विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
देश का सबसे लंबा सड़क सह रेल पुल (RAIL CUM ROAD BRIDGE) अब हकीकत बन चुका है। इसके साथ ही बिहार निवासियों के सपनों को पँख लग गये हैं। अब उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच करोड़ों लोगों का संपर्क सुलभ हो सकेगा।
यह बिहार में गंगा पर बना दूसरा रेल पुल है। इससे पहले मोकामा में राजेंद्र पुल 1959 में शुरू हुआ था। दीघा सोनपुर रेल सह सड़क पुल का निर्माण इरकॉन इंटरनेशनल ने किया है। पाटलिपुत्र जंक्शन से सोनपुर रेलवे स्टेशन की दूरी 14.33 किलोमीटर है, जबकि गंगा ब्रिज की लंबाई 4.56 किलोमीटर है।
36 स्पैन वाला है यह पुल
दीघा-पहलेजा रेल सह सड़क पुल में कुल 36 स्पैन हैं। साल 2002 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 2007 तक निर्माण कार्य करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन इसके निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने की अवधि बढ़ती गयी। मार्च 2015 में इसे पूरा हो जाना था, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं हो सका। रेल बजट में पहलेजा-दीघा पुल के लिए आवंटन का प्रावधान करने के साथ मंत्रालय के आदेश पर काम में तेजी आयी।
के-ट्रस तकनीक से बनने वाला पहला पुल
पहलेजा-दीघा रेल सह सड़क पुल का निर्माण नवीनतम के-ट्रस (K TRUSS) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक से अब तक अमेरिका में पाँच रेल सह सड़क पुल, सर्बिया और नेपाल में एक और भारत में पहला पुल बने हैं। इस तकनीक से पुल के निर्माण में कम खर्च में हल्का और मजबूत पुल बनता है। पहलेजा-दीघा रेल सह सड़क पुल की लंबाई 4.55 किलोमीटर है। निर्माण में बड़े पैमाने पर स्टील का इस्तेमाल किया गया है। हम यह कह सकते हैं कि स्वतंत्र भारत के सबसे बेहतरीन पुलों में से एक है।
19 साल पहले हुआ था सर्वे
1996 में पहली बार पटना के आसपास गंगा में रेल पुल के लिए सर्वे किया गया था। उस वक्त रामविलास पासवान रेलमंत्री थे। उसी समय दीघा-सोनपुर, गुलजारबाग-हाजीपुर और एलसीटी घाट-सोनपुर के बीच सर्वे हुआ था। एनडीए की सरकार में जब नीतीश कुमार रेलमंत्री थे तो उन्होंने दीघा-पहलेजा के बीच रेल पुल की परियोजना पास करायी। बाद में इस पुल में सड़क को भी शामिल किया गया, ताकि गाँधी सेतु पर वाहनों का दबाव कम किया जा सके।
गंगा पुल और आंदोलन
सोनपुर और आसपास के लोगों ने पहलेजा घाट में ही रेल पुल बनाये जाने को लेकर आंदोलन किया। इसमें एक आंदोलनकारी की गोली लगने से मौत भी हो गई। जून 1996 में पुलिस फायरिंग में आंदोलन के दौरान अभिषेक नामक युवक की मौत हो गयी थी। तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान चाहते थे कि पुल गुलजारबाग और हाजीपुर के बीच बने। पर किसी जमाने में सोनपुर से पहलेजाघाट तक रेल जाती थी। वहाँ से महेंद्रू घाट के लिए रेलवे की स्टीमर सेवा चलती थी। इसलिए सोनपुर को लोग चाहते थे कि पुल सोनपुर से पटना के बीच ही बने।
देवेगोड़ा ने किया था शिलान्यास
22 दिसंबर 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगोड़ा ने सोनपुर में रेल पुल की आधारशिला भी रख दी। पर बाद में इस पुल को गुलजारबाग के तरफ बनाने की खींचतान चलने लगी। इस क्रम में कई साल की देरी हुई। कई इस दौरान आईआईटी कानपुर और रूड़की ने दीघा सोनपुर के बीच रेल पुल के मॉडल को बेहतर पाया।
निर्माण के 14 साल
कई साल बाद वह घड़ी आई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 फरवरी 2002 में गंगा नदी पर रेल पुल के निर्माण का शिलान्यास किया। इस मौके पर तब के रेलमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे। हालाँकि तब यह सिर्फ रेल पुल था लेकिन 2006 में इसके निर्माण के रूपरेखा में बदलाव कर इसे रेल कम रोड ब्रिज में परिवर्तित किया गया। इसमें नीचे रेल और ऊपर सड़क मार्ग बनाया गया है। ठीक वैसे ही जैसे वाराणसी और मुगलसराय के बीच का रेल पुल है।
पहले लोकोमोटिव ने लगायी दौड़
सात अगस्त 2105 को सोनपुर की ओर से जब पहले लोकोमोटिव ने इस पुल पर दौड़ लगायी तो लोगों की खुशी देखने लायक थी। ट्रायल इंजन को हरी झंडी दिखा जाने के एक दिन पहले सोनपुर की तरफ से इस पुल पर पहला लोकोमोटिव सफलतापूर्वक दौड़ा। नारियल फोड़े गये। पुजारी ने मंत्र पढ़ा और पूर्व मध्य रेल का डीजल लोको डीजीएस 374 ट्रैक पर सरपट दौड़ पड़ा। इस मौके पर रेलकर्मचारियों और पुल निर्माण से सालों से जुड़े लोगों का उत्साह देखने लायक था।
करोड़ों लोगों को लाभ
दीघा सोनपुर इस रेल सह सड़क पुल से दक्षिण बिहार के लोगों के लिए सोनपुर मेला जाना आसान हो सकेगा। साथ ही उत्तर बिहार के सारण, सीवान, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण का संपर्क राजधानी पटना से सुगम हो सकेगा। इतना ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल तक का संपर्क बेहतर हो सकेगा। इस रेल पुल के आरंभ होने के साथ ही पटना में पाटलिपुत्र नामक एक व्यस्त रेलवे स्टेशन अस्तित्व में आ रहा है। दानापुर से आगे जाने वाली ट्रेनें पाटलिपुत्र पहुँचेंगी। वहीं पटना जंक्शन से फुलवारीशरीफ होती हुई उत्तर बिहार की ओर जाने वाली ट्रेनों का पड़ाव भी पाटलिपुत्र होगा।
पुल की लंबाई – 4.55 किलोमीटर
पाटलिपुत्र से सोनपुर – 14.5 किलोमीटर
निर्माण लागात – 2921 करोड़
और दौड़ पड़ी पैसेंजर ट्रेन
शिलान्यास के ठीक 14 साल बाद 03 फरवरी 2016 को पटना दीघा पुल पर पहली पैसेंजर ट्रेन पाटलिपुत्र से दीघापुल होकर सोनपुर हाजीपुर होते हुए बरौनी के लिए चली। ये डीएमयू ट्रेन थी जो शाहपुर पटोरी होते हुए बरौनी पहुँची। इस तरह करोड़ों लोगों का सपना साकार हुआ। इस नए रेल मार्ग से पाटलिपुत्र जंक्शन से हाजीपुर की दूरी 21 किलोमीटर है और पैसेंजर किराया 15 रुपये। पाटलिपुत्र से गोरखपुर, नरकटियागंज, सीवान, छपरा, सोनपुर, मुजफ्फरपुर, बरौनी जैसे प्रमुख शहर सीधे रेल से जुड़ गये हैं। दीघा पुल के मार्ग पर स्टेशन – पाटलिपुत्र- पहलेजा, परमानंदपुर- सोनपुर
(देश मंथन, 15 मार्च 2016)