एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।

सोलह फरवरी की शाम बंद गार्डन रोड पर रॉयल कनाट बोट क्लब की शाम गुलजार हुई सगाई की रस्म और संगीत से। रायल कनाट बोट क्लब पुणे का बड़ा ही पुराना और प्रतिष्ठित क्लब है। ये 1890 का स्थापित है जैसा कि इसका साइन बोर्ड बताता है। यह सेना के लोगों की खास पसंद में से है। यूँ कहें कि ये पुणे का ये खास हैपनिंग सेंटर है। 16 फरवरी का दिन मेरे लिए भी खास है क्योंकि 1996 में इसी दिन यानी 20 साल पहले हमने अपनी पहली नौकरी शुरू की थी।

खैर सगाई की रस्म, रिंग सेरमनी गुजर गया। पर इस दिन खास आकर्षण था संगीत जिसे वर पक्ष के लोगों ने काफी मेहनत से तैयार किया था। इसमें धुले शहर के तमाम डाक्टर दंपतियों ने हिंदी फिल्म के गीतों पर लाइव परफारमेंस किया। गीतों भरी कहानी थी वो जिसमें बूढ़े डाक्टर दंपति संगीत की धुन पर थिरकते हुए जिंदगी जिंदादिली का नाम है…जैसा कुछ संदेश दे रहे थे। कहानी का तानाबाना शानदार बुना गया था। कोरियोग्राफी भी दमदार थी। इतने अच्छे परफारमेंस के बाद कुछ खाना पीना। महाराष्ट्र के शादी की खास बात होती है कि यहाँ खाने-पीने पर फिजूलखर्ची नहीं होती। भोज के मीनू में चयनित आइटम होते हैं। पूरे देश के लोगों को मराठी लोगों से इस मायने में सीख लेनी चाहिए। उत्तर भारत की तरह चाट पकौड़े गोलगप्पे के स्टाल नहीं।

17 फरवरी की सुबह शादी का मुहुर्त था। सो बारात सात बजे लगनी शुरू हो गई। होटल सन एंडसैंड में । बारात में सभी पंजाबी धुन में थिरक रहे थे। ढोल मास्टर गा रहे थे –

बारी बरसी खटन गया सी…खटके ले आंदे ताले

और अब डांस करेंगे दूल्हे के साले।

बारी बरसी खटन गया सी…खटके ले आंदे बालियाँ

और अब डांस करेंगी दूल्हे के सालियाँ।

फिर – बारी बरसी खटन गया सी…खटके ले आंदे चूल्हा

और अब डांस करेंगा शादी वाला दूल्हा….

उनके निर्देश के हिसाब से सभी डांस करने को तैयार होते जा रहे थे।

बारी बरसी खटन गया सी…खटके ले आंदे तारे

और अब डांस करेंगे सारे के सारे….   और सारे लोग नाच उठे।

सुबह 9 बजे शादी आरंभ हो गयी। शादी में पुरोहित की भूमिका निभा रही थीं एक महिला। पुणे शहर में कई महिलाएँ शादी से कर्मकांड कराती हैं। हमारी शादी की पुरोहित उच्च कोटि की विद्वान नजर आ रही थीं। वे शादी के सारे मंत्रों का अर्थ, हिंदी और मराठी में भी समझा रही थीं। साथ ही वे शादी के मंत्रों और संकल्पों को आधुनिक संदर्भों में भी समझाने की कोशिश कर रही थीं।

लगभग दो घंटे में शादी संपन्न हो गयी। इस शादी में कई रोचक रस्में थी जो यहीं पर देखने को मिलीं। शादी खत्म हो जाने के बाद कन्या का भाई जाकर दूल्हे का कान खींचता है और कान में चुपके से कुछ कहता है। (सारी उम्र मेरी बहन का ख्याल रखना) दोपहर के लंच से पहले शादी की सारी रश्मों का समापन हो चुकी थी। सारे लोगों ने लंच किया उसके बाद शुरू हो गयी विदाई की तैयारी। पर कुछ रोना धोना नहीं हुआ। अब भला दुल्हन रोती है क्या।

(देश मंथन  08 अप्रैल 2016)

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