विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुंबई के कई अच्छे चेहरे हैं। इसमें एक है यहाँ की टैक्सी और आटो सेवा। मुंबई में कोई टैक्सी वाला आपको दिन हो या रात कभी भी कहीं जाने से मना नहीं करेगा। हमेशा मीटर से चलने की बात करेंगे। कोई किराया की बारगेनिंग नहीं। मुख्य मुंबई के इलाके में तो आटो रिक्शा चलते ही नहीं हैं। सिर्फ टैक्सी सेवाएँ हैं।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चर्चगेट, गेटवे ऑफ इंडिया, फोर्ट, कोलाबा और आसपास के इलाकों में बस के अलावा टैक्सी ही विकल्प है। पर इन टैक्सी का किराया वाजिब है। न्यूनतम किराया है 22 रुपये, जिसमें आप 1.4 किलोमीटर तक जा सकते हैं। यानी डेढ़ किलोमीटर का सफर 20 से 25 रुपये के दायरे में। ये साइकिल रिक्शा के किराया के बराबर ही तो है। हम मुंबई प्रवास के दौरान सीएसटी से अपने होटल जो एक किलोमीटर था 20 रुपये दे कर टैक्सी से चले जाते थे। मुंबई की पीली काली टैक्सी देख कर मेरे बेटे ने कहा का पापा पुरानी फिएट या एंबेस्डर में सफर करेंगे। नए मॉडल की गाड़ियाँ तो हर जगह दिखायी दे जाती हैं।
संयोग से हमें दो या तीन बार फिएट में सफर करने का मौका मिल भी गया। साल 2013 में आए आदेश के बाद मुंबई में टैक्सी सेवा से 20 साल पुरानी गाड़ियों को फेज में बाहर किया जा रहा है। चूंकि फिएट यानी प्रीमियर पद्मिनी कार सन 2000 में बननी बंद हो गयी, इसलिए मुंबई की सड़कों पर टैक्सी में अब प्रीमियर पद्मिनी कम ही दिखायी देती है। टैक्सी ड्राइवर 20 साल पूरे होने के बाद पुरानी कार के बदले नयी कारें ले रहे हैं। पर प्रीमियर पद्मिनी कार की अपनी शान है।
भारत में प्रीमियर पद्मिनी कार 1964 से सन 2000 तक बनती रही। ये एंबेस्डर की तुलना में छोटे आकार की सीडान कार थी। मारुति के आने के बाद इसकी माँग में कमी आने लगी। पर ये कार लाखों लोगों की लंबे समय तक पसंद बनी रही। चार दरवाजों वाली इस कार का निर्माण भारत में वालचंद समूह करता था. इसका निर्माण मुंबई के कुर्ला में होता था। प्रीमियर पद्मिनी विदेशी कंपनी फिएट से लाइसेंस लेकर कारों का निर्माण कर रही थी। चूंकि माडल फिएट का था इसलिए तमाम लोग प्रीमियर पद्मिनी को फिएट नाम से ही पुकारते थे। पर 1100 से 1221 सीसी की इस कार नाम 14 वीं सदी राजपूत रानी पद्मिनी के नाम पर रखा गया था। इसका निर्माण प्रीमियर आटोमोबाइल्स करती थी इसलिए कार का पूरा नाम हुआ प्रीमियर पद्मिनी। यह 4 सिलेडंर की पेट्रोल कार थी।
अब हुंडई की टैक्सियाँ दिखायी देती हैं मुंबई में
पर तमाम हूंडाई, डेवू जैसी तमाम विदेशी कंपनियों की कारों से प्रतिस्पर्धा के बीच घटती बिक्री के कारण वालचंद समूह ने कंपनी को वापस फिएट को बेच डाला। अब फिएट अपने मूल नाम से भारत में आ गयी। इस तरह प्रीमियर पद्मिनी का नाम इतिहास बन गया। धीरे-धीरे मुंबई मुंबई की टैक्सी सेवा से भी गायब हो रही प्रीमियर पद्मिनी सन 2020 के बाद मुंबई की सड़कों पर भी दिखायी नहीं देगी। पर देश भर में इस कार के लाखों दीवाने हैं जो सन 1973 मॉडल की प्रीमियर पद्मिनी कार को भी सड़कों पर शान से दौड़ा रहे हैं।
(देश मंथन 18 अप्रैल 2016)