बंदरगाह को जोड़ती थी बिलीमोरा-वघई नैरोगेज लाइन

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

गुजरात में एक और नैरोगेज रेल संचालन में है बिलीमोरा जंक्शन और वघई के बीच। ये लाइन इस मायने में ऐतिहासिक है कि ये बड़ौदा रियासत के एकमात्र बंदरगाह बिलीमोरा को शेष गुजरात से जोड़ती थी। दोनों स्टेशनों के बीच एक जोड़ी ट्रेनों का रोज संचालन होता है।

दोनों स्टेशनों के बीच कुल दूरी 63 किलोमीटर है। कुल 9 मध्यवर्ती स्टेशन हैं बिलीमोरा और वघई के बीच। गणदेवी, चिखली रोड, रानकुवा, ढोलीकुवा, आँवल, उनानी, केवडी रोड, काला अंब और डूंगरडा बीच के स्टेशन हैं, जहाँ पैसेंजर ट्रेन रूकती हुई जाती है। 52001 पैसेंजर सुबह 10.20 बजे बिलीमोरा से चलकर 1.20 बजे वघई पहुँचती है। यानी तीन घंटे में 63 किलोमीटर का सफर। औसत गति की बात करें तो 20 किलोमीटर प्रति घंटे से थोड़ा सा ही ज्यादा है। वहीं शाम को 7.40 बजे 52003 बिलीमोरा से वघई के लिए दुबारा चलती है। इसी तरह दो जोड़ी रेलगाड़ियां वघई से बिलीमोरा की ओर वापस भी आती हैं। दोनों स्टेशनों के बीच किराया है 15 कुल रुपये।

बिलीमोरा गुजरात के नवसारी जिले का एक छोटा सा शहर है। ये शहर अंबिका नदी के किनारे स्थित है। यह गणदेवी तालुका का हिस्सा है। कभी ये क्षेत्र बड़ौदा रियासत का हिस्सा हुआ करता था। इस रेलवे लाइन का निर्माण भी बड़ौदा रियासत ने करवाया था। दरअसल बिलीमोरा बड़ौदा रियासत का प्रमुख नौसेना केंद्र हुआ करता था। यहाँ पर बिलीमोरा बंदर का निर्माण कराया गया था। इसलिए माल ढुलाई के लिए खास तौर पर नैरोगेज रेलवे लाइन का निर्माण कराया गया था। यानी ये रेलवे लाइन बड़ौदा रियासत के लिए सामरिक महत्व वाला था।

वघई नैरोगेज ट्रेन प्रमुख आकर्षण

वहीं वघई गुजरात के डांग जिले का एक छोटा सा शहर है। यह शहर अपने बोटानिकल गार्डन और कृषि महाविद्यालय के लिए जाना जाता है। पर बिलीमोरा वघई नैरोगेज ट्रेन भी इस क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण हो सकता है। वघई गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन है। हालाँकि सापूतारा जाने वाले लोग इस नैरोगेज का इस्तेमाल कम ही करते हैं क्योंकि ये हौले होले पहुँचाती है। वैसे सापूतारा आप महाराष्ट्र के नासिक रोड रेलवे स्टेशन से भी जा सकते हैं। नासिक रोड से सापूतारा का दूरी महज 70 किलोमीटर है। वहाँ से सापूतारा महज दो घंटे में पहुँचा जा सकता है। वहीं बिलीमोरा जंक्शन से सापूतारा जाने में अपेक्षाकृत ज्यादा वक्त लग जाता है।

(देश मंथन, 28 फरवरी 2015)

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