विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
भारत के राष्ट्रपति के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन के परिसर में स्थित है मुगल गार्डन। ये बागीचा साल में सिर्फ एक महीने ही आम जनता के लिए खोला जाता है।
इसलिए मुगल गार्डन में घूमने का मौका आपको 14 फरवरी से 14 मार्च के बीच ही मिल पाता है। हालाँकि वसंत के इस मौसम में फूल शबाब पर होते हैं। इस दौरान ये गार्डन अपने खूबसूरती के चरमोत्कर्ष पर रहता है।
मुगल गार्डन नाम इसलिए है क्योंकि ये मुगल शैली में बनाया गया है। बागों की लोकप्रिय चार बाग शैली। इस शैली का बाग हुमायूँ का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, शालीमार बाग आदि में भी देखने को मिलता है। बाग के बीच में रास्ता और पानी की नहरें। मुगल गार्डन में 45 मीटर चौड़ाई वाले दो विशाल लॉन हैं। उद्यान की घास को हर मानसून के पहले हटा दिया जाता है। बारिश के साथ नयी घास लगायी जाती है।
उद्यान में चारों तरफ मौलश्री और बकुल के पेड़, चाइना आरेंज के पेड़, रात की रानी, मोगरा, मोतिया, जूही, गार्डेनिया, हर शिंगार, बागनबेलिया की खुशबू महसूस की जा सकती है।
जब आप मुगल उद्यान में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले आप पहुँचते हैं औषधीय उद्यान में। इस उद्यान में अलग-अलग तरह के औषधीय पौधे लगाए गये हैं। यहाँ इन पौधे का किन बीमारियों में इस्तेमाल होता है इसकी भी जानकारी दी गई है। जैसे मेंथा (दर्द में इस्तेमाल) लेमन ग्रास, तुलसी और तमाम तरह के पौधे इस उद्यान में लगाये गये हैं।
बोनसाई गार्डन
इसके बाद आप पहुँच जाते हैं बोनसाई गार्डन में। बोनसाई यानी विशाल पौधों को छोटा रखने की जापानी तकनीक। यहाँ पर 20 से 40 साल पुराने बोनसाई के पौधे देखे जा सकते हैं जो गमलों में लगे हैं।
म्यूजिकल फाउंटेन
उद्यान में जगह-जगह फव्वारे लगे हैं जो शाम होते हैं लोकप्रिय फिल्मी गीतों की धुनों पर जल क्रीड़ा करते नजर आते हैं। हालाँकि इन फव्वारों को वृंदावन गार्डन की तरह आप रात की रोशनी में नहीं देख सकते।
वृताकार गार्डन
राष्ट्रपति भवन के पृष्ठ भाग से आगे बढ़ने पर वृताकार गार्डन में आप पहुँच जाते हैं। इस विशाल गोलाकार गार्डन में अलग-अलग तरह के फूल लगाये गये हैं। इससे पहले बड़ी संख्या में चाइना संतरे के पेड़ आपका स्वागत करते हैं। इन पर संतरे खूब फले हुये दिखाई देते हैं पर आप इन्हे तोड़ नहीं सकते।
प्राकृतिक आबोहवा वाला नेचर पार्क
यहाँ पर अलग-अलग तरह के पौधे और फूल लगाये गये हैं जिनकी आबोहवा स्वास्थ्यकर है। शरीर के लिए प्राण वायु प्रदान करती है। यहाँ की बेंच पर आप बैठ गये तो आगे जाने की इच्छा नहीं होती।
नीलम संजीव रेड्डी वीथि
बाहर निकलने वाले मार्ग का नाम दिया गया है नीलम संजीव रेड्डी वीथि। आंध्र प्रदेश के रहने वाले नीलम संजीव रेड्डी अस्सी के दशक में भारत के राष्ट्रपति थे।
प्रणब मुखर्जी पब्लिक लाइब्रेरी
बाहर निकलते समय सफेद रंग का छोटा सा भवन दिखायी देता है प्रणब मुखर्जी पब्लिक लाइब्रेरी। ये पुस्तकालय राष्ट्रपति भवन में रहने वाले परिवारों के लोगों को अध्ययन के लिए बनाया गया है।
यादगारी की खरीदारी
आर्गेनिक तरीके से उगाये गये मसाले यहाँ से खरीदे जा सकते हैं। महिलाओं के स्व सहायता समूह द्वारा तैयार किये गये इन उत्पादों में हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर, जीरा आदि उपलब्ध है। इसके अलावा आप राष्ट्रपति भवन की तस्वीरों वाली चाबी रिंग, मैगनेटिक तस्वीर आदि खरीद सकते हैं। राष्ट्रपति भवन की कढ़ाई वाली टोपियाँ, टी शर्ट और राउंड नेक वाले टी शर्ट भी यहाँ पर बहुत ही वाजिब दाम पर उपलब्ध हैं। इन उत्पादों को पूरा मुगल गार्डन घूम लेने के बाद बाहर निकलने से पहले काउंटर पर खरीदा जा सकता है।
मुगल उद्यान का गीत
ये गीत खास तौर पर बच्चों के लिए समर्पित है। गीत की पंक्तियाँ उद्यान में बच्चों का स्वागत करती हैं। मुगल उद्यान में अकेले गुलाब की ही 250 से भी अधिक किस्में हैं। मुगल गार्डन की परिकल्पना लेडी हार्डिंग की थी। उन्होंने श्रीनगर में निशात और शालीमार बाग देखे थे, जो उन्हें बहुत पसंद आये थे। वे ऐसा ही उद्यान वायसराय हाउस में बनवाना चाहती थीं।
कैसे पहुँचे
मुगल गार्डन पहुँचने के लिए आप कहीं से भी केंद्रीय टर्मिनल बस स्टैंड पहुँचे। ये गुरुद्वारा रकाब गंज के आगे है। यहाँ से चर्च रोड होते हुए नार्थ एवेन्यू पहुँचे। यहीं पर राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 35 से मुगल उद्यान के लिए प्रवेश द्वार है। यहाँ पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। अंदर बैगेज और कैमरा लेकर नहीं जा सकते। इन्हें रखने के लिए प्रापर्टी काउंटर बना हुआ है। मुगल उद्यान के अंदर घूमते हुये जगह-जगह पीने के पानी के लिए काउंटर और चिकित्सा सहायता के लिए काउंटर खोले गये हैं। प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है।
अब सालों भर घूमे राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सालों भर राष्ट्रपति भवन के अंदर घूमने की सुविधा आरंभ करा दी है। इसके लिए आपको राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर जाकर बुकिंग करानी पड़ती है। इसमें टाइम स्लाट और तारीख एलाट हो जाता है। प्रवेश शुल्क 25 रुपये है। इसके लिए प्रवेश गेट नंबर 2 या फिर गेट नंबर 37 से है। कई किलोमीटर के दायरे में फैले भारत के राष्ट्रपति भवन में 37 से ज्यादा प्रवेश द्वार हैं।
(देश मंथन, 03 अप्रैल 2015)