श्री हुजुर साहिब (नांदेड़) की ओर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

अमृतसर से नांदेड़ को जोड़ती है दैनिक चलने वाली सचखंड एक्सप्रेस। बड़ी संख्या में हर रोज पंजाब के श्रद्दालु हुजुर साहिब के लिए इस ट्रेन से रवाना होते हैं। एक दिन दिल्ली से हम भी इस रेल के मुसाफिर बन गये।

भुसावल जंक्शन में ट्रेन महाराष्ट्र में प्रवेश कर जाती है। सुबह-सुबह प्लेटफार्म पर खाने पीने की बहार है। इडली, डोसा, पकौड़े, बड़ा पाव, खम्मण, ढोकला सब कुछ 20 रुपये की प्लेट और भाई भुसावल है तो केले तो सस्ते होंगे ही यहाँ। पूरे देश में केला भुसावल से जाता है।

मनमाड जंक्शन में सचखंड एक्सप्रेस 20 मिनट रुकती है। यहाँ इसका इंजन पीछे की ओर लगता है। सचखंड एक्सप्रेस के प्लेटफार्म पर लंगर लगता है हर रोज। मनमाड के एक गुरुद्वारे की ओर से लंगर में दाल-रोटी मिलती है श्री हजुर साहिब की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए। जिन्हें मालूम था वे कटोरी और ग्लास में दाल भर कर लाये। लोग श्रद्धा से दान पात्र में रुपये भी देते जाते हैं।

ट्रेन आगे की ओर चल पड़ती है। औरंगाबाद, जलाना, परभणी होते हुए। मराठवाड़ा क्षेत्र के खेत ट्रेन की खिड़की से नजर आते हैं। खेतों में हरियाली नजर नहीं आ रही है। कहीं-कहीं वर्षा जल संचय के लिए तालाब बने हैं। सहयात्री बताते हैं कि पिछले कई सालों से मराठवाड़ा से इंद्र देवता मानो रूठ गये हैं। बारिश काफी कम हो रही है। पूरी खेती बारिश के भरोसे है। खेतों में उपज 10 फीसदी भी नहीं हो रही है। जमीन के भाव पूरे महाराष्ट्र की तुलना में सबसे कम हैं। परभणी जिले में बसंतराव नाइक कृषि विश्वविद्यालय का विशाल प्रवेश द्वार नजर आता है। इसी जिले में परली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जहाँ से स्व. गोपीनाथ मुंडे लोकसभा का चुनाव जीते थे। अब उप चुनाव में उनकी बेटी प्रीतम मुंडे जीत कर पहुँची हैं।

ट्रेन समय पर हुजुर साहिब नांदेड पहुँच जाती है। ये महाराष्ट्र का आखिरी जिला है। इसके आगे रेल मार्ग आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर जाता है। रेलवे स्टेशन के बाहर कई बसें लगी हैं जो श्रद्धालुओं के निःशुल्क सचखंड साहिब और लंगर साहिब ले जा रही हैं। एक बस में हम भी बैठ जाते हैं। रास्ते में एनआरआई निवास (वातानुकूलित) पंजाब भवन (वातानुकूलित) गुरु रामदास सराय, गुरु नानक देव जी यात्री निवास, रंजीत सिंह यात्री निवास आता है। हम सचखंड साहिब के स्वागत कक्ष पर पहुँचकर आवास सुविधा की माँग करते हैं। वे हमे वापस रंजीत सिंह यात्री निवास जाने को कहते हैं। एक-एक कर सभी यात्री निवास में हम जाते हैं कहीं जगह नहीं मिलती है।

सुंदर गुरुग्रंथ साहिब भवन 

अंत पहुँचते हैं गुरुग्रंथ साहिब भवन। यहाँ हमें शानदार कमरा महज 200 रुपये प्रतिदिन पर मिल जाता है। इस वृताकार भवन में ए से लेकर एच तक आठ ब्लाक बने हैं। बीच में संग्रहालय बना है चारों तरफ श्रद्धालु निवास। लॉन में अप्रतिम हरितिमा का वास है। क्यारियों में शानदार फूल खिले हैं। मन खुश हो जाता है हरियाली के बीच। हम शाम को सचखंड साहिब पहुँचते है मत्था टेकने के लिए।    

सचखंड साहिब गुरुद्वारा 

नांदेड़ स्थित ये ऐतिहासिक गुरुद्वारा गोदावरी नदी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। खालसा पंथ के पाँच तख्तों में से एक सचखंड साहिब। दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंघ जी ने अपने अन्तिम कुछ दिन इस स्थान पर गुजारे थे। इसी स्थान पर सरहंद के नवाब वजीर खान के भेजे हुये दो पठान भाइयों ने गुरुजी पर कातिलाना हमला किया था। यही वह पवित्र स्थान है जहाँ गुरु जी ने देह धारी गुरु प्रथा को समाप्त करते हुए गुरुगद्दी भी गुरु ग्रंथ साहिब जी के सुपुर्द कर दी थी। नांदेड़ में लंगर साहिब, गुरुद्वारा गोबिंद बाग, नगीना घाट जैसे दर्शनीय गुरुद्वारे भी हैं।

रामनवमी का दिन है। देश भर से आए श्रद्धालुओं से गुरु घर पटा पड़ा है। शाम को गुरुद्वारे में दशम गुरु द्वारा इस्तेमाल किये गये शस्त्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है। संगत उन्हें देखकर निहाल हो रही है। हमे लंगर की ओर जाने को कहा जाता है। लंगर में आज दाल-रोटी के साथ सब्जी और खीर भी मिली। 

(देश मंथन, 15 अप्रैल 2015)

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