विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कांगड़ा की हसीन वादियों के बीच पालमपुर शहर। शहर के अंदर तो बाकी शहरों की तरह भीड़भाड़ दिखायी देती है। पर यहाँ से धौलाधार पर्वत के उच्च शिखर दिखायी देते हैं। खास तौर पर जब इन शिखरों पर बर्फबारी हो गयी हो तो इनका सौंदर्य और बढ़ जाता है।
भौगोलिक तौर पर कांगड़ा जिले की बात करें तो यह देश के कई छोटे राज्यों से बड़ा है। वैसे इस जिले में कांगड़ा, धर्मशाला, मैकलोगंज, नगरोटा बागवां पपरोला जैसे कई शहर आसपास में ही पर पालमपुर की बात निराली है। आप यूँ समझे कि ये हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी है। 1472 मीटर 4829 फीट की ऊँचाई पर स्थित पालमपुर का मौसम सालों भर सुहाना रहता है। हालाँकि गरमियों में तापमान 34 डिग्री तक जाता है। पर सरदी में यह माइनस 4 तक भी चला जाता है।
शहर के बाहर कांगड़ा के चाय बगान नजर आते हैं। आसपास चीड़ के जंगल भी हैं। अगर आपकी इच्छा जंगलों में ट्रेकिंग की है तो इसका भी आनंद उठा सकते हैं। पानी के छोटे-छोटे झरने और हरियाली मिल कर पालमपुर के नयनाभिराम दृश्यावली प्रदान करते हैं। तो मशहूर पेंटर सोभा सिंह का गाँव अंद्रेटा पास में स्थित हैं। यहाँ पर उनकी पेंटिंग गैलरी भी है, जिसे आप देख सकते हैं। 1947 में सोभा सिंह को यहाँ की आबोहवा इतनी पसंद आ गयी कि यहीं पर आकर वे बस गये।
डॉक्टर जेमसन 1849 में पालमपुर के आसपास चाय के बगान लेकर आये। इसके बाद कांगड़ा वैली टी की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन गयी। 1941 में यहाँ पंडित जवाहर लाल नेहरू आये तो उनकी याद में शहर में नेहरू चौक बना है। यहाँ पर हिमाचल प्रदेश का एक कृषि विश्वविद्यालय भी है। तकरीबन 70 हजार की आबादी वाले पालमपुर शहर का बाजार बदल रहा है। अब यहाँ पर ब्रांडेड उत्पादों के शोरूम नजर आने लगे हैं। पालमपुर कांगड़ा जिले का सबसे बड़ा शहर बन चुका है।
यहाँ पर ट्रैकिंग और पारा ग्लाइडिंग का भी आनंद उठा सकते हैं। काफी सैलानी होली तक ट्रैकिंग और बीर-बिलिंग में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए पहुँचते हैं। पालमपुर भाजपा के वरिष्ठ नेता और साहित्यकार शांता कुमार का घर है।
पालमपुर में कांगड़ा वैली रेलवे का पालमपुर हिमाचल नामक रेलवे स्टेशन भी है। यहाँ आप पठानकोट से इस नैरोगेज ट्रेन से भी पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन के पास रेलवे स्टाफ का क्वार्टर भी है। यहाँ वायु मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट तक नियमित फ्लाइट्स भी आती हैं। वैसे पठानकोट से सड़क मार्ग से दूरी 112 किलोमीटर है। यहाँ पंजाब के होशियारपुर शहर से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
पालमपुर के पास अलहिलाल में आर्मी का बड़ा केंद्र है। पपरोला के रास्ते में विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट का योग और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र नजर आता है। पालमपुर के आसपास आप चामुंडा देवी और पपरोला में बैजनाथ मंदिर देखने जा सकते हैं। चामुंडा देवी की दूरी 20 किलोमीटर है तो पपरोला की दूरी 18 किलोमीटर है। आप पालमपुर को केंद्र बना कर भी कांगड़ा की वादियों में घूम सकते हैं। रहने के लिए पालमपुर में हर स्तर के होटल मौजूद हैं।
(देश मंथन, 27 फरवरी 2015)