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डलहौजी : बावड़ी का पानी पीकर स्वस्थ हुए सुभाष बाबू

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
यह 1937 की बात है। महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जेल में अंगरेजी सरकार की यातना के दौर में टीबी की बीमारी हो गयी। तब डाक्टरों ने उन्हें स्वास्थ्य लाभ के लिए किसी ठंडी जगह में जा कर रहने की सलाह दी।
मनमोह लेती डलहौजी की आबोहवा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
डलहौजी की आबोहवा ऐसी है जो लोगों को पसंद आती है। हमें सुभाष चौक पर एक अवकाशप्राप्त दंपति मिले जो एक महीने से आ कर डलहौजी में पड़े हैं। कमरा किराये पर ले लिया है। यहाँ से जाना नहीं चाहते। सुभाष प्रतिमा के पास दोपहर में मीठी धूप के मजे ले रहे हैं।
गेटवे ऑफ चंबा – बनीखेत
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
बनीखेत में ठहरने के कई कारण थे। पहला की बनीखेत डलहौजी से छह किलोमीटर पहले है, जो लोग पहाड़ों की चकरघिन्नी वाले रास्ते पर लंबा सफर नहीं करना चाहते उन्हें जल्दी ब्रेक मिल जाता है। दूसरा अगर डलहौजी घूमना है बनीखेत में रूक कर भी घूमा जा सकता है। बनीखेत से डलहौजी महज 6 किलोमीटर है। 10 मिनट में किसी भी बस से पहुँच जाइए। ठहरने के लिए बनीखेत में भी कई होटल और गेस्ट हाउस हैं। बनीखेत में होटल डलहौजी की तुलना में किफायती है।
डलहौजी से यादें जुड़ी हैं सरदार अजीत सिंह की

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
ये साल 1946 की बात है। देश आजादी के दहलीज पर खड़ा था। भारत की अंतरिम सरकार बन चुकी थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के महान सपूत सरदार अजीत सिंह को रिहा करवाया। सभी जानते हैं कि सरदार अजीत सिंह भगत सिंह के चाचा थे। वे पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन के प्रणेता थे।