विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
जनकपुर शहर से भारत के हिन्दुओं का आत्मीय रिश्ता है। भला हो भी क्यों न राजा रामचन्द्र जी की ससुराल है। यहीं की बगिया में सीता माता ने पहली बार रामजी को देखा था और उनके रूप मोहित हो गई थीं। हमने देखा कि आज भी जनकपुर में शादियाँ बड़े संस्कारी तरीके से होती है।
जनकपुर के बाजार में सुरूचिपूर्ण तरीके से दूल्हे और-दुल्हनें सजती दिखाई दीं। नेपाली दुल्हे का श्रंगार अद्भुत होता है। यहाँ की दुल्हनें.. मानो हर दुल्हन माता सीता का रूप ही हो। शादी से पहले दुल्हने सज-संवर का माता जानकी मन्दिर में आशीर्वाद लेने जाती है। 12 जून को जब हम लोग जनकपुर मन्दिर में पहुँचे तो आसपास में कई बारात निकल रही थी। तो हमारे राष्ट्रीय एकता शिविर में आए 19 राज्यों के कई उत्साही नौजवान शादी के बैंडबाजा के साथ कूद पड़े। बेगानी की शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह जमकर नाचे।
राजा जनक जी का मन्दिर
काठमांडू शहर की सड़कें अच्छी बनी हैं। इनमें से कई सड़कों के निर्माण में भारत सरकार ने सहयोग किया है। जानकी मन्दिर के पूरब तरफ के छोटा सा सुन्दर सा राजा जनक जी का मन्दिर भी है। इस मन्दिर के बगल में विशाल सरोवर है। सरोवर के तट पर ईंटैलियन सैलून नजर आते हैं। यहाँ हज्जाम फुटपाथ पर बैठकर लोगों की हजामत बनाते नजर आते हैं। भारत में ऐसे नजारे खत्म होते जा रहे हैं।
जनकपुर शहर का मुख्य बाजार जानकी मन्दिर के आसपास में ही सिमटा है। बाजार खूबसूरत है। किसी भारतीय बाजार सा ही दिखाई देता है। सारे साइन बोर्ड देवनागरी लिपी में है। लगता नहीं है कि आप हिन्दुस्तान से बाहर हैं। दुकानदार मीठी मैथिली में गप्प करते नजर आते हैं। पर अब जनकपुर से खरीदारी का आकर्षण खत्म हो चुका है। बाजार में 90% सामान भारत का ही बिकता है। किसी जमाने में लोग नेपाल के बाजारों से छाता, टार्च, घड़ी, कैमरा, जींस जैसी चीजें खरीद लाते थे। अब वे सब चीजें भारतीय बाजार में सुलभ हैं।
जानकी मन्दिर परिसर में सजी दुकानें
जनकपुर के बाजार में अब बड़ी संख्या में बैटरी रिक्शा दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। किराया भी वाजिब है। पर नेपाल में ये बैटरी रिक्शा दो लाख से अधिक का पड़ रहा है, जबकि भारत में 70 हजार से 1.20 लाख का पड़ता है। हमारे बैटरी रिक्शा चालक नृपेंद्र लाल कर्ण बताते हैं कि रिक्शा महँगा जरूर है पर इससे कमाई अच्छी हो जाती है। कर्ण कायस्थ हैं। उनकी ससुराल बिहार के मधुबनी जिले में है।
नेपाल की सड़कों पर भारतीय कंपनी हीरो, बजार, होंडा आदि की बनी बाइक खूब नजर आती है। पर हीरो की बाइक पैसन प्रो यहाँ आकर एक लाख 20 हजार की हो जाती है भारतीय करेंसी में, जबकि भारत में ये 55 हजार की पड़ती है। आखिरी इतनी महँगी क्यों। भारत निर्मित कारों की कीमत भी नेपाल में दुगुनी हो जाती है। ऐसा नेपाल सरकार की महँगी टैक्स व्यवस्था के कारण होता है। हाल के कुछ सालों से नेपाल के लोग अरब देशों में भी जाकर नौकरी करने लगे हैं। इसके कारण नकदी का प्रवाह बढ़ा है। लोग फटाफट बाइक खरीद रहे हैं।
(देश मंथन 20 जून 2015)