संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं कभी सोते हुए बच्चे को चुम्मा नहीं लेता। मुझे पता है कि सोते हुए बच्चे को चुम्मा लेने से कोई फायदा नहीं, उल्टे नुकसान है।
पहली बात तो यह कि सोते हुए बच्चे को आप अगर चूमेंगे तो उसे पता ही नहीं चलेगा कि आपने उसे दुलार किया है। दूसरी बात यह कि सोते हुए बच्चे को चूमने पर उसके जागने और जाग कर रोने का खतरा होता है, ऐसे में बच्चे की माँ भी चिढ़ जाती है कि अच्छा भला सोते बच्चे को जगा दिया। कहने का मतलब यह कि जो बच्चा जागा हुआ हो, माँ की गोद में खेल रहा हो और माँ उसे दुलार कर रही हो, उसी बच्चे को अपनी गोद में लेकर दुलारने की कोशिश करनी चाहिए। अले…ले…ले, कितना दुलाला है… लाजकुमाल… इतना बोल कर बच्चे को चूमिये और फिर माँ की गोद में पकड़ा दीजिये। बच्चा भी खुश और माँ भी खुश।
लेकिन यह ज्ञान मुझे तब मिला जब मैं नुकसान उठा चुका था। हुआ यह कि जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था तब मेरे कॉलेज की सबसे ‘सुंदर’ लड़की मुझ पर मर मिटी। मैं क्लास में कभी प्रथम श्रेणी वाला विद्यार्थी तो था नहीं, लेकिन मैं बाकी विद्यार्थियों को जो बताता उससे उनके नंबर आ जाते थे। ऐसे में कई लोग मेरा ठीक-ठाक इस्तेमाल कर लेते थे, मैं अपना इस्तेमाल खुद नहीं कर पाता था। लेकिन मैंने पढ़ाई में दूसरों की बहुत मदद की।
सोच रहा हूँ कि उस लड़की का नाम लिखूँ या नहीं। वह कहाँ है, ये तो मुझे आज भी पता है, लेकिन उसका नाम लिख कर मैं उसे दुविधा में नहीं डालना चाहता। कायदे से तो मुहब्बत की कहानी उस स्याही से लिखनी चाहिए जो पढ़ने के चंद सेकेंडों के बाद सफेद हो जाये। मुहब्बत के सफर पर चलते हुए अपने कदमों के निशान मिटाते चलने चाहिए। इसलिए नहीं कि कोई आपका कुछ बिगाड़ लेगा। ऐसा इसलिए कि प्रेम कहानी में दो लोग समाहित होते हैं, और बिना दूसरे की अनुमति के उसके कदमों के निशान बयां नहीं किये जाने चाहिए।
किसी ने मेरी वाल पर ही टिप्पणी की थी कि लड़कियाँ अपने प्रेम के ‘निशान’ को सीने में जज्ब कर लेती हैं, और लड़के ‘होठों’ पर। इसीलिए प्रेम के मामले में लड़कियों के लिए सबसे बड़ी शर्त प्रेम की ‘गोपनीयता’ होती है और सबसे छोटी शर्त भी ‘गोपनीयता’ ही होती है। अगर आप उसके प्रेम को ‘गोपनीय’ नहीं रख सकते तो मेरा यकीन कीजिए (सभी पुरुष परिजन) कि लड़की आपसे प्रेम भी नहीं कर सकती।
लड़कियाँ मूल रूप से कोमल होती हैं, प्रेम में ईमानदार होती हैं और बहुत उम्मीदों से भरी होती हैं। उनके सपने छोटे, लेकिन अनगिनत होते हैं। कई बार बहुत अजब-गजब भी होते हैं। अब आप सभी को इसका तो अनुभव है ही, इसे मैं क्या साझा करूँ। आता हूँ मूल मुद्दे पर।
तो मेरी ग्रेजुएशन वाली दोस्त ने कभी मुझे आई लव यू नहीं कहा, ना मैंने कहा। हम रोज कॉलेज में मिलते, और अलग हो जाते। जिस दिन हमारा आखिरी पेपर था, ठीक पेपर से पहले वो मेरे पास आयी और पर्स से निकाल कर अपनी शादी का कार्ड मेरे सामने रख दिया।
उस पर लिखा था, “रानो वेड्स मनोज…।”
आखिरी पेपर अंग्रेजी का था, मुझसे सवाल पढ़े नहीं जा रहे थे, लग रहा था मुर्गियों के पाँव को स्याही में डुबो कर उस सवाल पत्र पर दौड़ा दिया गया है। एक-एक अक्षर मुर्गियों के पाँव के निशान की तरह नजर आ रहे थे।
मुझे भी नहीं पता कि उन अक्षरों के क्या जवाब मैंने दिये। सवाल था ‘ओ हेनरी’ की कहानियों पर और मैं लिख आया था ‘ओलिवर गोल्ड स्मिथ’ के ड्रामा के बारे में। बहुत मुश्किल से एक सवाल पढ़ पाया था कि ‘ ओ हेनरी’ की कहानी ‘द लास्ट लीफ’ में क्या संदेश छिपा है? मुझे याद है कि मैंने भी मुर्गियों के पाँव को स्याही में डुबो कर अपनी कॉपी पर दौड़ा दिया था। अंग्रेजी में लिख आया था, “गोबर में जो फूल खिलते हैं उनकी कोई अहमियत नहीं होती। गोबर में खिले फूलों को ना तो कोई भगवान की मूर्ति पर चढ़ाता है ना कोई उसका गजरा बनाता है। लेकिन गोबर में फूल खिलने बंद नहीं होते। फूलों का काम है खिलना। चाहे जहाँ खिलें, खिलेंगे ही। उन फूलों को परवाह नहीं कि आप उनकी माला बनायें या ना बनायें… फूलों को इस बात की चिंता नहीं होती कि वे गोबर के ढेर में खिल रहे हैं या किसी बाग में…”
यकीनन टीचर को मेरी अंग्रेजी समझ में नहीं आयी और उसने मुझे इतने नंबर दिये जितने मुझे कभी नहीं आये थे।
परीक्षा के बाद मैं अपनी दोस्त से मिला और मैंने उससे पूछा कि तुमने परीक्षा के आखिरी दिन यह शादी का कार्ड क्यों दिया? सारा पेपर कूड़ा हो गया। तो उसने कहा कि उसके जो सारे पेपर कूड़ा हो गये, उसका क्या?
“सारे पेपर कूड़ा हो गये?”
ये पहला संवाद था, जिसमें छिपा था एक इजहार।
फिर मैं उसकी शादी में गया। बहुत-सी तस्वीरें खीची। और वह शादी करके चली गयी।
बहुत साल बाद, जब मैं एमए कर चुका था, मॉस्को घूम आया था और वह माँ बन चुकी थी, तब मुझे एक मौका मिला उससे मिलने का।
घर गया, बच्चा बिस्तर पर सो रहा था। मनोज नामक उसका पति चश्मा लगाये अखबार पढ़ रहा था, और उसने मुझे उससे मिलाया कॉलेज फ्रेंड कह कर।
यहाँ तक कहानी ठीक ही थी। लेकिन बुरा हो मेरी जल्दबाजी का। मैंने पास ही पालने में लेटे उसके बच्चे को अचानक गोद में उठा लिया, और उसे चूमते हुए कहा…”अले… ले… ले, कितना दुलाला है… लाजकुमाल” और बच्चा जाग गया। जागते ही रोने लगा। माँ ने बच्चे को मुझसे छीन कर अपनी गोद में ले लिया। उसे चुप कराते हुए बार-बार कह रही थी, “चुप हो जाओ… मामू आया है… मामू है…”
वह दिन है और आज का दिन है, मुझे लगता है कि लड़कियाँ शादी के बाद अच्छे-से-अच्छे प्रेमियों को भाई बना लेती हैं। उन्हें भी, जो उनके नाम पर अंग्रेजी की कॉपियों में ‘गोबर पर फूल’ खिलाने का दम रखते हैं। खैर, मेरी मुहब्बत की इस कहानी पर आप गौर करें या न करें, लेकिन मेरी इस बात का ध्यान रखियेगा…
कभी किसी के सोते हुए बच्चे को चूमने की भूल मत कीजिएगा। बच्चा भी दुखी होगा, माँ भी। और जब बच्चा दुखी होगा तो आप अपने आप ‘मामू’ बन जायेंगे।
(देश मंथन, 16 अप्रैल 2014)