विद्युत प्रकाश मौर्य :
अंबिका नदी के तट पर बसे नवसारी जिले के शहर बिलिमोरा से दिन भर में दो ही नैरोगेज रेलगाड़ियाँ वघई के लिए खुलती हैं, जो आपको गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा की ओर ले जाती हैं।
बिलिमोरा के मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर ये जानकारी दी गई है कि सापूतारा जाने के लिए गाड़ी यहाँ बदलें। हालाँकि इन गाड़ियों में सीटों के आरक्षण का कोई इंतजाम नहीं है। छोटी लाइन का बिलिमोरा में जंक्शन के प्लेटफार्म वाले हिस्से में भीड़भाड़ नहीं दिखाई देती है।
छोटी लाइन है तो स्टेशन की इमारत भी बड़ी लाइन की तुलना में छोटी सी है। इस लाइन के पास जेडीएम 5 सीरीज का 523 नंबर और 511 नंबर का लोको इस मार्ग पर अपनी सेवाओं के लिए मौजूद है। हिल स्टेशन की ओर जाने वाली ट्रेन के कुछ कोच को नीले रंग से रंगा गया है, जिस पर हरे-भरे पौधों की आकृतियाँ हैं। हरियाली के संग हिचकोले खाते हुए मस्ती में चलते हैं। इन कोचों पर पर्यावरण और इंधन बचाने के संदेश भी लिखे गए हैं।
बिलिमोरा में नैरोगेज के लिए अलग से सिनियर सेक्सन इंजीनियर का दफ्तर है। यहाँ पर नैरोगेज ट्रेन का छोटा सा वर्कशाप भी है जो वघई के बीच चलने वाली ट्रेन की जरूरतें पूरी करता है। साथ ही यहाँ नैरोगेज रेलवे स्टाफ का बड़ी कालोनी है। इस कालोनी में काफी हरियाली दिखाई देती है। कालोनी के फ्लैटों के आसपास हरे-भरे पेड़ लहलहा रहे हैं।
वघई लाइन पर शानदार सैलून
बिलिमोरा का नैरोगेज प्लेटफार्म ब्राडगेज के बगल में ही है। पर यहाँ पर कोई खास भीड़भाड़ नहीं दिखाई देती है। प्लेटफार्म पर एक टी स्टाल है जो बंद रहता है। इस नैरोगेज के स्टेशन पर शेड में नैरोगेज पर चलाया जाने वाला एक सैलून खड़ा दिखाई देता है। चमचमाते हुए इस सैलून को देखकर लगता है कि पश्चिम रेलवे ने इसे बिल्कुल मेनटेन करके रखा है। इसे देखकर लगता है कि इसमें कभी कभी अधिकारी और मेहमान वघई लाइन का दौरा करते होंगे।
1930 का बना हुआ मालगाड़ी का डिब्बा
यहाँ पर एक गुड्स ट्रेन का छोटा डिब्बा भी है जो समान्य मालगाड़ी के डिब्बे से भी आकार में आधा है। इस डिब्बे की छत पर किसी घर की छत की तरह टाइलें लगाई गई हैं। इसके निर्माण के बारे में जानकारी लिखी गई है उसके मुताबिक के 1930 का बना हुआ है। तब इसका इस्तेमाल स्क्रैप सामग्री की ढुलाई के लिए किया जाता था।
यूटीएस प्रणाली से टिकट
बिलिमोरा के नैरोगेज टिकट के काउंटर के बाहर इस बात की घोषणा बड़े शान से की गयी है कि ये भारत का पहला नैरोगेज नेटवर्क है, जहाँ यूटीएस प्रणाली से टिकट मिलता है। रेलवे की यूटीएस प्रणाली में किसी भी स्टेशन से कहीं का भी साधारण टिकट तीन दिन पहले भी बुक कराया जा सकता है।
बिलिमोरा वघई के बीच के स्टेशन
1. बिलिमोरा जंक्शन, 2 गणदेवी, 3. चिखली रोड, ( चिखली बाईपास के पास है ये स्टेशन) 4. रानकुवा, 5 धोलीकुवा, 6 अनावल, 7 उनाई वसुंदा, 8. केवड़ी रोड, 9 डूंगरदा और 10. वघई ( आखिरी रेलवे स्टेशन )
कभी था सामरिक महत्व
18वीं सदी में बड़ौदा स्टेट ने बिलिमोरा में अपना नौ सेना का स्टेशन बनाया था। यहाँ हमेशा 50 के करीब नावें तैयार रहती थीं जो, पुर्तगाली, डच और फ्रांसिसी कालोनियों के साथ कारोबार करती थीं। यहाँ से तिजारत में मिले सामानों के परिवहन में ये नैरोगेज काफी सहायक थी। किसी समय में बिलिमोरा में बड़ी संख्या में पारसी आबादी रहती थी।
शहर के अगियारी मुहल्ला पारसी बहुल हुआ करता था। किसी समय में बिलिमोरा को गुजरात का मैनेचेस्टर कहा जाता था। आज भी यहाँ 40 के करीब कंपनियाँ उत्पादन में लगी हैं। लोकप्रिय फिल्म मदर इंडिया के निर्देशक महबूब खान बिलिमोरा के रहने वाले थे। उन्होंने फिल्म मदर इंडिया के कई दृश्यों की शूटिंग बिलिमोरा के आसपास की थी।
(देश मंथन 05/03/15)