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शादी की बंजर भूमि पर प्यार के फूल खिलाओ

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक पिता और पुत्र ट्रेन में सफर कर रहे थे। पिता पुत्र से कहता नंबर तीन और दोनों जोर-जोर से हँसने लगते। दोनों की हँसी थमती और फिर पुत्र कहता नंबर सात। पुत्र के मुँह से नंबर सात निकला नहीं कि दोनों पेट पकड़ कर हँसने लगते।
प्यार के बीज

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी तीन नानियाँ थीं। तीन नहीं, चार।
चार में से एक नानी मेरी माँ की माँ थी और बाकी तीन मेरी माँ की चाचियाँ थीं। माँ तीनों चाचियों को बड़की अम्मा, मंझली अम्मा और छोटकी अम्मा बुलाती थी, इसलिए माँ की तीनों अम्माएँ मेरी बड़की नानी, मंझली नानी और छोटकी नानी हुईं। बचपन में मुझे ऐसा लगता था कि चारों मेरी माँ की माँएं हैं और इस तरह मेरी चार नानियाँ हैं। पर मैंने पहली लाइन में ऐसा इसलिए लिखा है कि मेरी तीन नानियाँ थीं, क्योंकि मेरी माँ की माँ के इस दुनिया से चले जाने के बाद मुझे अपनी उन तीन नानियों के साथ रहने का ज्यादा मौका मिला, जो माँ की चाचियाँ थीं।
जन्मों को होता है पति-पत्नी का रिश्ता

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पांडव लाक्षागृह में बतौर मेहमान बुलाए गये थे और जब उसमें आग लग गयी तो वो फँस गये थे। कहीं से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। अब कोई करे भी तो क्या करे। लाक्षागृह धू-धू कर जल रहा था। युधिष्ठिर विचलित थे। अब इसमें से कोई कैसे बाहर निकले। सबकी आँखों में यही सवाल था।
माँ सत्य है, माँ सार्वभौमिक है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं अपनी माँ का बेटा हूँ।
कल मुझसे किसी ने पूछ लिया कि मेरी माँ का क्या नाम था। मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा। मेरी माँ का नाम क्या था? क्या माँ का भी कोई नाम होता है? नाम तो पिता का होता है। पिता को नाम की जरूरत होती है। पिता को प्रमाण की जरूरत होती है। माँ तो सत्य है। माँ सार्वभौमिक है।
रिश्तों को जीने वाले आँखों से जीते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे एक फेसबुक परिजन ने मुझसे शिकायत की कि संजय सिन्हा आप बहुत झूठ बोलते हैं।
सिगरेट और शराब छोड़ अमीर बनें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक
दो दिन पहले मैंने एक तस्वीर यहाँ फेसबुक पर डाली थी, जिसे मैंने ‘हमर’ कार के साथ खड़े होकर खिंचवायी थी।
हम अंदर की कमजोरियाँ हारते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी एक परिचित ने मुझे बताया कि उनकी बेटी, जिसकी शादी उन्होंने कुछ ही दिन पहले एक अमीर घर में की थी, वो किसी और से प्यार करने लगी है। जाहिर है शादी के बाद बेटी का किसी और से प्यार करना मेरी परिचित को नागवार गुजर रहा है। उन्होंने अपनी तकलीफ मुझसे साझा की। उनकी तकलीफ अब मेरी तकलीफ बन गयी है। मैं सारी रात सोचता रहा कि मैं इस विषय पर लिखूँ या नहीं।
प्रेम एक विश्वास और भरोसा है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी समझ में आज तक ये बात नहीं आयी कि क्यों मेरी कुछ पोस्ट को तीन हजार लाइक मिलते हैं, और कुछ पोस्ट को सिर्फ पाँच सौ लाइक।
जहाँ उम्मीद, वहीं जिन्दगी, जहाँ प्यार, वहीं संसार

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आपने ये पढ़ा होगा कि ‘जहाँ उम्मीद है, वहीं जिन्दगी है’। आपने सुना होगा कि ‘जहाँ प्यार होता है, वहीं संसार होता है’।
लव और लगाव

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी एक परिचित ने मुझसे अपनी कहानी साझा की है। उन्होंने मुझे बताया कि पिछले दिनों वो किसी के संपर्क में आईं और वो उन्हें अच्छा लगने लगा। यहाँ तक तो सब ठीक था। पर वो उन्हें इतना अच्छा लगने लगा कि वो उससे प्यार कर बैठीं।