विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पहाड़ों की तलहटी में एक सुंदर सा मंदिर। मंदिर के एक तरफ झील तो दूसरी तरफ लहलहाते नारियल के पेड़। मुंबई की भीड़ भरी जिंदगी में इतना सुंदर मंदिर तो ईश्वर की अराधना में लीन होने का आनंद और भी बढ़ जाता है। कुछ ऐसा ही मुंबई के तुर्भे एमआईडीसी इलाके में स्थित बाऊ कालेश्वर का मंदिर। मंदिर परिसर में सफेद रंग के तीन खूबसूरत मंदिर बने हैं।
एक गणेश जी का मंदिर है दूसरा कालेश्वर यानी शिव का तो तीसरा महाकाली का। यह मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है। साल 2007 में 24 जनवरी को इस मंदिर को आम जनता के लिए खोला गया। यह मंदिर तुर्भे रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर दूर खैराने में है। मंदिर के एक तरफ ऊँची पहाड़ी है। शाम को मंदिर परिसर से डूबता हुआ सूरज सुंदर दिखाई देता है। महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और विधायक गणेश नायक की इस मंदिर के निर्माण में प्रमुख भूमिका है। कहा जाता है गणेश नायक की पत्नी ने स्वप्न देखा उसके बाद उन्हें यहाँ मंदिर बनवाने की प्रेरणा मिली। मंदिर को 2000 वर्ग फीट के दायरे में बना है। इसके आसपास मंदिर का विशाल परिसर है। अब यहाँ सुबह शाम हजारों श्रद्धालु पहुँचने लगे हैं। बारिश के दिनों में अगर आप यहाँ पहुँचे तो पहाड़ों से झरनों में पानी आता दिखाई देता है जो इस मंदिर का सौंदर्य और बढ़ा देता है। आप यहाँ परिवार के साथ पहुँचते हैं तो आपको काफी आनंद आएगा।
मंदिर में शिव और गणेश की प्रतिमाएँ अदभुत खूबसूरत हैं। श्रद्धालु गणेश जी की श्वेत प्रतिमा को तो घंटों निहारते रहते हैं। मंदिर परिसर में पंडे, पुजारी, फूलवालों की कोई चिल्लपों नहीं है। आप बड़े आराम से यहाँ कुछ वक्त गुजार सकते हैं।
कैसे पहुँचे
नेरूल से थाणे वाली रेलवे लाइन पर तुर्भे रेलवे स्टेशन आता है। यहाँ से आटो या टैक्सी करें। मंदिर तुर्भे के एमआईडीसी में सी ब्लाक में स्थित है। आपको कोई भी रास्ते में इस मंदिर का पता बता देगा।
(देश मंथन 27 अप्रैल 2016)