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एक बीजेपी सांसद का दर्द

उमाशंकर सिंह, एसोसिएट एडिटर, एनडीटीवी
प्रधानमंत्री ने आज ही सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की है। इस योजना को लेकर सांसदों के मन में किस तरह की शंका-आशंका है और मोदी के प्रधानमंत्रित्व में उनका कामकाज कैसा चल रहा है? यह सब एक सांसद से बातचीत में सामने आयी। पेश है बातचीत का ब्योरा:
क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!
उपचुनावों के नतीजों से गुमान टूटेगा भाजपा का

राजीव रंजन झा :
शायद ही किसी ने सोचा होगा कि लोकसभा चुनावों में तूफानी कामयाबी के बाद इन उपचुनावों में भाजपा इतना कमजोर प्रदर्शन करेगी।
बीजेपी के बुजुर्ग नेताओं की चुनौती

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनने के बावजूद बीजेपी के अन्दर परिवर्तन का दौर थमा नहीं है। वैसे पार्टी स्तर पर इस तरह के परिवर्तन की शुरुआत तो नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राष्ट्रीय राजनीति में दखल के साथ ही शुरू हो गयी थी, जो अब उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद साफ दिखने लगी है।
इस हार का मतलब क्या है?

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
चार राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा की वैसी दुर्गति तो नहीं हुई, जैसी उत्तराखंड में हुई थी याने कोई राज्य ऐसा नहीं है, जहाँ भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टी जीती न हो।
नेता विपक्ष- परंपरा, धारा और भावना का इम्तहान

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
किसी भी लोकतंत्र की प्रतिनिधि संस्था में विपक्ष और उसके नेता की भूमिका भी साफ साफ होनी चाहिए। मौजूदा लोकसभा के संदर्भ में नेता विपक्ष को लेकर जो विवाद हो रहा है और उस पर जो लेख लिखे जा रहे हैं उन सभी को पढ़ते हुए यही लग रहा है कि नेता विपक्ष को लेकर स्पष्ट व्याख्या नहीं है।
बड़ी कुर्सी और बड़ा आदमी!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी रोज ही एक-दो काम ऐसे कर रहे हैं कि जिनकी सराहना किए बिना नहीं रहा जा सकता। मोदी का निर्देश था कि मंत्री और सांसद अपने रिश्तेदारों को निजी सहायक बनाना बंद करें। इस निर्देश का तत्काल असर हुआ।
शपथः कुछ दूसरे पहलू

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का यह ऐतिहासिक दिन है, जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल ने भी। इस मंत्रिमंडल में उनके संसदीय दल का लगभग सही प्रतिनिधित्व हुआ है लेकिन फिर भी मोटी-मोटी कुछ कमियाँ भी दिखायी पड़ती हैं।
मोदी की छवि में चार चाँद

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
प्रधानमंत्री पद के लिए नेता पद स्वीकार करते समय नरेंद्र मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में जो भाषण दिया, उसने मोदी की छवि में चार चाँद लगा दिए हैं।
क्यों अलोकतांत्रिक है आनंदी बेन के चयन का तरीका

राजीव रंजन झा :
नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उन्हें मिले विशाल जनादेश की ओट में आनंदी बेन पटेल का मुख्यमंत्री चुना जाना लोकतांत्रिक परंपरा के बारे में कुछ सवाल खड़े कर जाता है।