प्रेम रहित विवाह

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कल देवघर पहुँचा। भोलेनाथ के दर्शन किए।

फिर सारे रास्ते येलेना की कहानी पर आपके कमेंट पढ़ता रहा। सोचता रहा उस फिल्मकार के बारे में जिसने ‘प्यासा’ और ‘कागज’ के फूल जैसी फिल्में बनाई थीं। दोनों फिल्में फ्लॉप साबित हुई थीं।

बहुत दिनों बाद किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में यही दोनों फिल्में मील का पत्थर बन गईं।

मैंने येलेना की कहानी तीन साल पहले लिखी थी। कहानी सौ से कम लाइक पर अटकी थी। पर कल आपका प्यार उसी कहानी पर बरस पड़ा। 

आपके एक-एक कमेंट मैंने पढ़े और देर रात तक गुरुदत्त के बारे में सोचता रहा। सुबह नींद खुली तो येलेना मेरे सामने खड़ी थी। पूछ रही थी कि संजय सिन्हा, आज मेरी कहानी नहीं सुनाओगे?

***

मैंने सोवियत संघ के शहर मिंस्क से ‘येलेना’ के अपने वतन चले जाने का जिक्र किया था। और इस बात का जिक्र भी किया था कि ‘येलेना’ ने मुझसे कहा था तुम एकबार ‘यासनाया पोल्याना’ जरूर जाना। 

येलेना अजीब लड़की थी। बीस साल की उम्र, दमकता चेहरा, खूशबू से भरी साँसें, और चमचमाते रंगों वाले कपड़े। सबसे खास बात ये कि वो जिस रंग की ड्रेस पहनती थी, उसी रंग के उसके जूते भी होते। मैं उससे पूछना चाहता था कि तुम कितने जोड़ी जूते लेकर आयी हो, लेकिन ये पूछना मुझे उचित नहीं लगा। मैं तो अपने मॉस्को प्रवास से इसलिए भी दुखी हो गया था, क्योंकि एक दिन मेरे चमड़े के जूते मेरे कमरे से चोरी गये थे। मेरे पास पैसे कम थे, ऐसे में बाकी के कई दिन मैंने स्पोर्ट्स जूतों के सहारे गुजारे।

खैर, येलेना अपनी खुशबू बिखेर कर मिंस्क से ही लौट चुकी थी, और मैं लेनिनग्राद पहुँच गया था। वहाँ जा कर मैंने ‘यासनाया पोल्याना’ के बारे में पता किया। बताया गया कि मॉस्को से यासनाया के पास एक छोटा सा शहर है, शायद तूला नाम है। मॉस्को से वहाँ के लिए ट्रेन या बस मिल जाएगी। वहाँ से फिर टैक्सी या बस कुछ भी लेकर पोल्याना पहुँचा जा सकता है ।

मैंने अपने पैसे गिने, और हिसाब लगाने की कोशिश की कि अगर मैं ट्रेन से मॉस्को चला जाऊँ, तो वहाँ से तीन चार घंटे में यासनाया पोल्याना पहुँच जाउँगा – लियो टॉल्स्टाय के गाँव।

लियो टॉलस्टाय की कई कहानियाँ तो बचपन में माँ ही सुना चुकी थी, फिर कॉलेज पहुँचते-पहुँचते मैं आठ सौ पन्नों की उनकी किताब ‘एना केरेनिना’ को पढ़ चुका था। ‘वार एंड पीस’ तो खैर उन दिनों पढ़ना फैशन में था, लेकिन मैंने तो ‘एना केरेनिना’ के साथ ही विमल मित्र की दो वॉल्यूम में ‘खरीदी कौड़ियों के मोल’ भी पढ़ ली थी। 

बाद में अपने छोटे भाई को भी मैं ऐसी किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करने में कामयाब रहा था। 

खैर, मैं पहुँच गया मॉस्को और मॉस्को से यासनाया पोल्याना। पोल्याना का सफर बहुत दिलचस्प था। कभी विस्तार से पूरी यात्रा की कहानी लिख सकूंगा, कि कैसे मेट्रो से मॉस्को के एक स्टेशन गया, फिर अगले स्टेशन और फिर टैक्सी और ऐसे घूमते हुए पहुँच गया था वहाँ, जहाँ कभी वो रहा करते थे, जिन्हें मोहनदास करमचंद गाँधी अपना गुरु मानते थे। 

मेरे सामने रूसी भाषा में कई बोर्ड लगे थे, जिनका मतलब मैं समझ रहा था, लेकिन मेरी निगाहें उस घर पर लगी थीं, जिसे संग्रहालय की तरह सजा दिया गया था। 

उस मकान में सीढ़ियों से उपर जाने से पहले मैं बहुत देर तक बाहर खड़ा रहा। ‘एना केरेनिना’ के चरित्र की कल्पना करने लगा। मुझे बार-बार ‘येलेना’ की याद आ रही थी। लाल ड्रेस, लाल जूते, दमकता चेहरा, खूशबू से भरी साँसें, और लगने लगा कि ‘येलेना’ ही ‘एना केरेनिना तो नहीं’?

आपमें से ज्यादातर लोगों ने टॉलस्टाय के इस उपन्यास को जरूर पढ़ा होगा। 

जिन लोगों ने समय की कमी के कारण नहीं पढ़ा, उन्हें सिर्फ बताने के लिए यहाँ लिख रहा हूँ कि ‘एना केरेनिना’ दुनिया की महान शानदार प्रेम कहानियों में से एक है। 

‘लियो’ ने इस उपन्यास के संदर्भ में जब ये लिखा था कि “दुनिया में हर खुशहाल परिवार की कहानी एक जैसी होती है, लेकिन दुखी परिवार की कहानी अलग-अलग होती है” तो, मैं ये नहीं समझ पाया था कि लियो टॉलस्टाय ने दरअसल इस उपन्यास के माध्यम से अपनी आत्मकथा लिखी है।

एना एक ऐसी लड़की की कहानी है जो अपने पति से रत्ती भर प्यार नहीं करती। ये कहानी औरत और मर्द के बीच गैर बराबरी की कहानी है। 

ये एक ऐसी महिला की कहानी है जो अनैतिक प्रेम संबंध के जरिए खुद को पुरुष के बराबर खड़ा कर लेती है। इस उपन्यांस में टालस्टॉय ने ये दर्शाने की कोशिश की है कि कैसे खुद अनैतिक संबंधों में रहने वाला पुरुष महिलाओं से ‘वफादारी’ की उम्मीद करता है। 

एना केरेनिना एक ऐसी महिला है, जिसका विवाह प्रेम रहित है। उसके पति को अपनी पत्नी के सुख-दुख से कोई मतलब नहीं, उसकी उम्मीदों उसकी चाहतों में उसे कोई दिलचस्पी नहीं उसे सिर्फ पद-प्रतिष्ठा की फिक्र है। लेकिन ‘एना’ एक ऐसी लड़की है जिसके दमकते चेहरे, जिसकी खूशबूदार साँसें, जिसकी जूतों से मैच करती ड्रेस के आगे कोई भी…

वो अपने आप में दहकती हुई आग है और सबसे बड़ी बात कि उसमें साहस है अपने हिस्से का सुख पा लेने का। 

वो अनैतिक रिश्तों को अनैतिक नहीं मानती, और वो ‘वो’ सब करती है, जो पुरुषों के बनाए समाज में अवैध हैं। 

खैर आठ सौ पन्नों की कहानी अस्सी शब्दों में सुनाना अन्याय होगा, लेकिन उपन्यास में मर्म यही है कि पति-पत्नी के खराब रिश्तों में सिर्फ रिश्ता ही खराब नहीं होता अधूरा प्यार होता है, अतृप्त इच्छाएँ होती हैं, शोक होता है, आंसू होते हैं, और दुनिया भर के ताने होते हैं, और घर में रिश्तों की दुर्गंध होती है। 

और जैसा कि कहा जाता है कि शादी जब सड़ जाती है तो उसकी दुर्गंध सिर्फ दो शरीर नहीं, हजार आत्माएं भी महसूस करती हैं। 

मैं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर गया, जहाँ शायद टालस्टॉय लिखते-पढ़ते थे। वहाँ खड़ा ही था कि मुझे लगा टॉल्सटाय की पत्नी सोफिया टॉलस्टाय मेरे सामने आ कर खड़ी हो गईं। लेकिन टॉल्सटाय की पत्नी को मरे हुए तो 77 साल बीत चुके थे, फिर वो मेरे सामने कैसे? 

सोफिया मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं। कहने लगीं कि ‘एना केरेनिना’ की कहानी तो बहुत याद है। ‘लियो’ की कहानी भी तुम खूब जानते हो। कभी मेरे बारे में जानने की कोशिश की है? दुनिया कहती है कि मैं लियो से प्यार नहीं करती थी। दुनिया के सभी दस्तावेजों में दर्ज है कि मैं उनसे जलती थी। दुनिया भर में लियो की कहानियाँ पढ़ी और पढ़ाई जाती हैं। लेकिन क्या कभी किसी ने ये जानने की कोशिश की कि सोफिया टॉल्सटाय कैसी है? उस दिन जब भयंकर बर्फबारी में तुम्हारे ‘टॉल्स्टाय’ भयंकर खाँसी में बिन बताए घर से निकल गये थे, तो न जाने कितने घंटों तक मैं यूँ ही ठंड में अकड़ कर उनका इंतजार करती रही। और जब वो आये तो मैं उनसे लिपट कर पूछने लगी कि इस तूफान में कहाँ चले गये थे, तो मुझे धक्का देकर उन्होंने कहा कि मैं कोई छोटा बच्चा हूँ, जो कहीं जाऊँ तो तुम्हें बता कर जाऊँ? 

सुनो तुम आज नहीं, लेकिन कभी न कभी मेरी कहानी लिखोगे। तुम सबको बताओगे कि मैं लियो टॉलस्टाय की धर्म पत्नी, उनके कई बच्चों की माँ इतनी बुरी नहीं थी जितनी बताई जाती हूँ। मैं जानती हूँ तुम्हारे हीरो भी ‘लियो’ हैं, लेकिन तुम तो सच का साथ देते हो। एना केरेनिना को भी अपने प्यार की कीमत चुकानी पड़ी। दुनिया से, घर से, मुझे भी चुकानी पड़ी। 

और सुनो, मेरे पास तुम्हें सुनाने के लिए बहुत कुछ है। वो सबकुछ जो एक बर्बाद शादी में सिर्फ एक औरत के हिस्से आता है। मेरी ही कहानी लिखते हुए तुम्हारे ‘लियो’ ने लिख दिया है कि सुख की कहानी भले एक हो, दुख की हजार कहानियाँ होती हैं। तुम अगर रुक सको तो मै एक-एक कर सब सुनाउँगी। तुम्हारी नायिका एना केरिनाना से ज्यादा दर्दनाक है मेरी शादी की कहानी, मेरे प्यार की कहानी। 

मैं वहीं सीढ़ियों पर बैठ गया। सोफिया ने लाल रंग की ड्रेस पहनी थी, चेहरा दमक रहा था और मैं उनकी साँसों की खुशबू महसूस कर रहा था। मुझे साफ नजर आ रहा था कि वो मिंस्क के उस कब्रिस्तान में बैठ कर अपनों के लिए दोनों हाथ उठा कर दुआ माँग रही है। 

अब मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मैं ‘लियो टॉलस्टाय के संग्रहालय के और भीतर जाऊँ। मैं नीचे उतरा, एक टैक्सी ली और फिर कब, कैसे और कितनी देर में मॉस्को अपने एक दोस्त के घर पहुँच गया पता ही नहीं चला।

बहुत तेज बुखार था। सिर तप रहा था। मेरे दोस्त ने कुछ टैबलेट दिए। दो दिनों बाद उठा, अपना बड़ा सूटकेस दोस्त के घर ही छोड़ दिया, हमेशा के लिए और एक हैंड बैग, अपना कैमरा लेकर निकल पड़ा ताशकंद की ओर। अभी मुझे लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर जाकर फूल चढ़ाने थे। और बचे हुए चंद रुबल को फूँक कर दिल्ली पहुँचना था। 

मैंने वो सब किया। 

ताशकंद में होटल उजबेकिस्तान से टैक्सी लेते हुए मैंने मन ही मन जोड़ लिया था कि जब मैं एयरपोर्ट पहुँच जाउँगा तो टैक्सी वाले को पैसे देने के बाद मेरे पास कुछ नहीं होगा, एक जेनिथ कैमरा, एक बैग, एक ओपन टिकट और ढेर सारी यादों के सिवा।

***

मुझे नहीं लगता था कि येलेना इसके बाद कभी मुझे मिलेगी। पर वो मिली। ताशकंद एयरपोर्ट पर, अमेरिका यात्रा में, न्यूजीलैंड यात्रा में भी। पर जो बात आगे की है, उसकी चर्चा आज क्यों?

(देश मंथन 01 अगस्त 2016)

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