चलिए मोनो रेल से देखें मुंबई

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

मोनो रेल यानी एक पहिए पर चलने वाली रेल। देश में मुंबई शहर में चलने लगी है मोनो रेल। इस बार मुंबई की यात्रा में हमारी दिली तमन्ना थी कि मोनो रेल का सफर किया जाये। सो 20 फरवरी की सुबह-सुबह मैं और अनादि तैयार हो गये मोनो रेल के सफर पर जाने के लिए।

अपने होटल के निकटतम लोकल ट्रेन के स्टेशन मस्जिद पहुँचे तो पता चला कि वडाला तक जाने वाले हारबर लाइन की लोकल दो दिनों के लिए बंद है। काउंटर वाले बाबू ने कहा, दादर तक चले जाइए। वडाला बगल में ही है। दादर पहुँच कर बाहर पूछने पर पता चला कि वडाला बगल में है जरूर पर मोनो रेल का वडाला डिपो स्टेशन यहाँ से दूर है। थोड़ा पूछते हुए हम लोग नयगाँव क्रासिंग भी पार कर गये। एक टैक्सी वाले ने बताया कि यहाँ से मोनो रेल का भक्ति पार्क स्टेशन नजदीक है। सो टैक्सी किया 65 रुपये किराया आया और हम पहुँच गए भक्ति पार्क मोनो रेल के स्टेशन।

मोनो रेल का स्टेशन बाहर से दिल्ली के मेट्रो रेल के स्टेशन जैसा ही है। हाईवे के ऊपर स्टेशन बनाना है। प्रवेश की सीढ़ियों के साथ एक्सलेटर भी लगे हैं। हम ऊपर पहुँचे। आखिरी स्टेशन चेंबूर तक का टोकन लिया। टोकन भी मेट्रो जैसा ही है। अभी अधिकतम किराया 9 रुपये है। प्लेटफार्म पर पहुँचे। मोनो रेल के दरवाजे भी मेट्रो की तरह ही खुलते हैं। पर कोच की आंतरिक बनावट अलग है। इसमें बीच में बैठने की सीट बनी है और चारों तरफ खड़े होने के लिए। कोच की चौड़ाई दिल्ली के मीटर गेज वाले मेट्रो कोच के बराबर ही है। इंजन (लोकोमोटिव) के बाद कुल चार कोच लगे हैं। 

हमें आसमानी, गुलाबी, और हरे रंग की मोनो रेल दिखायी दी। जब मोनो रेल रफ्तार भरती है लगता है मानो कोई साँप बल खाता हुआ टेढी-मेढ़ी चाल में रफ्तार भर रहा हो। मेट्रो की तुलना में मोनो रेल के ट्रैक में ज्यादा तीखे मोड़ आते हैं। स्पीड मेट्रो ट्रेन से कम है। पर चेंबूर तक के सफर में इतना आनंद आया कि हमने वापसी भी मोनो रेल से करने की ठानी। सो बाहर निकल कर वापसी का टोकन लिया। 

अभी मोनो रेल इन स्टेशनों से होकर गुजर रही है- चेंबूर, वीएनपी एंड आरसी मार्ग जंक्शन, फर्टिलाइजर टाउनशिप, भारत पेट्रोलियम, मैसूर कालोनी, भक्ति पार्क और वडाला डिपो। यानी कुल 7 स्टेशन हैं अभी। पर इसका निर्माण कार्य सेंट्रल मुंबई में जैकब सर्किल तक चल रहा है। ये ट्रैक चालू होने पर 18वां मोनो रेल स्टेशन होगा। वहीं मोनो रेल मुंबई के दिल दादर होकर भी गुजरेगी। दादर इसका 12वां स्टेशन होगा। अभी छोटी दूरी के बीच संचालित होने के कारण मोनो रेल मुंबई के लोगों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सकी है। किराया वाजिब है, पर ज्यादा लोग नहीं चलते है। हर 15 मिनट पर फ्रिक्वेंसी है। पर अभी मोनो रेल परिचालन लागात के लिहाज से घाटे में जा रही है।

एमएमआरडीए चलाती है मुंबई की मोनो रेल

मुंबई मोनो रेल का संचालन एमएमआरडीए यानी मुंबई मेट्रोपलिटन रीजनल डेवलपमेंट ऑथरिटी करती है। यानी यह महाराष्ट्र राज्य सरकार के अधीन है। आधुनिक भारत में यह देश की पहली मोनो रेल है। हालाँकि इससे पहले देश में दो बार मोनो रेल चलायी जा चुकी है। पटियाला स्टेट मोनो रेल पटियाला राजघराना ने चलाया था, जिसमें एक पहिया रेलवे ट्रैक पर तो दूसरा पहिया सड़क पर होता था। केरल के चाय बगानों में टाटा समूह ने भी कुंडाला वैली मोनो रेल चलायी थी। पर स्वतंत्र भारत में मुंबई में पहली बार मोनो रेल चल रही है। इस बीच मोनो रेल की तकनीक बदल चुकी है। मुंबई की मोनो रेल एलिवेटेड ट्रैक पर है। इसमें मेट्रो रेल की तरह लोहे की दो पटरियाँ या फिर पहिए नहीं हैं।  

मुंबई में मोनो रेल का निर्माण कार्य 2009 में आरंभ हुआ। पहली मोनो रेल का संचालन 2 फरवरी 2014 को आरंभ हुआ। फिलहाल सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक मोनो रेल चलायी जा रही है। इसे लार्सन एंड टूर्बो और मलेशिया की कंपनी स्कामी इंजीनियरिंग के सहयोग से बनाया गया है। मेट्रो की तरह इसके कोच भी वातानुकूलित हैं। इसके सभी कोच स्कोमी से बन कर मलेशिया से आए हैं। चार कोच वाले मोनो रेल में 568 लोग सफर कर सकते हैं। एक कोच में 18 लोगों के लिए बैठने की जगह और 142 लोगों के लिए खड़े होने की जगह है। हर कोच में दो सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। फिलहाल छह मोनो रेल की रैक संचालन में है। साल 2013 तक मुंबई में 135 किलोमीटर मोनो रेल का ट्रैक बनाने की योजना है। 

मुंबई मोनो रेल की अधिकतम स्पीड 80 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है, हालाँकि यह औसत 65 किलोमीटर की गति से चलती है। अगर ठहराव जोड़ दें तो औसत गति 31 किलोमीटर प्रति घंटे है। यानी मुंबई के लोकल ट्रेन से यह धीमी है। मुंबई लोकल 40 किलोमीटर पहुँचा देती है एक घंटे में। मोनो रेल 65 से 85 डेसीबल तक ध्वन प्रदूषण करती है जो बेस्ट की बसों से काफी कम है।

तकनीक की बात करें तो मोनो रेल में कोई पहिया नहीं होता। यह एलिवेटेड ट्रैक पर पटरियों को दोनों तरफ से पकड़ कर सरकती हुई चलती है। वास्तव में यह एक बीम होता है जिस पर रेल चलती है। इसलिए इसके डिरेलिंग यानी पटरी से उतरने की संभावना काफी कम है। यह बिजली भी ट्रैक से ही प्राप्त करती है। यानी इसमें ओवरहेड केबल नहीं होता है।

बिना किसी ट्रैफिक रुकावट के रेड लाइट से फ्री मोनो रेल का सफर रोमानी है। इसके कोच से आपको शहर का विहंगम नजारा दिखायी देता है। दुनिया के मोनो रेल की बात करें तो टोकियो की मोनो रेल काफी लोकप्रिय है, जिसमें रोज 1.27 लाख लोग सफर करते हैं।

(देश मंथन  21 अप्रैल 2016)

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