परमपावन धाम श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर – कोटद्वार

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

कोटद्वार शहर के बाहर पहाड़ की तलहटी में खोह नदी के किनारे स्थित है सिद्धबली हनुमान मंदिर। यह स्थान तीन तरफ से वनों से ढका हुआ बड़ा रमणीक है। सड़क से मंदिर तक पहुँचने के लिए खोह नदी पर पुल बना हुआ है। गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार कस्बे से कोटद्वार-पौड़ी राजमार्ग पर लगभग तीन किलोमीटर आगे लगभग 40 मीटर ऊँचे टीले पर स्थित है गढ़वाल प्रसिद्ध देवस्थल सिद्धबली मन्दिर। यह हनुमान जी का एक पौराणिक मन्दिर है। इस मंदिर में आने वाले साधकों को अप्रतिम शांति की अनुभूति होती है।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां साधना करने के बाद एक  बाबा को हनुमान की सिद्धि प्राप्त हुई थी। तब सिद्ध बाबा ने यहाँ बजरंगबली की एक विशाल पाषाण प्रतिमा का निर्माण किया, जिससे इसका नाम सिद्धबली हो गया । कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल में एक मुसलिम सुपरिटेंडैण्ट घोड़े से कहीं जा रहे थे, जैसे ही वह सिद्धबली के पास पहुँचे बेहोश हो गये। उनको स्वप्न आया कि सिद्धबली कि समाधि पर मन्दिर बनाया जाए। जब उन्हें होश आया तो उन्होने यह बात आस-पास के लोगों को बताई और वहाँ तभी से यह विशाल मन्दिर अस्तित्व में आया। पहले यह एक छोटा सा मन्दिर था। पर पौराणिकता और शक्ति की महत्ता के कारण श्रद्धालुओं ने इसे भव्यता प्रदान कर दी है।

यह मन्दिर न केवल हिन्दू-सिक्ख धर्मावलंबियों का है अपितु मुस्लिम लोग भी यहाँ मनौतियाँ माँगने आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु लोग दक्षिणा तो देते हैं ही यहाँ भंडारा भी आयोजित करते हैं। यहाँ हर मंगलवार और शनिवार को भंडारा होता है। पर भंडारा कराने के लिए अगले आठ नौ सालों के लिए भक्त बुकिंग करा चुके होते हैं। इस स्थान पर कई अन्य ऋषि मुनियों का आगमन भी हुआ है। इन संतो में सीताराम बाबा, ब्रह्मलीन बाल ब्रह्मचारी नारायण बाबा एवं फलाहारी बाबा प्रमुख हैं।

यह मन्दिर का अदभुत चमत्कार ही है कि खोह नदी में कई बार बाढ़ आया किन्तु मन्दिर ध्वस्त होने से बचा हुआ है। यद्यपि नीचे की जमीन खिसक गयी है किन्तु मन्दिर का बाल बांका नहीं हुआ। 

मंदिर के बाहर निःशुल्क जूताघर बना है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए शीतल जल का इंतजाम है। मंदिर के ऊपर से आसपास का सुंदर नजारा दिखाई देता है। इस मंदिर को दान देने वाले में देश के बड़े-बड़े उद्योगपति शामिल हैं। मंदिर का प्रसाद गुड़ की भेली दिखाई देती है। कदाचित बिजनौर नजीबाबाद में गन्ने की खेती अधिक होने के कारण इधर लोग गुड़ प्रसाद में चढ़ाते हैं। 

कैसे पहुँचे 

श्री सिद्धबली बाबा मंदिर दिल्ली से लगभग 230 किलोमीटर दूर एवं हरिद्वार से 70 किलोमीटर दूर और नजीबाबाद जंक्शन से 30 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड प्रदेश के कोटद्वार शहर में स्थित है। कोटद्वार रेलवे स्टेशन से शेयरिंग ऑटो रिक्शा से 7 से 10 रुपये में पहुँचा जा सकता है।

(देश मंथन 24 जून 2016)

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