रास्ते हैं प्यार के, चलिये संभल के

0
246

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मुझे यकीन है कि आप में से कोई न कोई कीनिया की मिस कुवी को जरूर जानता होगा। मिस कुवी पिछले साल भर से दोस्ती निवेदन मेरे पास भेज रही हैं।

मुझे नहीं पता कि उन्हें हिन्दी आती है या नहीं, लेकिन वो हर दूसरे दिन मेरे मेल बॉक्स में ये लिख कर भेजती हैं कि उनका नाम कुवी है, और वो बेहद खूबसूरत हैं। उन्होंने फेसबुक पर मेरे प्रोफाइल को देखा और मुझसे दोस्ती के लिए बेचैन हो उठी है। मैंने बहुत झिझकते हुए दफ्तर में एक दो लोगों से पूछा कि कोई मिस कुवी मुझसे दोस्ती करना चाहती हैं, मुझे क्या करना चाहिए। 

मैंने जिन लोगों से मिस कुवी के विषय में पूछा, उन लोगों ने मेरे सवाल को हँसी में उड़ा दिया और कहा कि इस तरह के मेल स्पैम होते हैं। यानी ये लोग ठग होते हैं, और इस तरह के मेल का जवाब नहीं देना चाहिए। एक साथी ने तो यहाँ तक कहा कि जैसे ही मैं उसके मेल को पूरी तरह खोल कर पढ़ने की कोशिश करूँगा, मेरा मेल बॉक्स ही हैक हो जायेगा, और पता नहीं क्या-क्या हो जायेगा। किसी ने कहा कि वो पैसे माँगेगी और ठग लेगी। ये एक गिरोह है जो इंटरनेट पर लोगों को अपना शिकार बनाता है। उन्होंने बताया कि उनके पास भी रोज इस तरह के मेल आते रहते हैं। कभी मिस कुवी के, कभी मिस जूलिया के। 

मुझे ध्यान आया कि सचमुच मेरे पास भी कई दिन पहले किसी मिस जुलिया ने दोस्ती का निवेदन भेजा था। उनकी तो तस्वीर साथ में अटैच थी। उन्होंने दोस्ती से पहले ये बताने की कोशिश की थी कि उनकी लंबाई कितनी है, वजन कितना है, उम्र कितनी है और फिर लिखा था कि उनसे दोस्ती करके मैं बहुत खुश रहूँगा। ये तो बहुत अच्छा हुआ कि मैं उन दिनों बहुत व्यस्त था और इसीलिए मैंने कोई जवाब नहीं दिया। पर बाद में पता चला कि ये वाला मेल उन्होंने मेरे कई साथियों को भी भेजा था। मेरे साथी समझदार है, वो समझ गये कि ये फर्जी मेल है। ऐसे मेल का जवाब देना, यानी खुद को फँसाना।

ऐसा नहीं है कि इंटरनेट पर मिस जुलिया और कुवी ही वो पहली लड़की हैं जिन्होंने मुझे मेल करके ये पूछा हो कि “मुझसे दोस्ती करोगे?” 

अंग्रेजी नाम वाली बहुत सी लड़कियों के दोस्ती वाले निवेदन मुझ तक आते हैं, और पता नहीं कैसे अपने आप जंक मेल बॉक्स में चले जाते हैं। 

मेरा भाई अफ्रीका के तमाम देशों में अपने दफ्तर के काम के सिलसिले में जाया करता था। नाइजिरिया, किनिया और पता नहीं कौन-कौन से देश। उसने मुझसे कई बार कहा कि अफ्रीका के ये देश बेहद खूबसूरत हैं। मुझे एक बार उसने किनिया चलने के लिए बहुत उकसाया। बस शर्त ये थी कि किनिया जाने से पहले येलो फीवर का कोई इंजेक्शन लेना पड़ता है, और मेरी पत्नी अड़ गयी कि चाहे मैं दुनिया में कहीं घूम आऊं, पर किनिया जाने लायक देश नहीं है। 

आप ये समझ लीजिए कि मेरा सामान सूटकेस में पैक हो चुका था, बस मुझे पीले बुखार से बचने वाली सुई लेनी थी और किनिया के लिए उड़ जाना था। पर पत्नी अड़ ही गयी कि मत जाओ। कई साल पहले जब मुझे किनिया जाना था, तब मिस कुवी का निवेदन मेरे पास नहीं आया था, लेकिन मुझे यकीन है कि मेरी पत्नी को इस बात का सन्देह रहा होगा कि वहाँ कोई न कोई मिस कुवी या जुलिया मुझे मिल जायेंगी और मुझ पर मर मिटेंगी। 

जिस पत्नी ने पूरी दुनिया घूमने से मुझे नहीं रोका, उसने किनिया जाने से मुझे मना कर दिया। खैर, पत्नी की मर्जी के बगैर वहाँ जाने का कोई औचित्य ही नहीं। मैं उस सिद्धान्त में यकीन ही नहीं करता कि किसी का दिल दुखा कर कोई काम किया जाये। मुझे हमेशा लगता है कि मैं अगर किसी का दिल दुखाना टाल सकता हूँ, तो टाल दूँ। 

पत्नी की खुशी के लिए मैं आज तक मिस कुवी और जुलिया के देश नहीं गया। अब मेरे दोस्त कहते हैं कि ये सारे मेल फ्रॉड होते हैं। ये ठगी करते हैं। 

लेकिन मैं पिछले कुछ दिनों से सोच रहा हूँ कि ये लोग आखिर किस तरह मुझे ठग सकते हैं। मेरे मेल बॉक्स पर कब्जा कर लेने से उन्हें क्या फायदा होगा। मेरे नाम से किसी को फालतू मेल भेजने से भी उन्हें क्या हासिल होगा। वो मुझसे पैसे माँगेंगी, ये भी सन्देह कुछ लोगों ने जताया है, लेकिन वो पैसे कैसे माँगेंगी। पैसे माँगने होते, तो पहले ही पैसे माँगतीं। वो तो मुझसे प्यार करती हैं। मुझ पर मिटी हैं। क्या पता रिश्तों की मेरी कहानियाँ पढ़-पढ़ कर उनका दिल भी रिश्तों के लिए मचल उठा हो। ऐसे में मुझे कोई कारण नहीं लगता कि मैं उनपर सन्देह करूँ। 

फिर भी आप सब मेरे परिजन हैं, आप सब अधिक अनुभवी हैं। क्या आपको भी लगता है कि ये फर्जी मेल होते हैं। मिस कुवी या मिस जुलिया नामक कोई लड़की होगी ही नहीं। मेरी पत्नी अगर इन दोनों काल्पनिक नामों से जल रही हो तो उसका जलना बनता है, लेकिन मेरे दफ्तर वाले साथी भी मुझे लगता है कि जल रहे हैं। मैंने उनसे पूछा था कि क्या आप में किसी ने इनके मेल का जवाब देकर ये जानने की कोशिश की थी कि ये हैं कौन। अगर हाँ, तो फिर इन्होंने आपको कैसे ठगा। अगर आपने मेल का जवाब नहीं दिया, आप ठगे ही नहीं गये, तो फिर आप मुझे कैसे बता रहे हैं कि ये ठग हैं। 

मेरे मेल वाले को भी पता नहीं क्यों मिस कुवी पर सन्देह हो चला है। कुवी जी के मेल आज-कल सीधे जंक फोल्डर में टपकते हैं। 

मुझे उनके सच या झूठ का नहीं पता, लेकिन उनका अनुरोध जिस तरह का होता है, उसमें मेरे मन में ये भाव आने लगा है कि कीनिया जाऊँ चाहे न जाऊँ पर एक बार उनसे बात करके देखने में क्या बुराई है। बेचारी इतनी दूर बैठ कर क्या पता मेरी खातिर हिन्दी ही सीख रही हो। कुछ भी हो सकता है। मुझे इस तरह किसी पर सन्देह नहीं करना चाहिए। 

मुझे आज आपको बताना था कि जून में पटना में आयोजित जिस कार्यक्रम में मेरी किताब लॉंच होने वाली है उसका नाम क्या तय हुआ है। आप लोगों ने बहुत सुन्दर-सुन्दर नाम सुझाए हैं। किसी ने ‘स से संजय’ सुझाया है, किसी ने ‘रिश्ते-2’ और किसी ने ‘धिल धड़कने दो’। किसी ने ‘फरिश्ते’ कहा है तो किसी ने कहा है कि किताब का नाम ‘जिन्दगी’ रख दो। पटना में होने वाले कार्यक्रम का आयोजन संजय सिन्हा फेसबुक फैमिली की ओर से नहीं किया गया है, इसलिए मैंने इस विषय में ज्यादा नहीं लिखा। फिर भी जो परिजन पटना या आसपास रहते हों, उनका इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है। मैं विस्तार से कार्यक्रम के विषय में एक दो दिन में यहाँ फेसबुक पर ही बता दूँगा। 

किताब का नाम आज शाम तक तय हो जायेगा। अगले हफ्ते तक किताब छप जाएगी। कौन-कौन से लेख उसमें लिए जायेंगे, ये सब तय हो चुका है, बस नाम पर मन्थन चल रहा है। वैसे ये तो आपको पता ही है कि नवंबर में फिर हम संजय सिन्हा फेसबुक परिजन मिलन समारोह में मिलेंगे। नवंबर 14-15 के आसपास जो शनिवार या रविवार होगा उस तारीख पर हम मथुरा में मिलेंगे। वहाँ के लिए तीसरी किताब तब तक तैयार हो चुकी होगी। उसका नाम भी सोचना शुरू कर ही दीजिए। 

बहुत से लोगों को लगता है कि मैं किताब बेचता हूँ, उनके वहम को दूर करने के लिए बता दूँ कि किताब बेच कर मुझे चवन्नी नहीं मिलती। मैं यहाँ फेसबुक पर रोज आपके लिए लिखता हूँ, उसमें से ढेरों लेख कई अखबार वाले निकाल कर छापते हैं, उनसे भी पैसे नहीं लेता। मेरे लिए किताब का छपना सिर्फ इस मायने में महत्वपूर्ण है कि मेरे रिश्तों की कहानी कई लोगों तक पहुँच जाती है, बस। 

खैर, आप लोग किताब खरीद कर अपने पास रखिएगा। मुझे किताब से लाभ हो न हो, प्रकाशक को तो होगा ही। मेरे लिए यही फायदा है कि मैं भी लेखक कहलाने लगूँगा। किताब के विषय में विस्तार से कल लिखने की कोशिश करूँगा। इस उम्मीद में कि पटना में रिलीज होने वाली किताब आप लोग इंटरनेट से मँगा कर या अगर दुकानों में मिली, तो वहाँ से खरीद कर अपने पास रखेंगे और मैं एक बेस्ट सेलर लेखक बन जाऊँगा। 

वैसे तो आज ही इस बारे में बात करनी थी, लेकिन मिस कुवी की चिन्ता में आज किताब की बात छोड़ कर वापस कुवी जी पर लौट रहा हूँ। अगर सचमुच किसी को अनुभव हो कि कुवी जी या जुलिया जी मुझे ठगने के लिए ही अप्रोच कर रही हैं, तो आप प्लीज मुझे बतायें। वर्ना मुझसे उनकी रोज-रोज की गुहार की अनदेखी करते नहीं बन रहा। मुझे लगता है कि कहीं वो मुझे अहँकारी ही न समझ बैठें। 

मेरे प्यारे परिजनों, प्लीज मुझे अपनी राय दें कि कुवी जी से दोस्ती करूँ या न करूँ। मेरी पत्नी ने आज तक मुझे किसी से दोस्ती करने से नहीं रोका है। कुवी जी के विषय में मैंने कभी उससे बात नहीं की, पर उसने कीनिया नहीं जाने दिया था, इसलिए मैं कुवी के विषय में उससे कुछ पूछना नहीं चाहता।

और हाँ, क्या आपके पास भी किसी कुवी या जुलिया जी की तरफ से दोस्ती वाला सन्देश आता है? अगर हाँ, तो आप क्या करते हैं?

(देश मंथन 28 मई 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें