विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
सालासर के बालाजी भगवान यानी हनुमान जी देश भर के बजरंगबली के भक्तों में काफी लोकप्रिय हैं। सालासर बालाजी का मन्दिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष भर में लाखों भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। सालासर बालाजी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मन्दिर के आसपास भक्तों के आवास के लिए 180 से ज्यादा धर्मशालाएँ, सेवा सदन और होटल बने हैं।
सालासर में बाला जी का मन्दिर का परिसर अति विशाल है। मन्दिर में बालाजी की प्रतिमा पूर्व मुखी है। मन्दिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश के बाद आपको लंबी लाइन में लगकर बाला जी के दर्शन प्राप्त होते हैं। मन्दिर में मंगलवार और शनिवार को ज्यादा श्रद्धालु पहुँचते हैं।
कहा जाता है कि यहाँ स्थापित होने की इच्छा स्वयँ बजरंगबली ने प्रकट की थी। तब करीब ढाई सौ साल पहले बालाजी के परम भक्त बाबा मोहनदास ने यहाँ बालाजी की स्थापना की। मन्दिर सुबह 5 बजे प्रातः आरती के साथ खुलता है। शाम को 8 बजे संध्या आरती और रात 11 बजे शयन आरती होती है। दिन भर मन्दिर में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते हैं।
हर पूर्णिमा के दिन सालासर में मेला लगता है। श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। इसके अलावा हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेले लगते हैं जो कई दिनों तक चलते हैं। इन मेलों के समय 6 लाख से ज्यादा लोग सालासर पहुँच जाते हैं। मेला और मन्दिर का प्रबंधन हनुमान सेवा समिति देखती है।
मोहनदास की धुनी
मन्दिर के आग्नेय क्षेत्र में बाबा मोहनदास की धूनी है। कई साल से यहाँ अखंड धूनी जल रही है। श्रद्धालु इस अखंड धूनी से राख लेकर जाते हैं। इसके बाद आता है बाबा मोहनदास की समाधि। आमतौर पर श्रद्धालु बाबा मोहनदास के भक्त की समाधि के दर्शन करके ही भक्त बालाजी के दर्शनों के लिए आगे बढ़ते हैं।
मोहन मन्दिर
मोहन मन्दिर, बालाजी मन्दिर के पास स्थित है। यहाँ मोहनदास जी के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं। इस स्थान को इन दोनों पवित्र भक्तों का समाधि स्थल माना जाता है। पिछले आठ सालों से यहाँ निरन्तर रामायण का पाठ किया जा रहा है।
बालाजी की कथा
शक्ति पीठ का इतिहास सन् 1754 ई. में नागौर के असोटा निवासी साखा जाट को घिटोला के खेत में हल जोतते समय एक मूर्ति मिली। रात को स्वप्न में श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुँचाने का आदेश दिया। उसी रात सालासर में भक्त मोहनदास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन देकर कहा कि असोटा ठाकुर द्वारा भेजी गई काले पत्थर की मूर्ति को धोरे (टीले) पर ठाकुर सालम सिंह की उपस्थिति में स्थापित कर देना। धोरे पर जहाँ बैल चलते-चलते रुक जाएँ, वहीं श्री बालाजी की प्रतिमा स्थापित करना। वह बैलगाड़ी (रेड़ा) आज भी सालासर धाम में दक्षिण पोल पर दर्शनार्थ रखी हुई है।
अंजनी माता मन्दिर
बालाजी मन्दिर के दो किलोमीटर पूरब तरफ चलने पर अंजनी माता का मन्दिर है। इस मन्दिर का श्रंगार अति सुन्दर है। अंजनी माता भगवान हनुमान या बालाजी की माँ थी। अंजनी माता का मन्दिर सालासर धाम से लक्षमणगढ़ जाने वाली सड़क पर स्थित है। यह मन्दिर ग्राम जुलियासर में पड़ता है।
कैसे पहुँचे
दिल्ली से जोधपुर जाने वाली ट्रेन से सुजानगढ़ उतरें। यहाँ से 25 किलोमीटर है सालासर। अगर बीकानेर जाने वाली ट्रेन हो तो रतनगढ़ उतरें। रतनगढ़ से सालासर 55 किलोमीटर है। अगर जयपुर से आ रहे हैं तो मीटरगेज लाइन पर लक्ष्मणगढ़ उतरें। यहाँ से सालासर 30 किलोमीटर है। इन सभी शहरों से बस सेवा उपलब्ध है। दिल्ली से सीधे बस से जा सकते हैं। बस रेवाड़ी, नारनौल, सिंघाना, चिड़ावा, मुकंदगढ़ होते हुए जाती है। चुरु और सीकर और जयपुर शहर से भी सालासर के लिए सीधी बसें मिल जाती हैं।
कहाँ ठहरें
सालासर में 180 से ज्यादा होटल, धर्मशाला और सेवा सदन हैं। ये सेवा सदन सितारा होटलों की तरह भव्य बने हैं। यहाँ 500 रुपये में डबलबेड एसी रुम मिल जाता है। मन्दिर के पास मुरलीधर मानसिंह धर्मशाला में 100, 200 के अटैच टायलेट वाले कमरे उपलब्ध हैं। यहाँ 600 रुपये में एसी कमरा है जिसकी एडवांस बुकिंग भी कराई जा सकती है। (फोन नंबर – 01568-252953 और 01568 252067) सालासर में कई सेवा सदन में भोजनालय भी हैं। जींद सेवा सदन, गंगा नगर बाबा मोहनदास में शाकाहारी भोजनालय हैं। गंगानगर में 50 रुपये में अनलिमिटेड थाली मिलती है। हनुमत धाम में 70 रुपये की थाली है। यहाँ 24 घंटे भोजन मिलता है।
(देश मंथन, 25 जुलाई 2015)