Sunday, September 14, 2025
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मोदी समझ रहे हैं, स्वयंसेवक भी समझें

[caption id="attachment_6068" align="alignnone" width=""]अंतरराष्ट्रीय चैनल सीएनएन को साक्षात्कार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी[/caption]

दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार : 

गरीबी, गुरबत, गाली और गद्दारियों की तोहमतों के बीच कोई कैसे जिये? पंचर जोड़ना, हजामत बनाना, कबाड़ का काम, पुताई का ठेका और कसाई की जिंदगी।

उपचुनावों के नतीजों से गुमान टूटेगा भाजपा का

राजीव रंजन झा :

शायद ही किसी ने सोचा होगा कि लोकसभा चुनावों में तूफानी कामयाबी के बाद इन उपचुनावों में भाजपा इतना कमजोर प्रदर्शन करेगी।

उपचुनावी नतीजों के अर्थ-अनर्थ और फलितार्थ

पीयूष पांडेय, व्यंग्यकार :

उपचुनावों में भाजपा को मिली हार और कांग्रेस-समाजवादी पार्टी को मिली जीत की विवेचना। 

फिर होंगे हिंदी चीनी भाई भाई

राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक, निवेश मंथन

चीनी राष्ट्रपति झी जिनपिंग के पहले भारत दौरे के लिए मोदी सरकार बेताब है।

बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं

राजीव रंजन झा :

मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने का लेखा-जोखा हो, उनके जापान दौरे के आर्थिक-कूटनीतिक फलितार्थ हों या अभी-अभी सामने आये विकास दर के आँकड़े हों, इन सबमें एक बात समान रूप से निकल कर सामने आ रही है।

मुख्यमंत्रियों की मान-रक्षा

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकारी कार्यक्रमों में आजकल बड़ा मजेदार नजारा देखने को मिलता है। वह चाहे जहाँ जाये, चाहे हरियाणा, महाराष्ट्र या झारखंड वहाँ के मुख्यमंत्रियों को तो शामिल होना ही पड़ता है।

कश्मीर पर प्रचारक का हठ या नेहरू से आगे मोदी की नीति?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

वक्त बदल चुका है। वाजपेयी के दौर में 22 जनवरी 2004 को दिल्ली के नॉर्थब्लाक तक हुर्रियत नेता पहुँचे थे और डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की थी। मनमोहन सिंह के दौर में हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान जाने का वीजा दिया गया और अमन सेतु से उरी के रास्ते मुजफ्फराबाद के लिए अलगाववादी निकल पड़े थे।

अभी जिंदा हैं बदलाव की संभावनाएँ!

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :

स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री द्वारा लोक लुभावन घोषणाएँ की जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इसी तरह की उम्मीद देश को थी। दरअसल प्रभु वर्ग जरुरी फैसले कम लोकप्रिय फैसले ज्यादा लेता है।

मोदी की भावना को समझें

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह-कारगिल में जो कुछ कहा, उसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने भारत-पाक मैत्री के विरुद्ध शंखनाद कर दिया है। यह हो सकता है कि उनके बयान पर पाकिस्तान की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया हो।

मोदी देंगे 75,000 करोड़ रुपये का तोहफा?

राजेश रपरिया :

अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री मोदी देश के निम्न आय वर्ग के 7.5 करोड़ परिवारों को नायाब तोहफा देने की घोषणा करेंगे, जिनके अभी बैंकों में खाते नहीं हैं।

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