विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
चेरापूंजी में एक अदभुत और कभी न भूलने वाला अनुभव हमारा इंतजार कर रहा था। मावसमाई की गुफाएं। टैक्सी पार्किंग में लगाने के बाद हम लोग आगे बढ़े तो बाहर चहल पहल थी।
कुछ खाने पीने के रेस्टोरेंट्स और इधर उधर चहलकदमी करते लोग। जब मुझे देश के सात आश्चर्य की गिनती करनी होगी तो मैं उसमें मावसमाई की गुफाओं को भी जरूर रखना चाहूंगा।
चेरापूंजी शहर से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये गुफाएं हर चेरापूंजी आने वाले सैलानी को जरूर देखनी चाहिए। प्रवेश के लिए 20 रुपये का टिकट है। पर आप महानगरों के माल्स में जाकर 200 रुपये का टिकट लेकर 5डी या 7डी सिनेमा का 15 मिनट का शो देखते हो न उससे ज्यादा आनंद इन गुफाओं को आरपार करने में है। यह एक तरह का एडवेंचर है जो हर उम्र के लोगों को रोमांचित करता है। यह संभवतः मेघालय में स्थित एकमात्र प्राकृतिक गुफाएं हैं जिसको देखने का आनंद सैलानी उठा पाते हैं। हालांकि गुफाएं अंदर काफी लंबी हैं पर सैलानियों के लिए 150 मीटर का रास्ता खोला गया है। एक तरफ से प्रवेश करना और दूसरी तरफ से निकल जाना।
जब आप गुफा में प्रवेश करते हैं तभी से रोमांच आना आरंभ हो जाता है। पत्थरों में अलग अलग तरह की आकृतियां दिखाई देती हैं। कई आकृतियाँ किसी मनुष्य किसी जानवर तो कई बार किसी देवी देवता सरीखी लगती हैं। चूना पत्थर की ये गुफाएं हजारों साल पुरानी लगती हैं। जगह-जगह इनसे पानी टपकता रहता है। कई जगह गुफा में घुटने भर पानी से होकर आगे बढ़ना पड़ता है। कई जगह ऊँचाई कम होने पर आपको सिर बचाना भी पड़ता है।
कई जगह तो एक ही आदमी के निकलने पर भर रास्ता होता है। गुफा को पार करते हुए काफी रोमांच आता है। यह पता नहीं होता कि गुफा कहाँ खत्म होने वाली है और कब हम खुली हवा में बाहर आने वाले हैं। कई लोगों को रास्ते में डर भी लगने लगता है पर वास्तव में डरने जैसी कोई बात नहीं होती। इन गुफाओं में हजारों साल से भूजल के कई स्रोत भी हैं। गुफा के रास्ते में अंधेरा है पर कहीं कहीं एलईडी की रोशनी का इंतजाम किया गया है।
आप कोशिश करें कि गुफा में शाम को 4 बजे से पहले पहुँचे ताकि वहाँ थोड़ी रोशनी रहे। साथ ही अगर आप समूह में हैं तो गुफा के अंदर आगे पीछे एक दूसरे से संवाद स्थापित करते हुए ही आगे बढ़ें। गुफा में जाते समय आपके पास टार्च हो तो अच्छा रहेगा।
समय और प्रवेश टिकट
मावसमाई गुफा में प्रवेश का समय 9.30 से 5.30 का है। प्रवेश टिकट 20 रुपये व्यस्क और बच्चों का 10 रुपये है। कैमरा के लिए 20 रुपये का टिकट लेना पड़ता है।
खासी हिल्स के मोनोलिथ, वीरता की याद में
चेरापूंजी के आसपास आपको कई जगह मोनोलिथ देखने को मिलेंगे। ये ऐतिहासिक स्मारक आदिवासी वीरों की याद में बनाये गये हैं जो अपने कौम की रक्षा करते हुए शहीद हो गये। जो ऊँचे और लंबे स्मारक हैं वे पुरुष वीरों के प्रतीक हैं, जबकि चपटी और भूस्थैतिक बने स्मारक महिलाओं की याद में बने हैं।
इको पार्क और मावसमाई गुफाओं के पास हमें ऐसे मोनोलिथ (पत्थर के खंबे) दिखाई देते हैं। शिलांग से 63 किलोमीटर दूर जयंतिया हिल्स में नारतियांग में सबसे ज्यादा प्रस्तर स्तंभ बने हैं। सबसे ऊँचा मोनोलिथ 27 फीट का है।
(देश मंथन, 23 मार्च 2017)