Thursday, November 21, 2024
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बचपन

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

कौसल्या जब बोलन जाई। ठुमुक-ठुमुक प्रभु चलहिं पराई। निगम नेति सिव अंत न पावा। ताहि धरै जननी हठि धावा।।

बाल चरित अति सरल सुहाए, सारद सेष संभु श्रुति गाए।

जिन्ह कर मन इन्ह सन नहीं राता, ते जन बंचित किए बिधाता।।

सिंहस्थ कुंभ में श्रद्धालुओं का तांता

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

जिंदगी में अमृतत्व पाने की ये सबसे लंबी छलाँग है। जीवन की अनंत यात्रा से हमेशा के लिए पार उतरने के आकांक्षियों के सैलाब की ये सबसे गहरी डुबकी है। हजारों सालों से इसी तरह कुंभ में अमृत की दो बूंद पाने खिंचा चला आता है सनातन समाज शिप्रा किनारे बसी महाकाल की मोक्षदायिनी नगरी उज्जैन।

कैसे बने दलितों के मसीहा

राकेश उपाध्याय, पत्रकार:

यदि राजनीतिक दल अपने मताग्रहों को देश से ऊपर रखेंगे तो हमारी स्वतंत्रता संकट में पड़ जाएगी और संभवत: वह हमेशा के लिए खो जाए। इसलिए हम सबको दृढ़ संकल्प के साथ इस संभावना से बचना है। हमें अपने खून की आखिरी बूंद तक अपने महान देश की स्वतंत्रता की रक्षा करनी है। -डॉ. भीमराव अंबेडकर, संविधान सभा में दिए गये भाषण का हिस्सा...

जेएनयू देशद्रोह कांड : सर्जिकल ऑपरेशन की जरूरत

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

जेएनयू देशद्रोह कांड में कन्हैया को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत तो दे दी, लेकिन जो नसीहतें फैसले में सुनायी हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। जेएनयू के वामपंथी मित्रों को इन नसीहतों पर गौर करना चाहिए जिन पर अदालत ने कन्हैया से शपथपत्र माँग लिया है...एक बार आप भी देखें और समझें कि अदालत ने 23 पन्नो के फैसले में कहा क्या है-

गोरक्षा विमर्श

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

भए प्रकट कृपाला, दीनदयाला...

बिप्र धेनु सुर सन्त हित लीन्ह मनुज अवतार।... (बालकांड-192)

दीन-आम जनों की करुण पुकार सुन ली प्रभु ने और प्रकट हुए धरती पर असुरों के पाप से काँपती धरती को बचाने के लिए।...ब्राह्मण (सज्जन और सदा अध्ययन-अध्यात्म में निरत), गौमाता, देवता और सज्जनों के हित के लिए भगवान ने धरती पर मनुष्य शरीर धारण किया।...

ये तो थी बात भगवान राम की। असुर-राक्षसों के प्रकोप से गोवंश की रक्षा के लिए भी भगवान का अवतार होता है, यह भारत की अनादिकाल से लोकमान्यता है।

हमें उपनिषदों ने सिखाया है सेक्युलरिज्म का मूल पाठ

राकेश उपाध्याय, पत्रकार : 

जिस देश के जनजीवन में, आम लोगों की ज़िंदगी में जब सेक्युलरिज्म का जज्बा रहता है, तभी उस देश में भी सेक्युलरिज्म जिंदा रहता है। राज्य सेक्युलर हो या नहीं, समाज की मानसिकता में सेक्युलरिज्म होना चाहिए।

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