Tag: विद्युत प्रकाश
कालका शिमला रेल – इतिहास और बदलती तकनीक

विद्युत प्रकाश :
साल 1884-85 के दौरान ब्रिटिश सरकार ने शिमला को रेल से जोड़ने की योजना पर काम शुरू किया। पहाड़ों के प्राकृतिक वातावरण को बचाये रखने के लिए इस क्षेत्र में नैरोगेज लाइन बिछाने का प्रस्ताव दिया गया।
103 सुरंगों से होकर गुजरती है कालका शिमला रेल

विद्युत प्रकाश :
कालका शिमला के 94 किलोमीटर के सफर के बीच कुल 103 सुरंगे हैं। इनमें बड़ोग की सुरंग एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी है। वहीं कोटी की सुरंग 700 मीटर लंबी है।
शैव और वैष्णव मत का संगम है पँच मंदिर

विद्युत प्रकाश :
झारखंड का का सुंदर शहर हजारीबाग। इस शहर के बीचों बीच स्थित है पँच मंदिर। जैसा की नाम से जाहिर होता है मंदिर परिसर में पाँच मंदिर बने हैं। इसके पाँच गुबंद दूर से ही खूबसूरत नजारा पेश करते हैं।
सुबह का नास्ता अंकुरित चना और सत्तू

विद्युत प्रकाश :
देश भर में सुबह के नास्ते का अलग अलग रिवाज है। जब आप झारखंड के शहरों में पहुँचेंगे तो हर जगह अंकुरित चने के स्टाल मिलेंगे। अब सेहत के लिहाज से अंकुरित चना खाना कितना बेहतर है ये बताने की जरूरत है भला।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय – हम याद रखें उनको

विद्युत प्रकाश :
कांके कभी राँची शहर का बाहरी इलाका हुआ करता था पर अब शहर के आगोश में समा चुका है। इसी कांके में है बिरसा कृषि विश्वविद्यालय। कभी इसका नाम राँची एग्रीकल्चर कालेज हुआ करता था।
राँची से रजरप्पा वाया रामगढ़

विद्युत प्रकाश :
राँची से रामगढ़ कैंट की ओर जाती नेशनल हाईवे नंबर 33 फोर लेन एक्सप्रेस वे का रूप ले चुकी है। सड़क इतनी शानदार बन गयी है कि बस से चलते हुए कब राँची से रामगढ़ आ जाता है पता भी नहीं चलता।
सासाराम का ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फग्गूमल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
सासाराम शहर शेरशाह के मकबरे के लिए प्रसिद्ध है। पर इस शहर में सिख इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण स्मृति है। शहर के जानी बाजार में है ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फग्गूमल, जहाँ सिखों के नौंवे गुरू तेगबहादुर जी 21 दिनों तक रहे और संगतों को अपने आशीर्वाद से निहाल किया।
भगवान के लिए आती है डाक

विद्युत प्रकाश :
सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर है रणथंभौर का किला। इतिहास में कई लड़ाइयों का साक्षी रणथंभौर अब जाना जाता है टाइगर सफारी के लिए तो गणेश जी के मंदिर के लिए।
शेरशाह का सासाराम

विद्युत प्रकाश :
बिहार का ऐतिहासिक शहर सासाराम। मुझे गर्व है कि इसी धरती पर मेरा जन्म हुआ। पर शहर की पहचान उस महान शासक से जुड़ी है जिसने देश को कई नायाब चीजें दीं और इतिहास के पन्नों पर अमर शासक बन गया।
वेधशाला है मान मंदिर महल

विद्युत प्रकाश :
वाराणसी में दशाश्वमेध घाट के ठीक बगल में स्थित है मान मंदिर महल। ये महल वास्तव में एक वेधशाला है। दिल्ली के जंतर मंतर की तरह। इस महल के साथ ही है मान मंदिर घाट। वहीं मान मंदिर महल की खिड़कियों से गंगा की लहरों का नजारा भी किया जा सकता है।