विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
शाम को ढलते हुए सूरज की रोशनी में मरीना बीच की रौनक देखने लायक होती है। यह संसार के सबसे लंबे समुद्र तटों में से एक है। शाम को चौपाटी सजी होती है और हजारों लोग बीच पर मौज मस्ती में जुटे रहते हैं।
कहीं मछली तो कहीं आइसक्रीम, कोई घुड़सवारी का लुत्फ ले रहा है, तो कोई अपने पसंदीदा फिल्म स्टारों के कटआउट के साथ फोटो खिंचवा रहा है। दुनिया के हर कोने से आये सैलानी इस लुभावनी शाम के हमसफर होते हैं। रात होने के साथ बीच की रौनक बढ़ती जाती है।
चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से मरीना बीच की दूरी 6 किलोमीटर है। ईस्ट कोस्ट रोड से तकरीबन आधा किलोमीटर बालू पर सफर के बाद आप समुद्र की लहरों तक पहुंच पाते हैं। यह देश का सबसे लंबा शहरी समुद्र तट है। 13 किलोमीटर लंबा मरीना बीच फोर्ट सेंट जार्ज से आरंभ होकर बेसेंट नगर तक फैला हुआ है।
हालाँकि अब मरीना बीच के पास समुद्र का पानी प्रदूषित हो गया है। यहाँ स्नान करना भी खतरनाक हो गया है। पिछले एक साल में मरीना पर समुद्र में डूबने से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए लहरों से खेलने में थोड़ा सावधान रहें तो अच्छा।
आधुनिक तमिलनाडु के निर्माताओं में कांजीवरम नटराजन (सी एन) अन्ना दुर्रे का नाम लिया जाता है। 15 सितंबर 1909 में जन्में अन्ना का निधन 3 फरवरी 1969 में हुआ। वे 1967 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पद पहुँचने वाले पहले द्रविड़ समुदाय के नेता थे। वे तमिलनाडु के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्हे प्यार से अन्ना (बड़ा भाई) के नाम से बुलाया जाता था। उनकी समाधि मरीना बीच पर बनी है।
चेन्नई में वह राजघाट की तरह सम्मानित स्थल है। उनकी समाधि पर अखंड ज्योति जलती रहती है। अन्ना ने अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद पहले शिक्षण के क्षेत्र मे काम किया फिर पत्रकार बने बाद में राजनीति में आये। वे एक उदार चिंतक होने के साथ हिंदी विरोधी विचारों के थे पर उसके कारण समसामयिक थे। अब अन्ना दुर्रे की समाधि के बगल में बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एमजी रामचंद्रन की समाधि भी बन गयी है। इसलिए ये स्थल समाधियों का हो गया है। एमजीआर के जीवन पर यहाँ एक छोटा सा संग्रहालय भी बनाया गया है।
कवि कंबन और इलांगो आदिगल
इन समाधियों के बीच 13वीं सदी के जाने माने तमिल कवि कंबन की प्रतिमा लगी है। उन्होंने कंब रामायण की रचना की थी। कंब को तमिल भाषा का सबसे सम्मानित कवि माना जाता है। कंब रामायण के कई दृष्टांत वाल्मिकी रामायण से अलग हैं। मरीना में दूसरी सदी के महान कवि इलांगो आदिगल की प्रतिमा भी लगी है। इलाकों एक राजकुमार थे जो राजकाज से विमुख होकर साहित्य सृजन की ओर प्रवृत हो गये थे। उन्होंने सीलापथीकरम की रचना की जो तमिल साहित्य के पाँच श्रेष्ठ ग्रंथों में शामिल है। इन समाधि के आसपास पेयजल और शौचालय आदि का इंतजाम राज्य प्रशासन की ओर से किया गया है। मरीना बीच के दूसरी तरफ यानी ईस्ट कोस्ट रोड के उस पार मद्रास यूनीवर्सिटी और प्रेसीडेंसी कालेज का विशाल परिसर दिखायी देता है।
(देश मंथन 03 दिसंबर 2015)