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न ड्रीम, न क्रीम बजट, बस बिजनेस थीम बजट!
कमर वहीद नकवी :
न ड्रीम बजट, न क्रीम बजट, यह ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ का थीम बजट है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कम से कम दस बार ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ की बात कही और बजट भाषण के ठीक बाद अपने इंटरव्यू में जेटली ने कहा कि जब हम उद्योगों से कमाई करेंगे, तभी तो गरीब की मदद हो पायेगी।
काँग्रेस को चाहिए एक टच स्क्रीन!
कमर वहीद नकवी :
काँग्रेस बाट जोह रही है! एक नये कायाकल्प का इन्तजार है! एक फैसला रुका हुआ है! उस रुके हुए फैसले पर क्या फैसला होता है, इसका इन्तजार है!
भाषण बस भाषण के लिए!
कमर वहीद नकवी :
बहुत देर में बोले, लेकिन आखिर नमो बोले! धर्म के नाम पर किसी को घृणा नहीं फैलाने दी जायेगी। कहते हैं, देर आयद, दुरुस्त आयद! मोदी बोले, बड़े लम्बे इन्तजार के बाद बोले, लेकिन बिलकुल दुरुस्त बोले! देश ने बड़ी राहत की साँस ली! उम्मीद की जा रही है कि परिवार अब शायद कुछ दिन चुप बैठे!
ओय गुइयाँ, फिर जनता-जनता!
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या करें? मजबूरी है! अभी ताजा मजबूरी का नाम मोदी है! यह जनता खेल तभी शुरू होता है, जब मजबूरी हो या कुर्सी लपकने का कोई मौका हो! इधर मजबूरी गयी, उधर पार्टी गयी पानी में!
क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!