विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुजरात का बड़ौदा शहर। अब इसका नाम बदलकर कागजों में वड़ोदरा हो गया है। पर ऐतिहासिक रूप से ये बड़ौदा है। लोग आम बोलचाल में उच्चारित करते हैं बरोदा। तो आप वड़ोदरा और बड़ौदा को एक ही समझें। बड़ौदा मैं पहुँचा दूसरी बार तो नेशनल हाईवे नंबर आठ से मुंबई की ओर से।
बाइपास पर अजवा में टैक्सी ने उतार दिया। अजवा के बारे में पता चला कि यहाँ गायकवाड़ महाराजा द्वारा बनवाया गया विशाल जलाशय है। इस जलाशय से कभी बड़ौदा शहर को पानी की सप्लाई होती थी। अजवा जलाशय अपने समय का जल संचय का सुंदर प्रयास था। आज ये जलाशय पर्यटन का केंद्र बन चुका है। अजवा जलाशय कभी शहर से बाहर हुआ करता था। पर धीरे-धीरे शहर विस्तार लेता जा रहा है। अब अजवा शहर के बाहरी हिस्से में आ चुका है।
ऑटो वाले को बड़ौदा जंक्शन चलने को कहता हूँ। वह बोलता डायरेक्ट जाना है या शेयरिंग में। शेयरिंग में तीस रुपये। थोड़ा मोल-जोल पर 20 रुपये में तैयार हुआ। पहला इलाका आया कमला नगर। उसके बाद पानी गेट। मुझे लगता है कभी यहाँ अजवा जलाशय से आने वाली पानी की नहर का दरवाजा रहा होगा, इसलिये इस इलाके का नाम पानी गेट है। इसके बाद हम पहुँच जाते हैं तिलकनगर एमजी रोड होते हुए बड़ौदा के व्यस्त बाजार में। मांडवी। ये नाम बचपन से सुनता आया हूँ। बैंक ऑफ बड़ौदा का मुख्यालय है मांडवी में। बैंक की स्थापना बड़ौदा महाराजा ने ही की थी। वैसे आईसीआईसीआई बैंक का पंजीकृत मुख्यालय भी बड़ौदा में ही है। मांडवी शहर का व्यस्त बाजार है। समझो बड़ौदा शहर का दिल है। मांडवी सर्किल बड़ा चौराहा है। यहाँ से कई जगह के लिए रास्ते जाते हैं। शहर का मुख्य शापिंग एरिया। खूब भीड़ और चिलपों वाला इलाका।
यहाँ एक सरोवर में शिव की विशाल प्रतिमा नजर आती है। झील का नाम है सुर सागर लेक। इसमें शिव यानी पतालेश्वर महादेव की प्रतिमा है। पास में ही पद्मावती शापिंग कांप्लेक्स। प्रताप सिनेमा, कोठी रोड , विनोबा भावे रोड होते हुये हम विश्वामित्री नदी के पुल को पार करते हैं। नदी तो अब बस किसी नाले जैसी दिखायी देती है। नदी के बाद शुरू हो जाता है सयाजीगंज का इलाका।
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय
सयाजीगंज में ही महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय है। गुजरात का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय। महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भी बड़े दानदाताओं में से एक थे। उनके नाम पर ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी बनी है। बीएचयू की लायब्रेरी का नाम है सयाजीराव राव गायकवाड़ लाइब्रेरी। देश की तीसरी बड़ी लाइब्रेरी। जहाँ मैंने दिन रात पाँच साल पढ़ाई की थी। 1990 से 1995 के बीच। सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय का परिसर बड़ौदा रेलवे स्टेशन के ठीक सामने से शुरू हो जाता है। देश में शायद ही कोई बड़ा शहर हो जहाँ रेलवे स्टेशन के ठीक सामने विश्वविद्यालय हो। यहाँ छात्रों के ट्रेन पकड़ने में बहुत सुविधा रहती होगी। सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय की परिसर तीन किलोमीटर में फैला है। भवनों के वास्तुशिल्प से राजसी खुशूब आती है।
बडौ़दा में काशी विश्वनाथ मंदिर
बड़ौदा रेलवे स्टेशन के आगे की तरफ यानी प्लेटफार्म नंबर एक की तरफ सयाजीगंज इलाका है। जहाँ स्टेशन के सामने लोकल बस स्टैंड है, जबकि रेलवे स्टेशन के पीछे अलकापुरी का इलाका है। बड़ौदा गुजरात का अति व्यस्त रेलवे स्टेशन है। पर अति व्यवस्थित रेलवे स्टेशन है। स्टेशन की साफ-सफाई और उदघोषणा के इंतजाम अच्छे हैं। प्लेटफार्म नंबर एक पर सेंकेंड क्लास और उच्च दर्जे के प्रतीक्षालयों को ग्रीन वेटिंग रुम का दर्जा मिला हुआ है। मैं उच्च श्रेणी के वेटिंग रुम में एक घंटे इंतजार करता हूँ। एलइडी स्क्रीन पर समाचार चैनल चल रहे हैं। टायलेट साफ सुथरे हैं। ग्रीन वेटिंग रुम यानी इनमें रोशनी सौर ऊर्जा से की जा रही है। देश के दूसरे रेलवे स्टेशनों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
(देश मंथन, 18 मार्च 2015)