माधवी रंजना :
भारत विविधताओं का देश है। यहाँ हर प्राँत में सुबह भी अलग अलग तरीके से होती है। अब आप सुबह के नाश्ते को ही लीजिए तो पंजाब में कुछ और बात है बिहार में कुछ और तो दक्षिण भारत में कुछ और।
हम पंजाब की बात करें तो यहाँ के लोग नास्ते में दही और पराठा लेते हैं। पंजाबी पराठे की देश भर में धूम है। पंजाब का पराठा आकार में बड़ा होता है। आम आदमी दो पराठे ले ले तो उसका पेट भर जाये। पराठे के साथ पंजाबी लोग इसके ऊपर से मक्खन डालना नहीं भूलते। हालाँकि पराठा पहले से ही घी में बना होता है। पराठे में भी कई प्रकार हैं। आलू पराठा, गोभी पराठा, पनीर पराठा आदि आमतौर पर पंजाबी नास्ता हेवी होता है और दोपहर का मुख्य खाना हल्का फुल्का। यानी सुबह में ही खाकर फिट हो जाते हैं पंजाबी।
अब अगर उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ें तो यहाँ का नास्ता आमतौर कचौड़ी और जलेबी का होता है। इसके साथ चने की घुघनी भी हो सकती है। लखनऊ शहर की बात ही निराली है। यहाँ नास्ते में अंकुरित अनाज लेने की परंपरा है। लखनऊ की सुबह आपको रेहड़ी पर अंकुरित मूंग, चना आदि का मिस्रण देखने के मिल जायेगा। अगर गरमी के दिन हों तो सुबह सुबह मट्ठा पीजिए और दिन भर मस्त रहिए।
अब बिहार चलते हैं। यहाँ भी पूड़ी और जलेबी का प्रभाव है। पर उत्तर बिहार में खासकर मिथिला क्षेत्र में नाश्ते में चूड़ा-दही खाने का रिवाज है। यहाँ घर क्या बाजार में भी आपको चूड़ा दही आसानी से मिल जायेगा। दही तो शुद्ध होता ही ही चूड़ा चूँकि चावल के दाने से बनता है इसलिए इसमें कोई मिलावट की संभावना नहीं रहती। इसके साथ गुड़ और कोई सब्जी भी ली जा सकती है। जिन लोगों का पेट कमजोर होता है उनके लिए भी यह नास्ता वाजिब होता है। 100 ग्राम चूड़ा और 200 ग्राम दही के साथ नास्ता मुफिद माना जाता है। वैसे उत्तर बिहार में कई किलो तक खाने वाले लोग भी मौजूद हैं। बिहार में गरीब लोग चने का सत्तू भी नास्ते में लेते हैं। यह सत्तू सिर्फ नाश्ते में ही नहीं बल्कि कभी भी कहीं भी खाया जा सकता है। इसमें भी किसी तरह के मिलावट की संभवना नहीं रहती है। दक्षिण बिहार में के नाश्ते में लिट्टी चोखा का चलन है।
लिट्टी जिसे राजस्थान में बाटी कहते हैं को कोएले या गोबर की आग पर पकाया जाता है। इसके साथ बैंगन व आलू का भरता होता है। लिट्टी को घी में डुबा कर खाया जाये, तो इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। बिहार की सड़कों पर लिट्टी चोखा महज तीन रुपये में दो पीस उपलब्ध है। यह दक्षिण भारत के सुबह के नाश्ते इडली की तरह ही सस्ता है। जैसे दक्षिण भारतीय लोगों का लोकप्रिय नाश्ता इडली सांभर भी दक्षिण में दो से तीन रुपये प्रति प्लेट से मिलना आरंभ हो जाता है। हालाँकि यही इडली उत्तर भारत के रेस्टोरेंट में महँगी मिलती है। इडली सांभर भी सुपाच्य नाश्ता माना जाता है। दक्षिण भारतीय नाश्ते में दो या उससे ज्यादा इडली भी सुबह सुबह खा लेते हैं। अगर आप भोपाल में हैं तो नाश्ते में पोहा लेना न भूलें। पोहा चूड़ा का ही एक रूप है। इसमें नमक और अन्य थोड़े मसाले मिलाये जाते हैं। वहीं जब गुजरात महाराष्ट्र की ओर बढ़ें तो नास्ते में ढोकला मिलता है। ढोकला भी अपना अलग स्वाद है। अगर हम यो कहें कि देश भर में नास्ते का स्वाद भी विविधताओं से भरा है तो गलत नहीं होगा। पंजाबी पराठा कोलेस्ट्राल और हृदय रोग बढ़ाने वाला है पर पोहा, इडली जैसी चीजें पेट के लिए व सेहत के लिए बहुत अच्छी हैं। जब आप देश भ्रमण पर निकलें तो अलग अलग इलाके के खाने पीने का का स्वाद जरूर लें। साथ ही अपनी सेहत का भी ख्याल रखें।
(देश मंथन, 16 जून 2014)