Sunday, September 8, 2024
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जिसे जो मिला, वही वो देगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज पोस्ट लिखते हुए मुझे कई बार रुकना पड़ा। 

प्यार में पड़ी लड़की हजार मर्दों से अधिक शक्तिशाली

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैंने जितनी बार भी फिल्म देवदास देखी है, मेरे मन में ये सवाल उठा है कि पुरुष प्रेम में कायर क्यों हो जाता है? 

प्यार, स्नेह और मान दें रिश्तों में प्रेम के अंकुर फूटेंगे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैं एक बहू से मिला हूँ। मैं एक सास से मिला हूँ।

दोनों में नहीं बनती। क्यों नहीं बनती मुझे नहीं पता। बहू का कहना है कि सास हर पल उसे नीचा दिखाती हैं।

सास कहती हैं कि बहू उसे पूछती नहीं।

जहाँ प्रेम, वही संसार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

प्रेम में बहुत शक्ति है।
मेरी एक परिचित मुझसे जब भी मिलती हैं, वो ‘राधे-राधे’ कह कर बात की शुरुआत करती हैं।

मोतियों की तरह रिश्तों को संभालिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मेरे एक परिचित के दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टियों में स्कूल से कहीं घूमने गये हैं। बच्चे हफ्ते भर से बाहर हैं, पति-पत्नी अकेले-अकेले बैठे रहते हैं, ऐसे में उन्होंने तय किया कि कुछ लोगों को घर बुलाया जाए, पार्टी की जाए। बहुत ही बेहतरीन आइडिया था। रोज-रोज की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से थोड़ी राहत मिलेगी और जिनसे पता नहीं कब से नहीं मिले, उनसे मिलना हो जाएगा।

आदमी सबकुछ के बिना रह सकता है, पर प्यार के बिना नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

अब शिफ्ट होने का समय आ गया है। समझ लीजिए कि आधा शिफ्ट हो भी गए। मैं चीजें बहुत खरीदता हूँ, पर मुझे चीजों से मोह नहीं। जाहिर है मैं बहुत सी चीजें यहीं पुराने घर में छोड़ जाऊंगा। इनका क्या होगा, क्या करूंगा, यह सब बाद में तय होगा।

गलती को पुचकार कर सुधारें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कल रात सोते हुए मैं फूला नहीं समा रहा था कि मैंने कड़वी चाय को दुरुस्त करने की कला के साथ-साथ रिश्तों में प्यार के फूल खिलाने की विद्या भी आपको सिखलायी। मैंने कल जो पोस्ट लिखी थी, उसमें जिन्दगी का निचोड़ डाल दिया था। 

प्रेम करने वाला सबको संग लेकर चलते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मेरी नौकरी पहले लगी थी, पत्रकारिता की पढ़ाई में दाखिला बाद में मिला था। जिन दिनों मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था, एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई। मेरी तरफ से दोस्ती सिर्फ दोस्ती तक सीमित थी, लेकिन अक्सर लड़कियाँ दोस्ती, प्रेम और शादी तीनों की चाशनी बना लेती हैं। उसने भी ऐसा ही किया और जिस दिन कॉलेज में मेरा आखिरी दिन था वो मेरे पास शादी का प्रस्ताव लेकर पहुँच गयी। 

मन को साफ करो खुश रहोगे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैं प्रेम पर लिखते हुए बहुत डरता हूँ। डर की वजह सिर्फ इतनी है कि जब मैं ऐसी पोस्ट लिखता हूँ तो अगले दिन मेरे पास ऐसे-ऐसे कई सवाल आ खड़े होते हैं, जिनके जवाब में मुझे फिर प्रेम पर एक पोस्ट लिखनी पड़ती है। एक पोस्ट और लिख कर मैं मुक्त होता हूँ और सोचता हूँ कि कल ये वाली कहानी लिखूँगा, वो वाली कहानी लिखूँगा, पर रात में जैसे ही अपने इनबॉक्स में झाँकता हूँ, मेरी तय की हुई सारी कहानियाँ उड़ जाती हैं और रह जाता है प्रेम। 

चाहत में शिद्दत हो सब मिलेगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

संजय जी, मेरी जिन्दगी में प्रेम नहीं है।”

कल मेरा इनबॉक्स इस एक वाक्य से भर गया। कुछ लोगों ने तो सीधे-सीधे मेरी वाल पर ही अपनी कहानी लिख दी, कुछ लोगों ने अपने दोस्तों की कहानी लिखी कि उसके दोस्त को फलाँ से प्यार है, पर उसकी शादी हो चुकी है, उसके बच्चे हैं, अब वो क्या करे? 

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