संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कल रात सोते हुए मैं फूला नहीं समा रहा था कि मैंने कड़वी चाय को दुरुस्त करने की कला के साथ-साथ रिश्तों में प्यार के फूल खिलाने की विद्या भी आपको सिखलायी। मैंने कल जो पोस्ट लिखी थी, उसमें जिन्दगी का निचोड़ डाल दिया था।
आपको बता ही चुका हूँ कि मेरी पत्नी ने मुझसे जिन्दगी में पहली बार कहा था कि संजय, एक कप चाय बना दो। मैंने यह भी बता दिया था कि मैं नींद में था और मुझसे उठा नहीं गया। मैंने नींद में ही सुना और करवट बदल कर सो गया।
हालाँकि अपनी इस गलती को सुधारने के लिए मैंने शाम को चाय बनाने की कोशिश की और उसी कोशिश में मैंने जिन्दगी का फलसफा सीखा। मैंने सीखा कि चाय बनाने में अगर पत्ती अधिक पड़ जाए, या चाय ज्यादा उबल जाये तो उसे कैसे ठीक कर सकते हैं। साथ में यह भी सीखा कि किसी से रिश्ते बिगड़ जाएँ तो कैसे उनमें प्यार का पानी डाल कर उन्हें भी ठीक किया जा सकता है।
एक प्याली चाय पर मैंने जिन्दगी का निचोड़ समझ लिया और उसे आपके सामने कल मैंने फेसबुक पर परोस दिया। हजारों लोगों ने लाइक बटन दबाए। कई लोगों ने मुझे वाह-वाह कहा।
मैं आपको याद करता हुआ, मन ही मन खुश होता हुआ सो जाता, लेकिन कल रात मेरी पत्नी ने अपने लैपटॉप पर मेरे लिखे को पढ़ा। साथ ही आप सबके कमेंट भी वो पढ़ती चली गयी। आम तौर पर दिन में वो व्यस्त रहती है इसलिए अक्सर रात में सोने से पहले मेरी पोस्ट पढ़ती है और साथ में आपके कमेंट भी।
कल पूरी पोस्ट पढ़ कर उसने मुझसे हँसते हुए कहा कि तुम बहुत सफाई से अपनी गलती को छुपा गये। मैंने तुमसे चाय बनाने को कहा था और तुम नहीं उठे थे।
मैंने कहा कि मैंने यही तो लिखा है कि तुमने चाय बनाने के लिए अनुरोध किया था, पर मेरी नींद नहीं खुली और मैं नहीं उठा।
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पत्नी ने कहा, “सब लिख दिया, तो लोगों के कमेंट नहीं पढ़े? लोगों ने कहा है कि महिलाएँ जरा से प्यार से ही मान जाती हैं। जरा सी पुचकार से मान जाती हैं।”
“पर मैंने शाम को चाय बनाने की कोशिश की न!”
“क्यों? अपने परिजनों को इतना ज्ञान देते हो, सुबह से तुम्हारे परिजन कह रहे हैं कि महिलाएँ जरा से प्यार से मान जाती हैं, तो तुमने जरा सा प्यार कहाँ किया? मुझे पुचकारा कहाँ? वो तो तुम उठे और चाय बनाने लगे और तुमसे चाय कड़वी हो गयी तो मैंने तुम्हें समझाया कि बिगड़ी चाय कैसे ठीक करें। साथ में तुमने रिश्तों की कड़वाहट दूर करने की बात उससे जोड़ी। यह ठीक है। तुम्हारी पोस्ट बहुत अच्छी है। तुम्हारे परिजनों ने तुम्हारी वाहवाही भी की। पर मूल मुद्दा तो यह है तुमने अपने परिजनों के कहने के बाद भी मुझे न तो प्यार किया, न पुचकारा।”
मैं सोच में डूब गया। समचुच, मैं चाय बनाने नहीं उठा था। मेरी पत्नी की तबियत थोड़ी ठीक नहीं थी और उसने शादी के 26 वर्षों में पहली बार मुझसे चाय बनाने का अनुरोध किया था। यह भी सही है कि जब मैं बहुत देर बाद चाय बनाने उठा भी तो मैंने अपनी पत्नी से न तो सॉरी कहा था, न उसे दुलार किया था। जब कभी मेरी तबियत जरा खराब होती है, तो बेचारी सौ बार पूछती है, अब कैसी है तुम्हारी तबियत?
मैं जब दफ्तर से घर आता हूँ और सोफे पर बैठते-बैठते मेरे हाथों में वो पानी का गिलास पकड़ा देती है। जूते उतारते-उतारते मेरे हाथ में चाय की प्याली होती है। चाय खत्म करते-करते मुझसे वो पूछती है कि खाना लगा दूँ? वो भी तब, जब वो खुद कामकाजी महिला है।
ऐसा एक बार भी नहीं हुआ है कि वो घर आई हो और मैंने उसके हाथों में पानी का गिलास पकड़ाया हो। चाय तो भूल ही जाइए। उल्टे उसके आने के बाद मैं उम्मीद से हो जाता हूँ कि अब चाय मिलेगी।
ऐसे में पत्नी का कल मुझे टोकना मुझे याद दिला गया कि सचमुच मूल मुद्दा तो रह ही गया।
उसने चाय बनाने का छोटा सा अनुरोध किया था, चाहे मैं कड़वी चाय ही बना लाता, पर मुझे एक कोशिश तो करनी चाहिए थी। पर मैंने न तो चाय बनाई, न उसे सॉरी कहा और उल्टे यहाँ पोस्ट लिख दिया कि देखो मैंने चाय नहीं बनाई पर मैंने रिश्तों का पाठ पढ़ लिया। मैं मन ही मन सोच बैठा था कि शाम को जब मैंने चाय बनाने की कोशिश की तो मेरी पत्नी उस घटना को भूल गयी होगी।
आप में से कई लोगों ने अपने कमेंट में यह लिखा भी था कि महिलाएँ जरा सी पुचकार से सब भूल जाती हैं। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि तुम उस बात को अभी तक भूली नहीं? लोगों ने तो कमेंट में लिखा है कि महिलाएँ जरा सी पुचकार से पतियों की बड़ी से बड़ी गलतियाँ भूल जाती हैं।
“हम्म! पुचकार से भूलती हैं न! तो तुमने मुझे कहाँ पुचकारा?”
लो जी, कल जिन्दगी का एक और अध्याय पढ़ा कि अगर गलती की है तो केवल गलती सुधारने से काम नहीं चलता। थोड़ा पुचकारना भी जरूरी होता है।
वो तो मेरी पत्नी है, जिसने सीधे-सीधे बता दिया कि वो मेरी गलती को कैसे भूल सकती है, वर्ना ढेरों मित्रों को मैं जानता हूँ, जिन्हें समय पर पता भी नहीं चलता कि कब और कैसे भूल सुधार करनी है, और फिर सालों-साल ताने सुनते हैं।
इसलिए मेरे प्यारे परिजनों, अगर कभी ऐसी गलती हो जाए जिसमें रिश्तों की मुराद पूरी न हो तो, तुरंत गलती मान लेनी चाहिए, उसे ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए और पुचकारना चाहिए।
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आज का ज्ञान- मेरी पत्नी आपके हर कमेंट को पढ़ती है, मतलब अब मुझे आपकी सलाह पर अमल भी करना होगा।
(देश मंथन, 26 अप्रैल 2016)