विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
लेटकोर पीक यानी शिलांग पीक। यहाँ से पूरे शिलांग शहर का नजारा देखना अदभुत अनुभव है। चोटी से जो विहंगम नजारा दिखायी देता है उसे आप कभी भूल नहीं सकते। वास्तव में ये शिलांग की सबसे ऊँची जगह है।
पूरे शिलांग शहर की तुलना में यहाँ ठंड भी थोडी ज्यादा रहती है। सुबह से लेकर शाम तक सूरज की चटकीली धूप में शिलांग पीक से शहर को अलग-अलग कोण से निहारिए। हर कोण से एक नया शहर दिखायी देता है। यही कारण है शिलांग आने वाले लोग यहाँ जरूर पहुँचते हैं और उस हरे-भरे हिल स्टेशन को निहारते हैं। शिलांग पीक की ऊँचाई 1,965 मीटर यानी 6,446 फीट है ।
यह न सिर्फ शिलांग का बल्कि पूरे मेघालय का सबसे ऊँचा प्वाइंट है। यहाँ से बांग्लादेश की सीमा भी दिखायी दे जाती है। वास्तव में मेघालय देश के सबसे पूराने पर्वत श्रंखला का हिस्सा जो कोयला और लोहा से भरपूर है। शिलांग पीक का वास्तविक नाम लेटकोर है। यह मूल शिलांग शहर यानी पुलिस बाजार से 15 किलोमीटर के आसपास दूरी पर स्थित है।
वास्तव में शिलांग पीक लेटकोर में स्थित वायु सेना के स्टेशन के अंदर स्थित है। इसलिए यहाँ पहुँचने वालों को कड़ी जाँच पड़ताल से गुजरना पड़ता है। सिर्फ स्थानीय टैक्सियाँ ही वायुसेना स्टेशन के प्रवेश द्वार के अंदर जा सकती है। प्रवेश द्वार पर ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस जमा कर लिया जाता है। सैलानी का आई कार्ड चेक किया जाता है। एयर स्टेशन के प्रवेश द्वार और अंदर वायुसेना स्टेशन के इमारतों की फोटोग्राफी भी प्रतिबंधित है। आप शिलांग पीक से नजारों की चाहे जितनी मर्जी फोटो लें उस पर कोई रोक नहीं है। शिलांग पीक पर कार पार्किंग का टिकट सैलानी को देना पड़ता है। यहाँ खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। बहुत ज्यादा वक्त तक रुकने भी अनुमति नहीं है। वायुसेना स्टेशन के अंदर एक केंद्रीय विद्यालय लेटकोर भी है। वायुसेना कर्मियों के परिवार के बच्चों के लिए इस स्कूल की स्थापना 1985 में हुई। यहाँ वायु सेना का रडार स्टेशन भी है।
बारिश के दिनों में शिलांग पीक पर बादल दिखायी देते हैं तो सरदी की सुबह में यहाँ बर्फ की हल्की सी चादर भी जमी हुई दिखायी देती है। शिलांग पीक पर भी आप परंपरागत खासी परिधान में फोटो खिंचवा सकते हैं। इसके लिए थोड़ा सा किराया देना पड़ेगा।
शिलांग पीक पर फोटो खींचते समय एक सज्जन मिलते हैं जो अपने मोबाइल कैमरे से मुझे फोटो खींचने का आग्रह करते हैं। मैं फोटो खींचने के साथ उनका परिचय पूछता हूँ। पता चला बिहार के रहने वाले हैं और यहीं लोकटर वायुसेना स्टेशन में कार्यरत हैं। तीन साल से यहाँ पर हैं। पर अब तबादला हो गया है। इसलिए आखिरी दिन शिलांग पीक पर अपनी फोटो लेकर यहाँ के निवास को यादगार बनाना चाहते हैं। सचमुच कोई जगह छोड़ना हो तो उसका असली महत्व पता चलता है। रास्ते में वायुसेना का एक और परिवार मिलता है जो बताता है कि सुबह लेटकोर में तेज ठंड पड़ती है। साथ ही यहाँ से शहर जाने के लिए वाहनों की बहुत कमी है।
कैसे पहुँचे
शिलांग के बाजार से शिलांग पीक पहुँचने के लिए आपको टैक्सी बुक करनी पड़ेगी। सार्वजनिक वाहन से यहाँ पहुँचने का इंतजाम नहीं है। आप शिलांग भ्रमण के पैकेज में भी शिलांग पीक को शामिल करके टैक्सी बुक कर सकते हैं। मुझे पूरा शिलांग घूमाने वाले टैक्सी ड्राइवर वांकी हैं। वे खासी समुदाय से आते हैं। अपनी टैक्सी से लोकल साइट के अलावा सैलानियों को चेरापूंजी भी ले जाते हैं। मस्त आदमी हैं उनका फोन नंबर है-87229 54465 वे फेसबुक और वाट्सएप पर भी हैं। आप शिलांग चेरापूंजी घूमने के लिए उनकी सेवाएँ ले सकते हैं। उनके साथ घूमते हुए मजा आएगा।
(देश मंथन, 23 मार्च 2016)