विद्युत प्रकाश मौर्य :
गुजरात के सूरत जिले में एक और सुस्त नैरोगेज ट्रेन सौ साले से अधिक समय से चल रही है। ये गुजरात में तीसरा नैरोगेज नेटवर्क जो संचालन में है वह है कोसंबा उमरपाडा के बीच। कोसांबा सूरत जिले का एक छोटा व्यापारिक शहर है। वहीं उमरपाडा सूरत जिले का ही एक तालुका है।
उमरपाडा सूरत शहर की भीड़भाड़ से दूर एक प्रदूषणमुक्त कस्बा है। यहाँ पास में देवघाट में खूसरत झरना है, जिसे देखने आसपास के सैलानी पहुँचते हैं। उमरपाडा के आसपास वन क्षेत्र है, जिसका सौंदर्य मन मोह लेता है। उमरपाडा से देवघाट की दूरी 10 किलोमीटर है। घने जंगलों के बीच स्थित झरने के उस पार स्थानीय आदिवासियों को मानना है कि उनके देवता का वास होता है। देवघाट में नाइट कैंप का इंतजाम है। पर इसके लिए वन विभाग सूरत से अनुमति लेनी पड़ती है।
कोसंबा उमरपाडा रेल मार्ग 62 किलोमीटर लंबा है। दोनों स्टेशनों के बीच कुल 9 मध्यवर्ती स्टेशन हैं। इस मार्ग पर दिन भर में सिर्फ एक पैसेंजर ट्रेन का संचालन होता है। आमतौर पर इसमें तीन से पाँच डिब्बे लगाए जाते हैं। इसे जेडडीएम सीरीज का लोको खिंचता है। इस मार्ग पर जेडडीएम 529, जेडीएम 537 लोको संचालित किए जा रहे हैं। इस रेलमार्ग पर इतनी भीड़ होती है कि कई बार लोग नैरोगेज ट्रेन की छत पर भी सफर करते हुए दिखाई दे जाते हैं।
कोसंबा वैसे तो ब्राडगेज का भी रेलवे स्टेशन है, पर यहाँ नैरोगेज भी है। सुबह 9.30 बजे 52047 नैरोगेज पैसेंजर कोसंबा जंक्शन से खुलती है। ये ट्रेन हौले-हौले चलते हुए दोपहर 1.45 बजे उमरपाडा पहुँचती है। यानी कुल 62 किलोमीटर का सफर 4 घंटे 15 मिनट में तय करती है। औसत गति हुई 15 किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम। तो ये प्रतापनगर जंबुसार की तरह ही सुस्त गति से चलने वाली ट्रेन है। रेल यात्री सलाहकार समिति इस ट्रेन की स्पीड बढ़ाने की कई बार माँग कर चुकी है। पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली है।
इतनी दूरी के लिए किराया है 15 रुपये। कोसांबा जंक्शन रेलवे स्टेशन मुंबई बड़ौदा ब्राडगेज मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां रेलवे स्टेशन पर एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है कि उमरपाडा जाने के लिए गाड़ियाँ यहाँ बदलिए। कोसंबा जंक्शन पर एक प्लेटफार्म नैरोगेज के लिए निर्धारित है। कोसांबा गुजरात के सूरत जिले के मंगरोल कस्बे में आता है। ये शहर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इस रेलवे लाइन के समानांतर स्टेट हाईवे नंबर 166 चलता है। कोसांबा उमरपाडा पैसेंजर मोटा मियां माँगरोल कस्बे के पास किम नदी पर बने पुल को पार करती है। इस मार्ग पर बीच में पड़ने वाला मोटा मियां माँगरोल बड़ा कस्बा आता है, जिसकी कुल आबादी 2 लाख के आसपास है। कोसांबा उमरपाडा रेल मार्ग पर सफर के दौरान गुजरात के हरे-भरे खेत नजर आते हैं। मार्ग में कुछ तीखे मोड़ भी आते हैं। वास्तव में ये ट्रेन सूरत जिले के एक बड़े हिस्से का आपको दर्शन कराती हुई चलती है।
कोसंबा उमरपाडा मार्ग के स्टेशन – कोसंबा, वेलाछा, लिंबाडा, आसरमा, सिमोधरा, कोसाडी हाल्ट, मोटा मियां मांगरोल, वानेकाल, जानखाव, केवडी, उमरपाडा।
इतिहास – इस रेलवे लाइन का निर्माण 1900 ईश्वी में गायकवाड बड़ौदा स्टेट रेलवे के तहत ही किया गया। इसके वास्तुकार थे ब्रिटिश इंजीनियर एई थॉमस। रेलवे लाइन बिछाने का ठेका मिला था गुजरात के ठेकेदार रामजी धनजी को। हालाँकि इस लाइन के निर्माण में रामजी धनजी को एक लाख रुपये का घाटा हुआ। उस समय के हिसाब से ये बड़ा घाटा था, फिर भी उन्होंने रेलवे लाइन को समय पर पूरा करके दिया। इससे ब्रिटिश इंजीनियर इतने प्रभावित हुए कि उन्हें पूरे आगरा बीना खंड में पटरी बिछाने का काम प्रदान कर दिया।
ब्राडगेज की माँग – 16 जुलाई 2014 को नवसारी लोकसभा से भाजपा के सांसद सीआर पाटिल ने लोकसभा में कोसांबा उमरपाडा नैरोगेज लाइन को ब्राडगेज में बदले जाने का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। साथ इस लाइन का विस्तार नानदरबार तक किए जाने की माँग की।
(देश मंथन, 27 फरवरी 2015)