Tag: कृष्ण
पुत्रों के शव को कंधों पर उठाने का अफसोस करना है, तो युद्ध से पहले सोचें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“सुनो कृष्ण, क्या तुम जानते हो कि इस संसार में सबसे बड़ा बोझ क्या है?”
“आप ही कहें, धर्मराज।”
भेंट द्वारका में हुआ कृष्ण और सुदामा का मिलन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
भेंट द्वारका नगरी द्वारका से 35 किलोमीटर आगे है। यहाँ कृष्ण का अति प्राचीन मंदिर है। भेंट द्वारका इसलिए क्योंकि यहीं पर कृष्ण की अपने बाल सखा सुदामा से भेंट हुई थी। दरिद्र ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर अपने बचपन के मित्र और द्वारका के राजा कृष्ण के पास पहुँचे थे। यहाँ भी ऐतिहासिक द्वारकाधीश का मंदिर है।
प्रेम की एक ही भाषा
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कोई इटली जाए और संसार की सबसे दर्द भरी प्रेम कहानी की आहट न सुन सके तो यह उसकी किस्मत का दोष है।
963 झरोखों वाला गुलाबी नगरी का हवा महल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुलाबी शहर जयपुर में स्थित हवा महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। यह महल जयपुर शहर की पहचान है। यह एक राजसी-महल है। सन 1798 में बना ये महल किसी राजमुकुट सा दिखायी देता है। हवा महल की पाँच-मन्जिला इमारत ऊपर से महज डेढ़ फीट चौड़ी है। यह बाहर से देखने पर हवा महल किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखायी देती है।
चाहत का असर
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अजय देवगन और तब्बू से मुलाकात होगी। आज हम साथ लंच करेंगे।
प्यार को प्यार ही रहने दो
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
“माँ, उठो। माँ, सुनो मैं क्या पूछ रहा हूँ। दो दिन पहले मैंने पोस्ट में लिख दिया था कि पांचाल के नृपति द्रुपद ने कृष्ण को अपनी बेटी द्रौपदी से विवाह के लिए आमंत्रित किया था, तो कुछ लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि मैं धर्म और पौराणिक कहानियों के विषय में कुछ नहीं जानता, केवल काल्पनिक कहानी लिख रहा हूँ।
अबूझ पहेली
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
हमारे फेसबुक परिजनों में एक हैं Shaitan Singh Bishnoi। मैंने एक दो बार जब कभी ये लिखा कि कृष्ण और द्रौपदी के बीच का रिश्ता कभी सखा-सखी का था, कभी भाई-बहन का और कभी प्रेमी-प्रेमिका का, तो शैतान सिंह जी ने मुझसे कहा कि मैं कभी न कभी इस बात की खुल कर चर्चा करूँ कि आखिर ऐसा कैसे संभव है कि एक ही स्त्री में कोई हर रूप को तलाश ले। यकीनन उन्हें पता होगा कि कृष्ण की बहन सुभद्रा अर्जुन से ब्याही गयी थीं, इस तरह द्रौपदी भी कृष्ण की बहन लगीं।
औकात
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैंने माँ से पूछा था, “माँ, औकात क्या होती है?”
पर्मानेंट इलाज
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मुझे खुद ही याद नहीं कि आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, उसे पहले आपको सुना चुका हूँ या नहीं।
मृत्यु अटल है, जीवन सकल है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आज आपको एक न में ले चलता हूँ।
अपने जीवन में मुझे एक बार ओशो से मिलने का मौका मिला।