पैकेज की मुहब्बत

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

एसएमएस भेजने के एक नियम के मुताबिक, रियायती पैक लेने वाले अगर एक फोन नंबर से एक दिन में 100 से अधिक एसएमएस भेजेंगे, तो उन्हें हर एसएमएस के लिए 50 पैसे चुकाने होंगे।

एक बुजुर्गवार ने मुझसे कहा- बेटा वक्त ऐसा है कि अब सगा बेटा बहू भी चाय तक को ना पूछते। ये एसएमएस आते हैं तो लगता है कि कोई बिल्डर, प्लॉटवाला हमें पूछ तो रहा है कि भइया ले लो ये प्लॉट, ये फ्लैट।

एसएमएस हमें बताते हैं कि अब पूछ वही रहा है, जिसे आपकी जेब से कुछ निकलवाना है।

एक मित्र के बहुत नियमित, सुबह, शाम एसएमएस आया करते थे। जन्मदिन से लेकर एनीवर्सरी तक की चिंता वह एसएमएस भेजकर करते थे। मैं कई बार हैरान भी होता था- इतनी दोस्ती-मुहब्बत मानते हैं। फिर किसी भी किस्म के एसएमएस आने बंद हो गये। बहुत दिनों बाद मिले, तो मैंने शिकायत की- अब तुम्हारे मैसेज ना आते। मित्र ने बताया कि उनके पास एक पैकेज था उनके पास, जिसमें अनलिमिटेड एसएमएस मुफ्त में भेजने का, अब वह खत्म हो गया।

एसएमएस हमें बताते हैं कि दोस्ती-मुहब्बत अब पैकेज वाली होती है। पैकेज खत्म होते ही मुहब्बत खत्म हो जाती है।

एसएमएस संबंध जोड़ते हैं, पर तोड़ते भी हैं।

जिंदगी पैकेज हो गयी है, तो मुहब्बत के पैकेज में होने की क्या शिकायत करना। 

अब मैं समझ गया हूँ। किसी बंदे के बहुत ज्यादा मैसेज आयें, तो यह नहीं समझता कि भाई स्नेह मान रहा है। मैं समझने लगता हूँ कि फ्री का पैकेज खलास कर रहा है। फिर उसके मैसेज आने बंद हो जायें, तो भी बुरा ना मानता। समझ जाता हूँ कि फ्री मैसेज का पैक खलास हो गया होगा।

एक पैक भर का घनिष्ठ संबंध रहा, और इस दौर में कित्ते लंबे रिश्ते लोगे जी।

(देश मंथन, 06 नवंबर 2015)

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