विद्युत प्रकाश :
झारखंड का का सुंदर शहर हजारीबाग। इस शहर के बीचों बीच स्थित है पँच मंदिर। जैसा की नाम से जाहिर होता है मंदिर परिसर में पाँच मंदिर बने हैं। इसके पाँच गुबंद दूर से ही खूबसूरत नजारा पेश करते हैं।
मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी की सुंदरता देखते ही बनती है। इसे आप काफी देर तक निहार सकते हैं। सही मायने में पँच मंदिर हजारीबाग शहर की पहचान है। मंदिर के आसपास घना बाजार है। हजारीबाग शहर के झंडा चौक से पँच मंदिर कुछ कदम की दूरी पर है।
शैव और वैष्णव मत का मेल
मंदिर की खास बात है कि इसके अंदर शिव और कृष्ण दोनों की की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। यानी ये मंदिर शैव और वैष्णव दोनों की आस्था का संगम है। मंदिर परिसर में स्थित पाँच अलग अलग मंदिरों में राधाकृष्ण, शिव, माँ दुर्गा, सूर्य देवता, और हनुमान जी की स्थापना की गयी है। मुख्य मंदिर राधाकृष्ण का है जबकि इसके चारों तरफ शिव, दुर्गा, हनुमान और सूर्य की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। मंदिर की परिक्रमा करते हुए आप समस्त देवताओं के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के अंदर रंगरोगन अच्छा दिखता है पर परिसर में सफाई की कमी दिखायी देती है। मंदिर के अंदर शादी विवाह, कन्या देखने और अन्य तरह के अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं जिसके शुल्क का विवरण मंदिर परिसर में बोर्ड लगाकर लिखा गया है।
सौ साल पुराना मंदिर
इस सुंदर शिव कृष्ण मंदिर का निर्माण मैदा कुंवारी नामक महिला ने 1901 में कराया था। उन्होंने मंदिर के रखरखाव के लिए एक ट्रस्ट का निर्माण कराया। इस ट्रस्ट में 15 परिवार शामिल हैं। मंदिर के हिस्से में आज की तारीख में बताया जाता है कि एक हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। मंदिर को स्थापित करने वालों के वंशज इस ट्रस्ट की देखभाल करते हैं।
मंदिर और विवाद
सौ साल से अधिक पुराना ये पँच मंदिर इन दिनों अपनी संपत्ति को लेकर विवादों में हैं। मंदिर की जमीन का बड़ा हिस्सा एनटीपीसी प्रोजेक्ट के अधिग्रहण में चला गया है। इससे मंदिर को 800 करोड़ की राशि एनटीपीसी से मिलनी है। पर इस राशि को लेकर पँच मंदिर के ट्रस्टी और अन्य लोगों को में कई सालों से विवाद चल रहा है। मंदिर का संस्थापक महिला की वसीयत कैथी भाषा में लिखी गई थी। कहा जाता है कि वसीयत में यह भी लिखा गया है कि मंदिर की संपत्ति बेची नहीं जाएगी। कई साल से चल रहे इन विवादों का असर मंदिर की व्यवस्था पर पड़ रहा है। जिला प्रशासन भी विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रहा है।
(देश मंथन, 16 जुलाई 2014)