Monday, November 18, 2024
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Tag: Padmapati Sharma

हार का ठीकरा सेनापति पर तो जीत का श्रेय भी उसी को

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

सुनील चतुर्वेदी की समस्या यह है कि वह बोर्ड प्रबंधन के अंग है। न तो वह खिलाड़ी हैं और न ही समालोचक। सुनील को हर शब्द नाप तौल कर लिखना होता है। उनके पास हम जैसी आजादी नहीं है। सुनील भाई आपने संतोष सूरी के कमेंट के संकेत को शायद अच्छी तरह समझा होगा। आप दूसरों के लिए जो करते हो वही दूसरा आपके साथ करेगा। यही जमाने की रीत है भाई।

आत्मचिंतन का समय आ गया है जनाब धोनी

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

आत्मचिंतन का समय आ गया है जनाब महेंद्र सिंह धोनी। आँख बंद कर सोचिए कि क्या शरीर में वह पोटाश बची हुई है? क्या बल्लेबाजी की देसी शैली अपनी औकात पर नहीं आ चुकी है? क्या सहवाग की मानिंद आपकी आँख और पाँव का संयोजन गड़बड़ा नहीं गया? क्या शरीर के करीब फेंकी गयी शार्ट गेंदों के सम्मुख आपकी कमजोरी जगजाहिर नहीं हो चुकी है ? 

माही तुम कब जाओगे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

हर कोई यही पूछ रहा है-माही तुम कब जाओगे? धोनी कहते है, 'अश्विन की चोट ने हराया.. मेरी गलती कि फिनिश नहीं कर सका.. गेंदबाजों ने रन लुटा दिए'..

भारतीय क्रिकेट के ‘अन्ना’ शशांक के हाथों में कमान

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

स्वच्छ छवि के शशांक मनोहर दुबारा बीसीसीआई के मुखिया बन गये। पवार-ठाकुर गुट ने हाथ मिलाया। भारतीय क्रिकेट की छवि को श्रीनि के आपातकाल की याद दिलाने वाले कार्यकाल के दौरान जो गहरे दाग लगे थे, इससे व्यथित भारतीय क्रिकट प्रेमियों के लिए यह जबरदस्त खुशखबरी है। 2013 के आईपीएल फिक्सिंग कांड के समय जब बोर्ड के अन्य सभी बाहुबली मौन धारण किए बैठे थे तब यह क्रिकेट का 'अन्ना' अकेले दहाड़ा था - 'श्रीनिवासन गद्दी छोड़ो'।

तुमको न भूल पाएँगे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

देश के खेल पदाधिकारियों के प्रति सामान्य में लोगों की धारणा मुँह बिचकाने वाली ही ज्यादा होती है। खेलों का इन महानुभावों ने बेड़ा गर्क जो किया हुआ है। परंतु कुछ ऐसे अपवाद भी इसी देश में हैं, जिनको खिलाड़ी और खेल प्रेमियों से समान आदर और प्यार मिला है।

‘क्रिकेट दबंग’ फारुख की गुंडई !!

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

नब्बे के दशक की शुरुआत में कश्मीरी पंडितों को घाटी से खदेड़ने के लिए कथित रूप से जिम्मेदार जम्मू एवं कश्मीर के तत्कालीन मुख्य मन्त्री और वंशवादी राजनीति के देश में चुनिंदा पहरुओं में एक फारुख अब्दुल्ला को लगता है कि अच्छे दिन बीत गये और आजादी बाद से ही राज्य को लूटने वाले इस शख्स ने राज्य की क्रिकेट का भी कम बेड़ा गर्क नहीं किया। 

पाकिस्तान इंदिराजी से किस कदर खौफजदा था?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दो राय नहीं कि मैं कांग्रेस विरोध की संतान हूँ पर यह भी सच है कि महाराजा रणजीत सिंह के बाद देश को अंतरराष्ट्रीय विजय (पूर्वी पाकिस्तान का नाम नक्शे से मिटा कर बांग्लादेश का जन्म हुआ 1971) दिलाने वाली वीरांगना श्रीमती इंदिरा गाँधी का निजी तौर पर प्रशंसक भी हूँ, खास तौर पाकिस्तान के मोर्चे पर उनकी तैयारी की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी।

बहन की पाती भाइयों के नाम : अगले साल जरूर आना

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

हम चार भाइयों के परिवार में कुल छह बेटे और छह बेटियों में सबसे छोटी है श्वेता। बीस बरस की श्वेता राखी के दिन उदास थी। अकेले कमरें में आँसुओं के बीच उसने अपना दर्द कविता में उड़ेल दिया। छह मे तीन भाई विदेश में तो बचे तीन दूसरे शहरों में। चिकन पाक्स हो जाने से बंगलोर में निफ्ट से फैशन डिजाइनिंग कर रही श्वेता हास्टल से बाहर नहीं निकली। डर था कि घर जाने से माँ इन्दिरा, भाभी रिंकू, भतीजी मिहिका और भतीजा प्रांशु भी कहीं चेचक की चपेट में न आ जाएँ। 

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