विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
आपने बंगाली मिठाइयों के बारे में तो खूब सुना होगा। पर यह संदेश या रसगुल्ले से कुछ अलग है। बंगाल से बाहर इसके बारे में लोग कम ही जानते हैं। बाहर से देखने में मसाला डोसा जैसा। यूँ कहें कि मिनी डोसा की तरह, पर यह कुछ अलग है। यह लोकप्रिय बंगाली मीठा व्यंजन है। इसे कहते हैं पाटी सपाटा। शाम के नास्ते में गौर बांग्ला यूनीवर्सिटी में जब पाटी सपाटा खाने को मिला तो कौतूहल हुआ। खाया तो काफी सुस्वादु लगा। तब एक और माँग कर खाया।
वास्तव में पाटी सपाटा मीठे चावल से बनता है। मीठे चावल की रोटी। उसके अंदर भरी होती है मीठी खीर। खीर की जगह कई बार खोया और नारियल का बुरादा भरा जाता है। पाटी सपाटा के बाहरी परत का पेस्ट तैयार करने के लिए मैदा, सूजी, चावल के आटे को दूध में मिलाया जाता है। इसमें चीनी या गुड़ मिलाया जाता है। इस पेस्ट को आधा घंटा यूँ ही छोड़ने बाद इसे नान स्टिक तवे पर इसे पकाया जाता है।
बंगाल के लोगों को घर का लोकप्रिय नास्ता है पाटी सपाटा, लेकिन बाद में पता चला कि यह बाजार में मिठाई की दुकान पर भी उपलब्ध है। मालदा टाउन के एक व्यापारी बताते हैं कि मालदा टाउन के मिठाई की दुकानों में एक पाटी सपाटा 12 रुपये की मिलती है। इतना नहीं शादी विवाह और अन्य समारोहों में परोसा जाने वाला यह लोकप्रिय मीठा व्यंजन है। इसे गरम और ठंडा दोनों ही तरीके से खाया जाता है। सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे बांग्लादेश के लोग भी पाटी सपाटा बनाते हैं। पर बंगाल और बांग्लादेश के पाटी सपाटा बनाने के तरीके में अंतर है। बताया जाता है कि परंपरागत पाटी सपाटा के अंदर जो खीर भरी जाती है उसमें गुड़ और नारियल का इस्तेमाल किया जाता है।
सोमलता के सुमधुर रागों से सजी शाम
खाने के बाद बाद संगीत की। सोमलता रायचौधरी। बांग्ला की दिलकश आवाज वाली गायिका हैं। 40 से ज्यादा बांग्ला फिल्मों को अपनी सुरों से महका चुकी हैं। 28 दिसंबर की शाम इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस का सभागार सोमलता के नाम था। गौर बांग्ला यूनीवर्सिटी का परिसर बहुत बड़ा नहीं है पर उसे दुल्हन की तरह सजाया गया था। खाने-पीने के बाद संगीत का आनंद हो वह भी लाइव तो क्या कहना। सोमलता ने दो घंटे में की गीत गाये। इनमें तीन गीत हिंदी के भी थे। उन्होंने जब पिया रे…पिया रे….गाया तो जाते हुए लोग रुक गये।
वे गीतों के बीच में जा बातें बुनती हैं उसकी मिठास का कोई जवाब नहीं। हालाँकि वे बांग्ला में बोल रही थीं, फिर भी बांग्ला न जानने वाले भी मुग्ध होकर उन्हें सुनते जा रहे थे। बंगाली श्रोताओं की सोमलता की फोटो लेने की होड़ देख कर लगा कि वे सुंदर छरहरी काया की सोमलता बंगाल में कितनी लोकप्रिय हैं। सोमलता आचार्य चौधरी साल 2007 से फिल्मों में गा रही हैं। उनके कई सोलो अलबम भी आ चुके हैं। उनका ऑफिसियल बैंड भी है द एसेज नाम से। हालाँकि नौ साल की उम्र से उन्होंने क्लासिक संगीत सीखना आरंभ कर दिया था। उनके पिता बांग्लादेश के मैमन सिंह में जमींदार घराने से आते हैं। मजे की बात वे मनोविज्ञान की अतिथि व्याख्याता भी हैं आशुतोष कालेज कोलकाता में।
(देश मंथन, 04 मार्च 2016)