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पुत्रों के शव को कंधों पर उठाने का अफसोस करना है, तो युद्ध से पहले सोचें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“सुनो कृष्ण, क्या तुम जानते हो कि इस संसार में सबसे बड़ा बोझ क्या है?”
“आप ही कहें, धर्मराज।”
जहाँ प्रेम, वही संसार
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
प्रेम में बहुत शक्ति है।
मेरी एक परिचित मुझसे जब भी मिलती हैं, वो ‘राधे-राधे’ कह कर बात की शुरुआत करती हैं।
भेंट द्वारका में हुआ कृष्ण और सुदामा का मिलन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
भेंट द्वारका नगरी द्वारका से 35 किलोमीटर आगे है। यहाँ कृष्ण का अति प्राचीन मंदिर है। भेंट द्वारका इसलिए क्योंकि यहीं पर कृष्ण की अपने बाल सखा सुदामा से भेंट हुई थी। दरिद्र ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर अपने बचपन के मित्र और द्वारका के राजा कृष्ण के पास पहुँचे थे। यहाँ भी ऐतिहासिक द्वारकाधीश का मंदिर है।
जीवन और मृत्यु का पाठ पढ़ाने वाले गुरु श्रीकृष्ण
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कभी नहीं,
इस आत्मा को,
खण्ड-खण्ड कर सकते हैं
हथियार।
कभी नहीं,
इस आत्मा को
जला सकती है
अग्नि।
कभी नहीं
भी
इस आत्मा को
भिगो सकता है,
जल।
कभी नहीं,
सुखा सकती है,
वायु।
***
प्रेम की एक ही भाषा
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कोई इटली जाए और संसार की सबसे दर्द भरी प्रेम कहानी की आहट न सुन सके तो यह उसकी किस्मत का दोष है।
963 झरोखों वाला गुलाबी नगरी का हवा महल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुलाबी शहर जयपुर में स्थित हवा महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। यह महल जयपुर शहर की पहचान है। यह एक राजसी-महल है। सन 1798 में बना ये महल किसी राजमुकुट सा दिखायी देता है। हवा महल की पाँच-मन्जिला इमारत ऊपर से महज डेढ़ फीट चौड़ी है। यह बाहर से देखने पर हवा महल किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखायी देती है।
विद्रोही
प्रेमचंद :
आज दस साल से जब्त कर रहा हूँ। अपने इस नन्हे-से ह्रदय में अग्नि का दहकता हुआ कुण्ड छिपाये बैठा हूँ। संसार में कहीं शान्ति होगी, कहीं सैर-तमाशे होंगे, कहीं मनोरंजन की वस्तुएँ होंगी; मेरे लिए तो अब यही अग्निराशि है और कुछ नहीं। जीवन की सारी अभिलाषाएँ इसी में जलकर राख हो गयीं। किससे अपनी मनोव्यथा कहूँ ? फायदा ही क्या ? जिसके भाग्य में रुदन, अनंत रुदन हो, उसका मर जाना ही अच्छा।
चाहत का असर
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अजय देवगन और तब्बू से मुलाकात होगी। आज हम साथ लंच करेंगे।
प्यार को प्यार ही रहने दो
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
“माँ, उठो। माँ, सुनो मैं क्या पूछ रहा हूँ। दो दिन पहले मैंने पोस्ट में लिख दिया था कि पांचाल के नृपति द्रुपद ने कृष्ण को अपनी बेटी द्रौपदी से विवाह के लिए आमंत्रित किया था, तो कुछ लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि मैं धर्म और पौराणिक कहानियों के विषय में कुछ नहीं जानता, केवल काल्पनिक कहानी लिख रहा हूँ।
अबूझ पहेली
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
हमारे फेसबुक परिजनों में एक हैं Shaitan Singh Bishnoi। मैंने एक दो बार जब कभी ये लिखा कि कृष्ण और द्रौपदी के बीच का रिश्ता कभी सखा-सखी का था, कभी भाई-बहन का और कभी प्रेमी-प्रेमिका का, तो शैतान सिंह जी ने मुझसे कहा कि मैं कभी न कभी इस बात की खुल कर चर्चा करूँ कि आखिर ऐसा कैसे संभव है कि एक ही स्त्री में कोई हर रूप को तलाश ले। यकीनन उन्हें पता होगा कि कृष्ण की बहन सुभद्रा अर्जुन से ब्याही गयी थीं, इस तरह द्रौपदी भी कृष्ण की बहन लगीं।