ऋषि अगस्त्य की भूमि पुडुचेरी

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

तमिलनाडु के पास नन्हा सा राज्य पुडुचेरी या पांडिचेरी महान ऋषि अगस्त्य की भूमि मानी जाती है। वही अगस्त्य मुनि जो समुद्र को पी गये थे। जिन्होंने संसार की श्रेष्ठ भाषा तमिल का आविष्कार किया। हालाँकि पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश है पर यहाँ विधान सभा चुनाव कराये जाते हैं दिल्ली की तरह। पुडुचेरी का विस्तार कुल 479 वर्ग किलोमीटर में है। साल 2011 की जनगणना में पुडुचेरी की आबादी 12.48 लाख थी।

चार क्षेत्र में बंटा 

पुडुचेरी का संघ राज्यं क्षेत्र चार क्षेत्रों – पुडुचेरी, कराईकाल, माहे और यनम से मिलकर बना है। पुडुचेरी और कराईकाल तमिलनाडु के पूर्वी तट पर हैं, जबकि यनम आंध्र प्रदेश ( ईस्ट गोदावरी जिला) और माहे केरल में पश्चिम तट पर कोचीन के पास है। पुडुचेरी एक नवंबर 1954 को आजाद हुआ, यानी देश की आजादी के सात साल बाद। पुडुचेरी में आज भी बड़ी संख्या में तमिल हैं, जिनके पास फ्रेंच पासपोर्ट होता है। 

पुडुचेरी की आध्यात्मिक शक्ति तब बढ़ी जब यहाँ अरविदों आश्रम की स्थापना हुई। हर साल दुनिया भर से हजारों लोग सुकून की तलाश में यहाँ आते हैं। पुडुचेरी आकर लोगों को अनोखी आध्याात्मिक अनुभूति होती है। यहाँ के निवासियों की कहानियाँ शुरुआती दिनों के इतिहास बताती हैं। यहाँ पोंडी नाम का अर्थ यहाँ के अपनेपन की भावना को समाहित करता है जो घर आने जैसा है।

बड़े शहर की भागदौड़ से दूर पुडुचेरी दक्षिणी तट पर एक छोटा शांत कस्बाै है। यहाँ के फ्रांसीसी संबंध, पेड़ों की कतार से भरे हुए किनारे, उपनिवेश काल कि विरासत कहे जाने वाले भवन, आध्याणत्मिक पवित्रता, अछूते सुंदर तटों के अं‍तहीन किनारे, बैक वॉटर, कई प्रकार के स्वाद परोसने वाले रेस्तअराँ, यहाँ आने वाले सैलानियों का मन मोह लेते हैं। यह आपके लिए एक आदर्श स्थाोन है यदि आप अपने व्यस्त जीवन से अलग हटकर आनंद के कुछ पल गुजारना चाहते हैं।

फ्रेंच आधिकारिक भाषा 

तमिल, तेलुगु, मलयालम और फ्रेंच यहाँ की आधिकारिक भाषाएँ है। यहाँ की मुख्यच भाषा तमिल, तेलुगु और मलयालम हैं। अंग्रेजी और फ्रेंच अन्यँ भाषाएँ हैं जो काफी संख्याल में लोग बोलते हैं। यहाँ अधिकांश लोग हिन्दू  हैं। यहाँ ईसाई और मुस्लिम समुदाय की अच्छीै संख्याल है, जबकि जैन, सिक्खू और बौद्ध लोग भी थोड़ी संख्या में हैं।

भारत का यह क्षेत्र लगभग 300 वर्षों तक फ्रांसीसी अधिकार में रहा है और आज भी यहाँ फ्रांसीसी वास्तुशिल्प और संस्कृति देखने को मिल जाती है। पुडुचेरी 1670 से 1954 तक एक प्रमुख फ्रांसीसी उपनिवेश था। फ्रांसीसियों ने पांडिचेरी में लगभग तीन शताब्दियों तक निर्बाध शासन किया और शहर में सबसे अच्छी संस्कृति और वास्तुकला के रूप में एक महान विरासत छोड़ गये। पुडुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था, जिसमें 4 जिलों का समावेश था। पुदुच्चेरी का नाम पॉन्डिचरी इसके सबसे बड़े जिले पुदुच्चेरी के नाम पर पड़ा था। 

सितम्बर 2006 मे पॉन्डिचरी का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर पुदुच्चेरी कर दिया गया, जिसका कि स्थानीय तमिल मे अर्थ नया गाँव होता है।

पुराने समय में यह फ्रांस के साथ होने वाले व्यापार का मुख्य केंद्र था। आज अनेक पर्यटक इसके सुंदर समुद्र तटों और तत्कालीन सभ्यता की झलक पाने के लिए यहाँ आते हैं। केवल पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। इस कारण प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं।

कैसे पहुँचे 

पुडुचेरी शहर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 162 किलोमीटर की दूरी पर है। चेन्नई से बस से पुडुचेरी जा सकते हैं। वैसे सीधी रेलगाड़ी भी यहाँ आती हैं जो तिरूपति वेल्लोर, विलुपुरम होकर यहाँ तक पहुँचती हैं। सिंगल लाइन विद्युतीकृत रेल ट्रैक है पुडुचेरी तक। दिल्ली से पुडुचेरी के लिए सीधी ट्रेन भी उपलब्ध है।

हमारा पहले दिन का पुडुचेरी में ठिकाना बना होटल श्री साईराम। बस स्टैंड से 400 मीटर की दूरी पर है होटल। कमरे काफी बड़े और हवादार। बुकिंग क्लियर ट्रिप से कराई थी। स्टाफ का व्यवहार अति सौम्य रहा। हमने एक दिन बाद की बुकिंग दूसरे होटल में करा ली थी वरना ये रहने के लिए अच्छी जगह थी। 

हमारा दूसरा दिन होटल सुबुया में गुजरा। ये होटल लाल बहादुर शास्त्री स्ट्रीट पर महात्मा गांधी स्ट्रीट  क्रास से ठीक पहले है। यहाँ से रेलवे स्टेशन आधा किलोमीटर है। होटल में बेहतर रेस्टोरेंट है। रूम रेंट में सुबह का नास्ता शामिल रहता है। फ्री वाईफाई भी है। सभी कमरे वातानुकूलित हैं। पर कमरे आकार में छोटे हैं। होटल में पार्किंग मीटिंग हाल आदि भी सुविधा है।

(देश मंथन, 10 नवंबर 2015)

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