डमरू वाले देवता शिव का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से तीन महाराष्ट्र में पड़ते हैं। नासिक के पास त्रयंबकेश्वर, औरंगाबाद के पास  घुश्मेश्वर और पुणे के पास भीमाशंकर। पुणे से भीमाशंकर का रास्ता अत्यन्त मनोरम है। सह्याद्रि क्षेत्र की हरियाली के पग-पग पर दर्शन होते हैं। ये महाराष्ट्र का सबसे समृद्ध इलाका है।

यहाँ वसुन्धरा का सबसे खूबसूरत रूप देखने को मिलता है। मन्चर के बाद से तो पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है। छोटी-छोटी नदियाँ और जंगल आते हैं रास्ते में। भीमाशंकर मन्दिर एक छोटे से गाँव में हैं जो तीन तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। अब भीमाशंकर में भी आवासीय व्यवस्था बन चुकी है। शाम को देर हो गई तो यहाँ भी रुका जा सकता है। मन्दिर के पास बस स्टैंड, कार पार्किंग, आवासीय होटल आदि का इन्तजाम है।

शिव का 12 ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर छठे नंबर पर है। डाकिन्या भीमाशंकर मतलब डमरू वाले देवता का मन्दिर। डमरु वाले तो हैं ही शिव। भीमाशंकर ग्राम पंचायत भोरागिरी, तहसील खेड जिला पुणे में पड़ता है। मन्दिर इतनी ऊँचाई पर है कि यहाँ से संपूर्ण कोंकण क्षेत्र का नजारा दिखायी देता है। किसी समय में यहाँ आना मुश्किल था। जंगली जीव ज्यादा दिखायी देते थे। पर पहाड़ियाँ वन औषधियों से भरी हुई हैं। मन्दिर परिसर में आपको तमाम तरह की वन औषधियों की दुकानें मिल जायेंगी।

इस मन्दिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए भीमकाय शरीर धारण किया। इसलिए उनका नाम भीमाशंकर पड़ गया। युद्ध के बाद थकान मिटाने के लिए शिवजी सहयाद्रि के उस ऊँचे स्थान पर विश्राम करने लगे। तब उस समय उनके शरीर से पानी का प्रवाह निकला जिससे भीमा नदी का उदगम हुआ। मन्दिर के बगल में ही भीमा नदी का उदगम स्थल देखा जा सकता है।

पूरा मन्दिर काले रंग के पत्थरों से बना हुआ है। मन्दिर परिसर से भी पहाड़ों का सुन्दर नजारा दिखाई देता है। पेशवाओं के दीवान नाना फडणवीस ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया। साथ ही मन्दिर के पास दो कुन्ड बनवाये। पुणे के चिमणजी नाइक ने मन्दिर के पास एक सभामंडप का निर्माण कराया। मन्दिर परिसर में विष्णु की दशावतार की मूर्तियाँ भी देखी जा सकती हैं।

प्रसाद में पेड़ा 

मन्दिर परिसर में प्रसाद के रूप में शुद्ध घी में बना हुआ पेड़ा मिलता है। श्री क्षेत्र भीमाशंकर संस्थान मन्दिर की व्यवस्था देखता है। आप दिये गये दान की रसीद ले सकते हैं। मुख्य मन्दिर के प्रवेश द्वार पहुँचने के बाद आपको मन्दिर के  गर्भगृह तक जाने के लिए सैकड़ों सीढ़ियाँ उतरनी पड़ती है। सालों भर मन्दिर परिसर  में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ नहीं होती, पर सावन में और शिवरात्रि के समय भीड़ बढ़ जाती है।

कैसे पहुँचें 

श्रीक्षेत्र भीमाशंकर की पुणे से दूरी 120 किलोमीटर है। पुणे के शिवाजी नगर बस स्टैंड से भीमाशंकर के लिए बस सेवा है। सुबह में चलने वाली बस 4 घंटे लगाती है भीमाशंकर पहुँचाने में। आप सुबह चलकर भीमाशंकर दर्शन करके शाम को पुणे वापस लौट सकते हैं। वैसे भीमाशंकर का निकटवर्ती बड़ा बाजार पुणे नासिक हाईवे पर मन्चर है। मन्चर में रहने के लिए अच्छे होटल और खाने पीने की सुविधा उपलब्ध है। मन्चर से भी भीमाशंकर की दूरी 65 किलोमीटर है। अगर नासिक की तरफ से आ रहे हैं तो मन्चर से पहले नारायण गाँव से ही भीमाशंकर जा सकते हैं। अगर आप पुणे से अपनी गाड़ी लेकर चलें तो ज्यादा अच्छा है।

(देश मंथन 05 मई 2015)

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