विजयवाड़ा शहर – पराठे और भरपेट थाली

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आंध्र प्रदेश के शहरों में आमतौर पर भोजन की बात करें तो उसका मतलब भरपेट खाने की थाली होता है। यह थाली आमतौर पर चावल की होती है। विजयवाड़ा शहर में मार्च 2016 में भरपेट थाली मध्यम दर्जे के रेस्टोरेंट में मिल जाती है 70 रुपये की। यानी 70 रुपये में चाहे जितना मर्जी खाओ।

एमजी रोड के पास गवर्नरपेट में एक साफ सुथरे भोजनालय में खाने की दरें थीं। हमें शाम को रेलवे स्टेशन के बगल में बाजार में घूमते हुए अम्मा होटल का बोर्ड देखा। वहाँ पर एसी हाल में 90 रुपये की थाली थी। हालाँकि थाली खाने का मूड नहीं था। तो कुछ हल्का-फुल्का खाने की सोची।  

हल्का-फुल्का में पराठे का विकल्प था। पराठा 30 रुपये के दो। साथ में चूरमा वह भी दो प्लेट साथ में प्याज भी। आंध्र के पराठा बनाने का अपना अलग अंदाज है। हमारे यहाँ के पराठों से तुलना करें तो यह काफी कुछ लच्छा पराठे जैसा होता है। पर आपको हल्की भूख लगी हो तो दो पराठे काफी हैं। तो मैंने दो पराठे उदरस्थ किये और आगे बढ़ गया। अम्मा होटल विजयवाड़ा में बीआरपी रोड पर स्थित है। इस रोड पर इस्लामपेट और वन टाउन जैसे इलाके आते हैं। हैंड टूल्स का थोक बाजार है। रेलवे स्टेशन और बीआरपी रोड के बीच। सड़क पर भीड़ इतनी होती है कि शाम को बीआरपी रोड वन वे हो जाता है। 

मैं आगे निकल पड़ा। पैदल-पैदल विजयवाड़ा की सड़कों पर। रास्ते में होलसेल कपड़ो का बाजार नजर आया। थोड़ा सा इस बाजार के अंदर भी झाँक लिया। साड़ियाँ-लहंगों का बाजार था। दुकानदार तेलूगू में पूछ रहे थे क्या लेना है। मुझे कुछ लेना तो था नहीं। बाहर आया तो समोसे मिल रहे थे। 10 रुपये में चार। साथ में नींबू। हमने चार समोसे पैक करा लिए। रास्ते में खाने के लिए। नारियल पानी मिल रहा था 20 रुपये में एक। अगर एक लीटर की बोतल भरवानी हो तो 50 रुपये में सज्जन बोतल भर कर दे रहे थे। काफी लोग बोतल घर लेकर जा रहे थे। गर्मी में नारियल पानी तो अमृत के समान है। विजयवाड़ा की सड़कों पर न सिर्फ नारियल पानी बल्कि तरबूज और गन्ने का जूस भी आसानी से उपलब्ध था।

(देश मंथन  08 जून 2016)

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