विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
चेरापूंजी की सड़कों पर चलते हुए हमें एक मकान की छत पर बड़ा सा फुटबाल नजर आया। देखा तो यह भारत सरकार के मौसम विभाग के दफ्तर का भवन था। गुवाहाटी के आईएमडी यानी मौसम विभाग में पदस्थापित हमारे वैज्ञानिक दोस्त संजय ओनिल शा से मैंने इस फुटबाल का राज पूछा। उन्होंने बताया कि वास्तव में यह मौसम विभाग का रडार है।
बाहर से भले देखने में महज फुटबाल जैसा लगता हो पर अंदर इसके कई तरह के यंत्र लगे हैं। चेरापूंजी मौसम के लिहाज से सबसे ज्यादा उतार चढ़ाव वाला इलाका है। तो यहाँ मौसम विभाग के दफ्तर की और उसके अध्ययन से मिलने वाले परिणामों और उनके विश्लेषण की तो काफी जरूरत है।
सबसे ज्यादा बारिश वाला क्षेत्र माओसाइनराम
बचपन से ही किताबों में पढ़ते आये हैं कि देश का वह कौन सा शहर है जहाँ सबसे ज्यादा बारिश होती है। उत्तर होता है मेघालय का चेरापूंजी। हालांकि इधर कुछ सालों से सबसे ज्यादा बारिश वाला स्थल माओसाइनराम (Mawsynram) बन गया है। चेरापूंजी दूसरे नंबर पर आ गया है। पर अभी भी सालों भर चेरापूंजी में कभी भी बादल बरस सकते हैं। चेरापूंजी में सालाना औसत बारिश 11640 मिलीमीटर होती है। पर 1988 में यहाँ 17930 मिमी बारिश हुई थी। साल 2007 में 12475 मिमी, 2008 में 11377 मिमी, 2009 में 10456 मिमी, 2010 में 14625 मिमी, 2011 में 9261 मिमी बारिश दर्ज की गयी।
जनवरी महीने में चेरापूंजी का तापमान कई बार शून्य के करीब भी चला जाता है। चेरापूंजी से माओसाइनराम की दूरी हवाई मार्ग से महज 5 किलोमीटर ही है। पर अगर टैक्सी से जाना हो तो शिलांग में एलीफैंट फाल्स से ही उसका लिए सड़क बदलनी पड़ती है। चेरापूंजी इस्ट खासी हिल्स में पड़ता है तो माओसाइनराम वेस्ट खासी हिल्स में।
भौगोलिक तौर पर मेघालय के खासी हिल्स में पड़ने वाला चेरापूंजी भारत बांग्लादेश की सीमा पर है। चेरापूंजी के ऊंचे प्वाइंट से आप बांग्लादेश के कई क्षेत्रों को अपनी आँखों से देख सकते हैं। बांग्लादेश का सिलहट शहर यहाँ से काफी पास है। सबसे ज्यादा बारिश क्यों होती है चेरापूंजी के इलाके में। दरअसल बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसून की हवाएं बांग्लादेश के आसमान से होकर सबसे ज्यादा चेरापूंजी के इलाके में ही पहुँचती हैं और यहाँ सालों भर बारिशों का मौसम रहता है। तो ये गजल याद आती है यहाँ पर… आईए बारिशों का मौसम है…
पर चेरापूंजी सिर्फ बारिशों का शहर नहीं बल्कि यह बहुत ही प्यारा हिल स्टेशन है। यहाँ आकर ऐसा लगता है कि हमें यहाँ कुछ दिन ठहरना चाहिए। चेरापूंजी शहर में कई होम स्टे के बोर्ड लगे हुए दिखाई देते हैं। यानी यहाँ पर रुक कर बादलों की अटखेलियों को करीब से देखने का आनंद उठाया जा सकता है। चेरापूंजी के आसपास प्रकृति ने अपनी खूबसूरती दिल खोलकर परोसी है। यहाँ 250 से ज्यादा किस्म के वनस्पतियों का दीदार किया जा सकता है।
कभी असम की राजधानी था
एक बात और ब्रिटिश काल में चेरापूंजी को अंगरेजों ने 1832 में असम की राजधानी बनाया किया था। बाद में लगातार बारिश के कारण 1866 में राजधानी को शिलांग में शिफ्ट किया गया। इसलिए चेरापूंजी में कई पुरानी इमारतें दिखाई देती हैं।
हमें रास्ते में एक अति प्राचीन चर्च दिखाई देता है। यह चर्च और उसके साथ भवन 1841 की याद दिलाते हैं जब ईसाई मिशनरी के लोग खासी हिल्स के इलाके में पहुंचे। चेरापूंजी के आसपास का इलाका खनिज से भी संपन्न है। यहाँ रास्ते में कोयले की खदाने भी दिखाई देती हैं। जब रात साफ हो तो चेरापूंजी के व्यू प्वाइंट से आप बांग्लादेश के सिलहट, सुनामगंज और छातक शहरों की रोशनी देख सकते हैं। तो अगली बार आएं तो इस योजना के साथ की कुछ दिन गुजारें चेरापूंजी में।
(देश मंथन, 24 मार्च 2017)