को रोकने के लिए नुकीली कीलें लगायी गई हैं। किले के अन्दर दो तालाब हैं, जिनके नाम गंगा और यमुना हैं। हालाँकि किले में अब कुछ ही इमारतें बची हैं। एक अस्तबल और टूटी-फूटी मस्जिद देखी जा सकती है। पर किले को देखकर ये अन्दाजा लगाया जा सकता है, कि ये इमारत कभी कितनी सुरक्षित और बुलन्द रही होगी।
कभी ये किला सातवाहन राजाओं के अधीन था। शिवनेरी पहली से तीसरी शताब्दी के दौरान बड़ा बौद्ध केंद्र था। शिवनेरी के तीनों तरफ पहाड़ में गुफाओं के अवशेष मिलते हैं। सातवहान के बाद ये किला यादव (शीलाहर्ष) और बहमनी और मुगलों के अधीन रहा। 1599 में किला शिवाजी के दादा मालोजी भोसलें को दिया गया। शिवाजी को अपने शासन काल के दौरान ये किला मुगलों को दे देना पड़ा, जिसे वे अपने जीवन में वापस नहीं ले सके।
कैसे पहुँचे
पुणे से बस या अपने वाहन द्वारा जुन्नर पहुँचे। शिवनेरी का किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में जुन्नर कस्बे से दो किलोमीटर की दूरी पर है। किले के मुख्य द्वार के पास वाहन पार्क करके आप किले पर चढाई कर सकते हैं। प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है, पर सभी आगंतुकों के नाम पते दर्ज किये जाते हैं। जिन लोगों की इतिहास में रूचि है और ट्रैकिंग के शौकीन हैं उन्हें यहाँ आकर जरूर मजा आयेगा।
(देश मंथन 06 मई 2015)