विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वुड्स आर लवली डार्क एंड डीप..बट आई हैव प्रामिस टू कीप…आई हैव माइल्स टू गो बिफोर आई स्लीप…राबर्ट फ्रेस्ट की ये पंक्तिया याद आती हैं जब हम हैदराबाद से श्रीशैलम की ओर जाते समय घने जंगलों से होकर गुजरते हैं। घने जंगलों का ये इलाका नागार्जुन श्रीशैलम टाइगर रिजर्व का है। ये देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है क्षेत्रफल के लिहाज है। इस अभ्यारण्य का विस्तार पाँच जिलों में है।
नालगोंडा, महबूब नगर, करनूल, प्रकाशम और गुंटुर जिले में इस वन क्षेत्र का विस्तार है। यह दो राज्यों में फैला हुआ है। करनूल, महबूब नगर, गुंटुर और प्रकाशम जिले आंध्र प्रदेश में आते हैं। तो नलगोंडा जिला तेलंगाना का हिस्सा हैं। यानी राज्य विभाजन के बाद नागार्जुन श्रीशैलम टाइगर रिजर्व दो राज्यों में बंट गया है। यह कुल 3568 वर्ग किलोमीटर में फैला है। वन के मुख्य क्षेत्र की भी बात करें तो यह 1200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इन घने जंगलों के बीच श्रीशैलम का बांध और मल्लिकार्जुन स्वामी का मंदिर मुख्य आकर्षण है। पर बड़ी संख्या में लोग इस वन क्षेत्र को भी घूमने के लिए आते हैं।
वन क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा नल्लामल्ला की पहाड़ियों में आता है। इसका 80% इलाका पहाड़ी है। आमराबाद, श्रीशैलम और मन्नानूर इस इलाके में कस्बाई क्षेत्र हैं जहाँ छोटा-मोटा बाजार है। बाकी इलाका घने जंगलों का है। मन्नानुर इस वन क्षेत्र का जनजातीय इलाका है। मन्नानुर में घड़ियालों का सरोवर देख सकते हैं। बड़ी संख्या में जंगलों में घूमने का शौक रखने वाले सैलानी यहाँ आते हैं। तेलंगाना टूरिज्म उनके लिए कुछ सुविधाओं का इंतजाम करता है। इस वन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा कृष्णा नदी के कैचमेंट एरिया (डूब क्षेत्र) में आता है। यहाँ जंगलों में आपको बाघ, लंगूर, चीता, जंगली कुत्ता, हिरण, स्लोथ बीयर, भालू, ब्लैक बक आदि के दर्शन हो सकते हैं।
बाघों की संख्या में कमी
हालाँकि अब यहाँ बाघों की संख्या में कमी आयी है। 2014 में यहाँ 68 बाघों के होने की जानकारी थी। पर साल 2015 में बाघों की संख्या बढ़ी है। कुछ नये शावकों को जन्म की खबर है। उम्मीद है साल 2018 तक यहाँ 100 से ज्यादा बाघ हो जाएँगे। हालाँकि 2006 में यहाँ 95 बाघ थे। इस तरह एक दशक में संख्या में कमी आयी है। इसका बड़ा कारण अवैध तौर पर शिकार है। जंगल का विस्तार काफी बड़ा होने के कारण यह बाघों के लिए आदर्श वन है।
श्रीशैलम के लौटते समय हमारी कैब सुंडीपेंथा में रुकती है। यह करनूल जिले का हिस्सा है। यहाँ पर आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से एक वन्य जीव संग्रहालय बनवाया गया है। यहाँ पर आप वन्य जीवों के बारे में थोड़ी जानकारी ले सकते हैं। साथ ही यादगारी में टोपियों और अन्य सामग्री खरीद सकते हैं। यहाँ पर एक उद्यान भी है जहाँ हिरण विचरण करते हुए मिल जाते हैं।
रात्रि में जाने की इजाजत नहीं
वहीं हैदराबाद की ओर से चलने पर आमराबाद टाइगर रिजर्व चेकपोस्ट आता है। यहाँ पर आगे जाने वाले वाहनों को शुल्क जमा करना पड़ता है। टैक्सी के लिए यह शुल्क 10 रुपये है। इस चेकपोस्ट से आगे वन क्षेत्र में रात्रि नौ बजे से सुबह 6 बजे तक जाने की इजाजत नहीं है। अगर आप चेकपोस्ट तक पहुँच गये हैं तो आपको यहीं पर रात्रि विश्राम करना होगा।
यहाँ पर रहने के लिए कमरे और डारमेटरी की सुविधा उपलब्ध है। कमरे के लिए आपको 600 रुपये देने पड़ सकते हैं तो डारमेटरी के लिए महज 20 रुपये और 100 रुपये में उपलब्ध है। वनमालिका कॉटेज में 1000 रुपये में वातानुकूलित कमरे भी उपलब्ध हैं। पर वन क्षेत्र में रात्रि में जाने की इजाजत नहीं है। तेलंगाना टूरिज्म ने यहाँ कम्युनिटी बेस्ड इको टूरिज्म प्रोजेक्ट का संचालन आरंभ किया है।
आमराबाद टाइगर रिजर्व में भी देश के बाकी उद्यानों की तरह टाइगर सफारी और एडवेंचर टूरिज्म का इंतजाम किया गया है। इसके लिए आपको तेलंगाना टूरिज्म की वेबसाइट पर संपर्क करना चाहिए।
(देश मंथन, 19 जनवरी 2016)