अकबर का होली-डे होमवर्क

0
284

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

बच्चों की आफत है, होली-डे में भी होमवर्क होता है।

होमवर्क करते हुए ही होली-डे मनानी थी, तो फिर तो स्कूल ही चलते रहते, ऐसी कई बच्चों की कीमती राय है।

माँएँ हड़कंप मचा रही हैं। पापा लोग दफ्तर के प्रिंटरों से होमवर्क के प्रिंटआउट्स ले रहे हैं। जी मैं तो होली-डे होमवर्क के कंसेप्ट के ही खिलाफ हूँ। या तो होली-डे रखो या फिर होमवर्क रखो।

पार्क में कल दो छोटे बालकों की बात सुनी-एक बालक कह रहा था, टेन स्पोर्ट्समैन के फोटो चिपकाने हैं। मेरे पास नौ तो हो गये। एक फोटू रवींद्रनाथ टैगोर का है।

दूसरा बालक अपनी राय जाहिर कर रहा है-टेगौर तो पोयट थे, उनका फोटू तू कैसे लगा सकता है, स्पोर्ट्समैन में।

पहला बालक दुख जाहिर कर रहा है – रवींद्रनाथ का क्या बिगड़ जाता, जो स्पोर्ट्समैन हो जाते। पोयम लिखने में ही बिजी रहे। अब मम्मी के साथ जाना पड़ेगा फिर बाजार में, स्पोर्ट्समैन का फोटू लाने।

रवींद्रनाथ जी से इस तरह से कोई निराश हो सकता है। उन्होने सपने में भी ना सोचा होगा। 

महापुरुष कैसा भी हो, आखिर में बालकों को दुख ही देता है। होमवर्क के काम आता है हर महापुरुष। फोटू लाओ, पोस्टर लाओ, ये लाओ, वो लाओ।

एक बालक दूसरे बालक से कह रहा है – अबे जहाँगीर सही आदमी थे। ज्यादा कोई बिल्डिंग ना बनवा गये। हमें होमवर्क मिला कि जहाँगीर द्वारा बनवाये गयी प्रसिद्ध इमारतों के नाम बताओ। जी बताने को कुछ था नहीं।

दूसरा बालक कह रहा है – पर मुझे तो होमवर्क मिला है कि शाहजहाँ ने कौन-कौन सी प्रसिद्ध इमारतें बनवायी हैं। शाहजहाँ ने परेशान कर मारा है, जाने कहाँ-कहाँ क्या क्या बनवा गये। दिल्ली का किला, आगरा का ताजमहल और भी जाने क्या-क्या।

शाहजहाँ ताजमहल बनवा कर मुमताज की आत्मा को तो खुश कर गये, पर अब के बालक परेशान हो लिये।

एक जोरदार पाइंट एक बालक निकाल कर लाया है होली-डे होमवर्क में। बालक का मत है कि सबसे मजे में वो बच्चे होंगे, जिन्होने अकबर के टाइम में होली-डे वर्क किया होगा। अकबर के टाइम होली-डे वर्क में अगर ये सवाल पूछा गया हो कि मुगल साम्राज्य के राजाओं के नाम बताओ, तो जी तब तक सिर्फ तीन नाम हुए थे – बाबर, हुमायूँ ओर अकबर। और अबके बच्चे तो याद करके परेशान हैं – अकबर के बाद जहाँगीर, फिर शाहजहाँ, फिर औरंगजेब फिर जाने कौन-कौन और फाइनली बहादुर शाह जफर। पहले आकर होमवर्क करके निकल लिये बच्चे वो मजे में थे। अब तो बहुत आफतें हैं जी।

होमवर्क के माडल वगैरह बनाकर देने वाले प्रोजेक्ट्स के दुकानदार बैठे हैं बाजार में। एक बालक ने दूसरे को बताया कि मम्मी को बताया कि टैंक का मॉडल बनाने में सात सौ लगेंगे, पर मैंने चार सौ में बनवाया है।

बालक ने तीन सौ रुपये अन्दर कर लिये हैं, यह जानकर मैं आश्वस्त हूँ। होली-डे होमवर्क ने इसे सही स्किल सिखा दी। आज टैंक के मॉडल में बचाये हैं, कल को टैंक खरीदी में बचायेगा। बालक का फ्यूचर सेफ है। नेता बनेगा बड़ा वाला, थैंक्स टू होली-डे होमवर्क।

(देश मंथन 09 जून 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें