ऋषि कपूर ने हाल में एक इंटरव्यू में नवाजुद्दीन सिद्दिकी को खूब खरी-खोटी सुना दी। इस पर फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने आज फेसबुक और अपने ब्लॉग चवन्नी चैप पर नवाजुद्दीन का पक्ष लेते हुए ऋषि कपूर पर नस्लवादी रवैया अपनाने का आरोप लगा दिया है।
(फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी (बायें) और पत्रकार अविनाश (दायें)।)
आखिर ऐसा क्या कहा ऋषि कपूर ने कि अजय ब्रह्मात्मज ने उन पर इतनी कड़ी टिप्पणी कर दी? और ऋषि कपूर भला क्यों भड़क गये नवाजुद्दीन सिद्दिकी पर? अजय ब्रह्मात्मज की इस टिप्पणी के बाद उनके और नवाजुद्दीन दोनों के मित्र पत्रकार अविनाश ने मामला जानने की कोशिश की।
पहले यह देखें कि अजय ब्रह्मात्मज ने क्या कहा? उन्होंने लिखा, “ऋषि कपूर ने नवाजुद्दीन सिद्दिकी के ऑब्जर्वेशन पर भड़क कर उनके बाप-दादा का भी नाम लिया और औकात की बात की। यह नस्लवादी रवैया है। दोस्तों यह है इनसाइडर का इगो। इस टिप्पणी के लिए ऋषि कपूर की भर्त्सना की जानी चाहिए।”
आगे ब्रह्मात्मज ने ऋषि कपूर की इस टिप्पणी को उद्धृत किया, “मैंने कहीं पढ़ा कि नवाजुद्दीन (सिद्दिकी) नाम के कोई एक्टर हैं, उन्होंने कुछ उल्टा-सीधा कहा है कि रोमांटिक हीरोज रनिंग अराउंड द ट्रीज. उनके बाप-दादा भी नहीं कर सकते हैं ऐसा काम। वो खुद तो क्या करेंगे। इट्स वेरी डिफिकल्ट टू ब्लडी सिंग सॉन्ग्स एंड रोमांस द ब्लडी डैम हीरोइन. डोंट थिंक्स इट्स ईजी। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की? तुम्हारी औकात क्या है कि तुम किसी में इंसपिरेशन डालो। तुम हो कौन यार? तुम कमेंट क्या पास करते हो कि व्हाट इज ग्रेट अबाउट डूइंग दैट? आपको पता है कि यह करने में क्या हुनर चाहिए होता है? कभी शाहरुख खान से पूछना, सलमान से पूछना, कभी अक्षय कुमार से पूछना, कभी जितेंद्र से पूछना, राजेश खन्ना तो रहे नहीं। बच्चन साब से पूछना… गाना गाना या रोमांस करना आसान काम नहीं है हिंदी फिल्मों में। मेरे दोस्त, मेरे अजीज, मेरे जूनियर नवाजुद्दीन शाह (सिद्दिकी) को यह पता नहीं, और उनको ऐसी गलत बात बिल्कुल नहीं बोलनी चाहिए। इट टेक्स लॉट ऑफ आर्ट, इट टेक्स लॉट ऑफ टैलेंट टू डू दिस। मैं आपके टैलेंट को दुत्कार नहीं रहा हूँ। मैंने सुना है कि आप बहुत अच्छे ऐक्टर हैं. एकाध पिक्चरें आपकी देखी भी हैं, जिसमें आप बहुत एवरेज थे। लेकिन दूसरे जो करते हैं, उसमें बहुत मेहनत लगती है। आपने जिंदगी में वह कभी किया नहीं है और आपको कभी मौका भी नहीं मिलेगा। आप कर भी नहीं सकते। आपकी इमेज नहीं है। आपमें वह टैलेंट नहीं है।”
अब बारी थी अविनाश की खोजबीन की। उन्होंने इस खोज-बीन में जो कुछ पाया, वह आगे लिखा है :
“राज कपूर की विरासत को अगर किसी ने कायदे से तरजीह दी, तो वे ऋषि कपूर हैं। मैं भाइयों के कुनबे को अलग कर रहा हूँ। शम्मी कपूर और शशि कपूर अपनी तरह के अनोखे अभिनेता थे। ऋषि कपूर इस मायने में सधे हुए हैं कि भूमिकाएँ उन्हें अलग-अलग कहानियों में अलग तरह से बुन लेती हैं। यह भी सच है कि हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत ऐसे दौर में हुई, जब रोमांस के सारे आयामों को निचोड़ा जा रहा था। आज सुबह अजय ब्रह्मात्मज की वॉल से पता चला कि ऋषि कपूर ने नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के बारे में कुछ कहा है, जो अच्छा नहीं है। मैंने ऋषि कपूर का पूरा टेक्स्ट पढ़ा। फिर पूरा इंटरव्यू, जो फिल्मफेयर के पत्रकार रघुवेंद्र सिंह ने लिया है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के खिलाफ गुस्से वाला टेक्स्ट इंटरव्यू का हिस्सा नहीं था। वह अलग से एक बॉक्स में था। तो यह साफ नहीं हो पाया कि ऋषि कपूर किस सवाल पर नवाज़ पर भड़क उठे। मुझसे रहा नहीं गया। मैं बात की जड़ तक पहुँचना चाहता था, सो मैंने नवाज़ को फोन मिला दिया। हमेशा की तरह उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया।
…और हमेशा की तरह कई घंटों बाद पलट कर उनका फोन आया। एक-डेढ़ साल पहले उन्होंने किसी इंटरव्यू में कहा था कि सिनेमा बदल रहा है, इसलिए उनके जैसे लोगों के लिए संभावनाएँ बनी हैं। गनीमत है पेड़ों के इर्द-गिर्द मँडराने वाले अभिनय का फिल्मी युग समाप्त हो गया।
यह एक सामान्य-सी बात है, जो नवाज़ ने कभी बातों-बातों में कह दी। ऐसा बहुत सारे लोगों का मानना है। नवाज़ तो फिर भी अभिनेता हैं, बहुत सारे फिल्मकारों ने हिंदी सिनेमा के उस चक्रव्यूह से निकल कर नयी जमीन तलाशी। सवाल ये है कि कब क्या सवाल पिच किया जाये और किससे किस तरह की प्रतिक्रिया ली जाये। रघु मेरे मित्र हैं, फिर भी मुझे लगता है कि नवाज़ को लेकर ऋषि कपूर से उनकी बातचीत इंटरव्यू से हट कर एक निजी-प्रसंग रहा होगा। उसे न छापते तो बेहतर था। बेवजह इससे गोलबंदी का मौका मिलता है। समरथ को नहीं दोष गुसाईं। इंडस्ट्री कभी ऋषि कपूर को गलत नहीं कहेगी, वह नवाज़ जैसों से किनारा करना शुरू करेगी।
मैं जब इस पूरे प्रसंग को देखता हूँ, तो मुझे न नवाज़ के बयान में कुछ दिक्कत नजर आती है, न ऋषि कपूर की प्रतिक्रिया में। नवाज़ ने व्यक्तिगत रूप से नहीं कहा था। पत्रकार ने अगर सवाल ऐसे रखा होता कि “कुछ लोग मानते हैं”, तो ऋषि कपूर सीधे नवाज़ पर हमला नहीं करते। चूँकि उन्हें लगा कि वे पेड़ के इर्द-गिर्द बहुत नाचे हैं और एक आज का अभिनेता उनके पूरे अतीत को खारिज कर रहा है, तो स्वाभाविक तौर पर बिफर पड़े।
ये सारा विवाद जल्द से जल्द मिट्टी में मिल जाए, उतना ही अच्छा।”
अविनाश की इस सदिच्छा और अजय ब्रह्मात्मज के आक्रोश का द्वंद्व फेसबुक पर कुछ और आगे बढ़ा। रघुवेंद्र से बात करने के बाद उन्होंने आगे जोड़ा, “अभी रघुवेंद्र से मेरी बात हुई। उन्होंने जानकारी दी कि ऋषि कपूर ने बिना किसी खास प्रसंग से अचानक नवाज़ के बारे में ये बातें कहनी शुरू कर दी। मैं जहाँ तक रघु को जानता हूँ, उनकी पत्रकारिता सनसनी से अलग रही है और वे तथ्यपरक रिपोर्ट लिखते रहे हैं। मैं उनकी लेखनी का प्रशंसक हूँ। मेरे लिखे में उन पर कोई हमला या आरोप नहीं है – बल्कि सिर्फ एक सदिच्छा थी कि नवाज़ वाली बात सार्वजनिक न होती तो अच्छा था।”
लेकिन अजय ब्रह्मात्मज अपने रुख पर कायम हैं। वे आगे लिखते हैं, “स्वाभाविक तौर पर बिफर पड़े’ ….यह स्वभाव ही तो नस्लवादी है। तुम्हारी औकात क्या है और तुम्हारे बाप-दादा भी नहीं कर सकते। माफ करें ऋषि कपूर की प्रतिक्रिया स्वाभाविक नहीं है। और यही स्वभाव है तो श्रेष्ठग्रंथि का शिकार है।”
देखना दिलचस्प होगा कि ऋषि कपूर के इंटरव्यू पर भड़का यह विवाद आगे क्या रंग लेता है। लेकिन कोई पत्रकार उन पेड़ों का भी तो इंटरव्यू करे, जिनके इर्द-गिर्द ऋषि कपूर नाचा करते थे! कोई उनकी नहीं सुनेगा क्या!
(देश मंथन, 24 मार्च 2014)