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नीतीश कुमार का अहंकार और स्वाभिमान

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन:
बिहार चुनाव के मद्देनजर, भारतीय जनता पार्टी को बहुत तकलीफ है कि नीतीश कुमार अहंकारी हैं। और नीतीश कुमार न जाने क्यों सफाई देते घूम रहे हैं कि वह अहंकारी नहीं, स्वाभिमानी हैं। इतने समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने के बाद अगर यह बताना पड़े कि मैं यह हूँ, वह हूँ या वह नहीं हूँ तो क्या सार्वजनिक जीवन जीया।
मुस्लिम बहुल सीटें करेंगी लालू-नीतीश के भाग्य का फैसला

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
आमतौर पर यहीं माना जा रहा है कि इसबार महागठबंधन के पक्ष में और एनडीए के विरोध में अल्पसंख्यकों की गोलबंदी होगी। बिहार में 47 सीटें ऐसी हैं
महागठबंधन की किलेबंदी में दरारें

संदीप त्रिपाठी :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से हालात रोमांचक होते जा रहे हैं। सीध-सीधे दो खेमे दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बढ़त से घबराये जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने विधानसभा की जंग जीतने के लिए हरसंभव रणनीति अपनायी। जिस लालू प्रसाद यादव के विरोध के आधार पर अपनी छवि गढ़ी, उसी लालू यादव से हाथ मिला लिया, महागठबंधन के तहत 140 से ज्यादा सीटों पर लड़ने की जिद छोड़ महज 100 सीटों पर लड़ने का समझौता कर लिया।
बीमारू की राजनीति

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन:
बीमारू पर बड़ा कनफ्यूजन है। मुझे नहीं। कंफ्यूजन जानबूझकर पैदा किया जा रहा है। मोदी जी कह रहे हैं कि बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकालेंगे। मने बाकी को बीमारू ही रहने देंगे। जहाँ भाजपा की सरकार है उसे भी। आपको शायद ना मालूम हो पर झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी बीमारू राज्य हैं। नीतिश कुमार मोदी की तरह होते तो बताते। लेकिन वो बुरा मान जाते हैं। झटका खा जाते हैं। मुझे नहीं लगता कि आम आदमी खासकर 80 के दशक में पैदा हुई आज की युवा पीढ़ी को बीमारू राज्य का मतलब भी पता है। अगर पता होता तो यह दावा ही नहीं किया जाता कि बिहार को बीमारू राज्य से अलग करेंगे। बिहार को बीमारू से अलग कर देंगे तो “मारू” बचेगा। और आप से वो नहीं संभलने वाला।
बिहार में कार्यकर्ताओँ के हाथ में बाजी

संदीप त्रिपाठी :
बिहार के विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे, ऐसे संकेत हैं। अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है लेकिन चुनाव आयोग की तैयारियाँ ऐसी ही हैं। सियासी दल तो कब से इसी संकेत के इंतजार में बैठे थे। मुख्य चुनाव आयुक्त तो अगस्त के पहले हफ्ते में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने बिहार का दौरा करेंगे लेकिन सियासी दल इससे पहले ही चुनाव प्रचार में जुट गये हैं।
भाजपा की मजबूती से डर कर एकजुट हुए लालू नीतीश : शाहनवाज

राजीव रंजन झा :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किये जाने के बाद भाजपा की ओर से अब तक स्थिति साफ नहीं है कि वह बिहार के चुनाव में नेतृत्व का चेहरा घोषित करेगी या नहीं।
मांझी से मजबूत होगा एनडीए

अभिरंजन कुमार :
जीतनराम मांझी के शामिल होने का फायदा एनडीए को निश्चित रूप से होगा और नीतीश कुमार को नेता घोषित करने का नुकसान निश्चित रूप से कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू-एनसीपी-कम्युनिस्ट गठबंधन को होगा।
नीतीश के लिए चुनौती, लालू के लिए अवसर

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
जेपी के दायें-बाएँ खड़े रहनेवाले उनके दोनों चेले लालू-नीतीश सत्ता के लिए आपस में पिछले दो दशक से लड़ते रहने के वावजूद अगर आज एकसाथ खड़े हैं तो बिहार की राजनीति तो बदलेगी ही।
क्या ब्लैकमेल हो गये लालू?

अभिरंजन कुमार :
पूरी तरह से मर चुकी कांग्रेस और अधमरे जेडीयू ने बिहार में लालू यादव को ब्लैकमेल कर लिया। सच्चाई यह है कि चारा घोटाले में सज़ायाफ़्ता होने और 15 साल तक जंगलराज चलाने के आरोपों के बावजूद लालू यादव का जनाधार नीतीश की तरह क्षीण नहीं हुआ है।
नीतीश की उम्मीदवारी, लालू का दाँव, भाजपा की मुश्किल

संदीप त्रिपाठी :
राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में जनता परिवार के नामित मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का ऐलान कर दिये जाने के बाद बिहार चुनाव में खेमों का परिदृश्य आकार ले चुका है।