विजयवाड़ा से विशाखापत्तनम केसानी ट्रेवल्स की बस से

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आंध्र जैसे दक्षिण भारत के राज्यों के निजी बस आपरेटरों ने समयबद्ध सेवा की मिसाल पेश की है। ऐसा उत्तर भारत में नहीं देखने को मिलता। आमतौर पर जब आप दिल्ली में किसी एजेंट से बस बुक कराते हो तो मोटा कमिशन एजेंट के पास रह जाता है।

आंध्र के बस ऑपरेटरों ने ऑनलाइन बुकिंग कराने पर इसका लाभ सीधा ग्राहकों को देने की शुरुआत की है। आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा से विशाखापत्तनम तक की प्राइवेट बस से यात्रा का मेरा अनुभव काफी सुखद रहा।  

मुझे विजयवाड़ा से विशाखापत्तनम की यात्रा करनी थी। मैं इसके लिए ट्रेन और बस दोनों विकल्प की तलाश में था। समय ऐसा चाहता था कि सुबह-सुबह विशाखापत्तनम पहुँच जाउं, जिससे की 8.35 की दिल्ली वाली फ्लाइट पकड़ सकूं। पर रात की ट्रेनो में आरक्षण नहीं दिखाई रहा था। दिल्ली में ही बैठ कर ऑनलाइन बसों की तलाश की। आंध्र सरकार की एपीएसआरटीसी की बसों में ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध थी। फिर सोचा एक बार प्राइवेट बस सेवाओं पर भी नजर दौड़ा ली जाए। रेडबस और गोआईबीबो जैसी साइटों पर कई बसें दिख रही थीं। मुझे रात के 10.10 बजे केसानी ट्रेवल्स की बस मुफीद लगी। किराया था 400 रुपये। टू बाई टू, नॉन एसी लग्जरी। मैं एक बार केसानी की मूल वेबसाइट पर गया। वहाँ पर आफर था ऑनलाइन बुकिंग सीधे उनकी साइट से करने पर 10% डिस्काउंट यानी किराया पड़ा 360 रुपये। जब ऑनलाइन बुकिंग शुरू की तो ये आफर मिला की मोबीक्विक से पेमेंट करते हैं तो 110 रुपये कैशबैक मिलेगा। तो मैंने इसका भी लाभ उठा लिया। यानी 400 वाला टिकट 250 में पड़ा।

ऑनलाइन बस बुकिंग में बड़ा फायदा ये भी है कि आप अपनी पसंद की सीट बुक कर सकते हैं। तो मैंने खिड़की के पास वाली आगे की एक सीट बुक कर ली। बस विजयवाड़ा के ओल्ड आरटीसी स्टैंड से मिलने वाली थी। जिस दिन में विजयवाड़ा में बस लेने वाला था पता चला कि बस स्टैंड तो हमारे होटल रवि रेसीडेंसी के ठीक पीछे ही है। सो रात 10 बजे मैं आराम से बस स्टाप पहुँचा। वहाँ केसानी ट्रैवल्स के ओर से एक हेल्पर मौजूद थे। उनके पास सभी ऑनलाइन बुकिंग वालों की कंप्यूटर मुद्रित सूची थी। नियत समय पर बस पहुँच गयी। मेरे मोबाइल पर एसएमएस में बस का नंबर ड्राइवर का नाम मोबाइल नंबर आदि सब कुछ आ गया था। बस पीछे गुंटूर से चल कर आ रही थी। मैंने देखा जो यात्री नहीं पहुँचे थे सहायक महोदय उनके मोबाइल पर फोन करके तस्दीक भी कर रहे थे। समय से 10 मिनट बाद बस खुल गयी।

विशाखापत्तनम की सुबह…

विजयवाड़ा शहर में एक दो और स्टाप पर रुकने के बाद बस राजमुंदरी विशाखापत्तनम हाईवे पर फर्राटा भर रही थी। मैंने जीपीएस ऑन कर चेक किया बस 60 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति से चल रही थी। पर सात घंटे के सफर में ड्राइवर ने कहीं भी रास्ते में बस नहीं रोकी। सुबह के उजाले के साथ हम विशाखापत्तनम की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। बस के सहायक ने मुझे एयरपोर्ट के काफी करीब हाईवे पर उतार दिया। वहाँ से एक ऑटो रिक्शा वाले से 30 रुपये में एयरपोर्ट डिपार्चर टर्मिनल तक पहुँचाने की बात हुई। ऑटो वाले ने अपने वादे के मुताबिक मुझे वहाँ तक पहुँचा दिया।

(देश मंथन 09 जून 2016)

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